बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अमानक खाद्य पदार्थों के मामले में बड़ा फैसला लिया है. कोर्ट ने कहा है कि जहां जुर्माने का प्रावधान हो, उस केस को आपराधिक न्यायालय में नहीं चलाया जा सकता. हाईकोर्ट ने अमानक खोवा मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी कोर्ट अकलतरा में प्रस्तुत चालान को खारिज कर दिया है. मामले की सुनवाई जस्टिस संजय के. अग्रवाल की एकलपीठ में हुई है.
बिलासपुर के खोवा व्यापारी अभिषेक गुप्ता ने अधिवक्ता अमन उपाध्याय के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. इसमें बताया गया था कि उन्हें न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी अकलतरा ने आरोप पत्र दिया है, जो नियमानुसार सही नहीं है.
सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 की धारा 26(2) के अंतर्गत अपराध किए जाने के लिए कोई आरोप पत्र प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है. इसके लिए अधिनियम की धारा 68 के तहत विशेषकर प्राधिकारी की ओर से जुर्माना लगाया जा सकता है.
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हाईकोर्ट ने कहा है कि खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम के तहत दो तरह के अपराध आते हैं. वे सभी अपराध जो केवल जुर्माना से दंडित होते हैं, ऐसे मामले प्राधिकारी द्वारा सुनवाई किए जा सकते हैं. इनमें आपराधिक कोर्ट का क्षेत्राधिकार नहीं होता है. वहीं कारावास सजा वाले आपराधिक कोर्ट के क्षेत्राधिकार में आते हैं. हालांकि, हाईकोर्ट में यह बात नहीं आई कि किस-किस श्रेणी के अपराध किस-किस धारा के अंतर्गत दंडनीय है.