बिलासपुर: Virat Saraf kidnapping case of Bilaspur बहुचर्चित विराट अपहरण कांड मामले में सभी दोषियों को सजा मिल गई है. न्यायालय ने मासूम के अपहरण के दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. 20 अप्रैल 2019 को भाजपा कार्यालय बिलासपुर से 6 साल के मासूम का अपहरण कर लिया गया था. फिरौती के तौर पर 6 करोड़ रुपए मांगी गई थी. अपहरण का स्क्रिप्ट लिखने वाली बच्चे की बड़ी मम्मी और 4 लोग शामिल थे. इस मामले में पुलिस की सूझबूझ और परिवार वालों के धैर्य ने विराट को एक नई जिंदगी दी है. विराट अब भी इस मामले को सोंचकर कांप जाता है और अपने साथ हुए घटना को बताते हुए अभी भी डरा रहता है.virat badi maa Neeta Saraf plan kidnapping
क्या था पूरा मामला: बिलासपुर के कर्बला रोड के भाजपा कार्यालय के सामने रहने वाले बर्तन व्यवसायी विवेक सराफ के 7 वर्षीय बेटे विराट का अपहरण 20 नवंबर 2019 को हो गया था. विराट घर के सामने अपने दोस्तों के साथ खेलते रहा था, तभी अपहरणकर्ताओं ने उसे शाम के 6 बजकर 25 मिनट में गायब कर दिया था. विराट के गायब होने के बाद परिजनों को दूसरे दिन फिरौती के लिए कॉल आये. अपहरणकर्ताओं ने विराट के पिता को फोन कर विराट के एवज में 6 करोड़ रुपए की फिरौती मांगी थी. Neeta Saraf plan kidnapping in illicit relation
मास्टर माइंड ने बिहार में बनाया था गैंग: विराट अपहरण कांड का मास्टर माइंड राज किशोर सिंह बिहार का रहने वाला था. राज किशोर सिंह ने ठेकेदार अनिल सिंह के साथ मिलकर पूरी योजना तैयार की थी. पहले भी हत्या और अपहरण के कई मामलों में राजकिशोर संलिप्त था. बताया जा रहा था कि 1 महीने पहले से ही यह लोग अपहरण की योजना बना रहे थे और इसके लिए साथियों को जुटाया जा रहा था. राज किशोर सिंह और अनिल सिंह ने बिहार के रहने वाले हरेकृष्ण उर्फ विशाल कुमार सिंह और क्षेत्र के सतीश शर्मा को भी अपने गैंग में शामिल किया. इन सब की योजना थी बिलासपुर के सत्यनारायण सराफ के परिवार के किसी भी सदस्य को अगवा करने की. लेकिन इस योजना को कामयाब ना होता देख उन्होंने विवेक सराफ के परिवार को टारगेट बनाया और रेकी करने लगे.
कर्बला में विराट सराफ का किया अपहरण: सारे आरोपी अप्रैल 2019 से ही बिलासपुर में जुटे हुए थे और पिक्चर परफेक्ट प्लानिंग कर रहे थे. इसके लिए उन्होंने चकरभाटा के आसपास के किसी दुकान से एक पुराना मोबाइल लिया था. वहीं धोखे से एक गुपचुप वाले के मोबाइल से 2 सिम कार्ड भी चुरा लिया था. जिसका इस्तेमाल वे कर रहे थे. अपहरण की तैयारी की गई थी. इन लोगों ने दाढ़ी बढ़ा ली थी, ताकि कोई पहचान ना पाए. घटना को अंजाम देने हरीकृष्ण और सतीश शर्मा कर्बला पहुंचे थे. जहां से विराट सराफ का अपहरण किया गया.
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अपहरण के बाद क्या किये: सारे आरोपी लोग रेलवे कॉलोनी के सुनसान इलाके में पहुंचे. जहां राजकिशोर अपने डस्टर कार में उनका इंतजार कर रहा था. सभी आरोपी डस्टर कार में शिफ्ट हो गए और चकरभाटा क्षेत्र के रमन गली स्थित राज किशोर सिंह के वीरान से मकान में पहुंचे. मकान के नीचे के माले में महिलाएं थी और ऊपर के एक कमरे में विराट के साथ विशाल रहने लगा. आरोपी कमरे में लाइट तक नहीं जलाते थे. बच्चे को इन लोगों ने पूरी तरह से छिपाए रखा था.
अलग अलग लोकेशन ले फिरौती के लिए करता था फोन: घटना को अंजाम देने के बाद मास्टरमाइंड राज किशोर बिहार चला गया. जहां से वह अलग अलग प्रदेशों में पहुंचकर विवेक सराफ को फिरौती के लिए फोन कर रहा था. राज किशोर सिंह ने पहला कॉल 21 अप्रैल को किया और फिरौती के रूप में 6 करोड़ रुपए की मांग की. इसके बाद उसने 23 और 24 अप्रैल को भी कॉल किया और ढाई करोड़ रुपए पर आकर डील फाइनल हुई.
परिवार की महिला पर कैसे हुआ शक: इस मामले में पुलिस को परिवार वालों पर शक हुआ. पुलिस को शक होने का कारण ये था कि फिरौती मांगने वाला राजकिशोर सिंह ऐसी कई बातें करता था, जो केवल घर के लोगों को या बेहद करीबियों को ही पता था. इसके बाद पुलिस ने शराफ परिवार के करीबियों पर निगाह रखी थी. तो धीरे धीरे शक की सुई बेमेतरा के ठेकेदार अनिल सिंह पर ठहर गई. पुलिस उसकी एक एक गतिविधि पर नजर रखने लगी थी.
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विराट तक कैसे पहुंची पुलिस: कई जगहों से जानकारी जुटाने के बाद शुक्रवार सुबह करीब 5:00 बजे पुलिस की टीम उस मकान तक पहुंची, जहां विराट को रखा गया था. नीचे के कमरे में मौजूद महिलाओं ने पुलिस को बताया कि घर पर उनके अलावा और कोई नहीं है. पुलिस को भी ऊपर का कमरा बंद नजर आया. लेकिन खिड़की से झांकने पर उन्हें विराट और विशाल नजर आ गए. पुलिस को देखकर विशाल ने भागने की कोशिश की और इसी कोशिश में वह चोटिल होकर पुलिस के हत्थे चढ़ गया. इस मामले में पुलिस ने मास्टरमाइंड राज किशोर को खोज निकाला.
अपहरण के पीछे बड़ी मम्मी का ही था हाथ: कस्टडी में बताया गया कि इस घटना को अंजाम देने के पीछे परिवार की ही एक करीबी महिला सदस्य की महत्वपूर्ण भूमिका है. पुलिस ने इसका खुलासा करते हुए बताया कि वह महिला विराट सराफ की बड़ी मम्मी है. जिसे बाद में गिरफ्तार कर लिया गया.
मास्टर माइंड और रिश्तेदार महिला का था अवैध संबंध: विराट अपहरण कांड में सबसे अहम भूमिका विराट के रिश्ते में बड़ी मम्मी का रहा. उसका और विराट अपहरण कांड के मास्टरमाइंड राजकिशोर का अवैध संबंध था. राजकिशोर को लगभग 14 से 15 लाख रुपए नीता सराफ ने उधार दे रखा था. इसी की वसूली के लिए बार बार बोलती थी, तब राजकिशोर ने अपहरण का जाल बुना. इस जाल में उसने अपने साथ कुछ और युवाओं को लिया और पूरा अपहरण कांड का स्क्रिप्ट लिखा. राजकिशोर और नीता सराफ के बीच अवैध संबंध होने की वजह से नीता सराफ भी अपने परिवार के किसी भी बच्चे के अपहरण करने के लिए राजी हो गई.
मुख्य आरोपी के साथ भागने के फिराक में थी रिश्तेदार महिला: अपहरणकर्ताओं और नीता सराफ के बीच यह बात हुई कि परिवार के किसी भी बच्चे को उठा लेंगे और बड़ी रकम लेकर आपस में बंटवारा कर लेंगे. नीता सराफ के उधारी पैसे को भी राजकिशोर चुका देगा. पूरे मामले में नीता सराफ ने अहम भूमिका निभाई थी. क्योंकि उसे अपने पैसे तो चाहिए थे, साथ ही परिवार से छुटकारा भी चाहती थी. वह पैसे मिलने के बाद राजकिशोर के साथ नया परिवार बसाने सोंच रही थी.
अपहरण के लिए दूसरा बच्चा था टारगेट: सत्यनारायण सराफ का परिवार बहुत बड़ा था. उनके परिवार में 6 भाई थे और भाइयों के काफी सारे बच्चे थे. उनके बच्चों के भी बच्चे हो गए थे. नीता सराफ विवेक सराफ के सगे चाचा की बहू थी. नीता ने अपने सगे जेठ के बेटे को अपहरण करने की योजना तैयार की. इस योजना में अपहरणकर्ताओं ने 3 दिन तक सरकंडा थाना क्षेत्र के विजयापुरम कॉलोनी में रेकी करते रहे. लेकिन जिस बच्चे को टारगेट किया गया था, वह ज्यादा घर से बाहर नहीं निकलता था. इसलिए यह योजना उनकी फेल हो गई थी.
योजना फेल होने के बाद सभी अपहरणकर्ता वापस जाने लगे. तब नीता सराफ ने उन्हें रोककर कहा कि एक और बच्चा है, जिसका अपहरण कर सकते हैं. वह बच्चा घर से बाहर खेलता रहता है और उसे आसानी से उठाया जा सकता है. तब अपहरणकर्ताओं ने विराट सराफ को टारगेट किया और रेकी करने लगे. 20 अप्रैल की शाम के उन्हें मौका मिला और उन लोगों ने विराट का अपहरण कर लिया.
पुलिस की सूझबूझ और तकनीकी सहायता से सफल हुआ ऑपरेशन विराट: विराट अपहरण कांड के दौरान तात्कालिक आईजी प्रदीप गुप्ता और बिलासपुर एसपी अभिषेक मीणा ने अहम भूमिका निभाई. विराट अपहरण कांड के मिशन को कामयाब बनाने और विराट को सकुशल छुड़ाने शहर के कई थाना स्टाफ को शामिल किया गया. साथ ही जिले के बाहर से भी एक्सपर्ट अधिकारी मिशन को कामयाब बनाने के लिए शामिल किये गये थे.
आईजी प्रदीप गुप्ता और बिलासपुर एसपी अभिषेक मीणा सहित तात्कालिक सिविल लाइन थाना प्रभारी रहे टीआई कलीम खान ने कई तथ्यों खंगाला. इसके साथ सैकड़ों मोबाइल नंबर और हजारों लोकेशन को ट्रेस करते हुए इस कांड को बड़ी सूझबूझ से सुलझाया. क्योंकि विराट के अपहरण के बाद अपहरणकर्ता उसे बिहार ले जाना चाहते थे. लेकिन उस दौरान चुनाव चल रहा था. चुनावी माहौल में शहर, जिला और राज्य के बाहर जाने के लिए मुख्य सड़कों पर चेक पोस्ट तैयार किए गए थे. जहां पुलिस मुस्तैदी से हर गाड़ियों को जांच कर रही थी. आरोपियों के बार बार लोकेशन बदलने से कई बार तो पुलिस भी उनके झांसे में आ गई थी. लेकिन साइबर एक्सपर्ट और अधिकारियों की सूझबूझ ने इस केस को सुलझाया और विराट को सकुशल बरामद किया.
पांचों आरोपियों को हुई आजीवन कारावास की सजा: केस डायरी भी ऐसी तैयार की गई थी कि अपहरण कांड में शामिल विराट की बड़ी मां और चार आरोपी सहित पांचों को आजीवन कारावास की सजा हुई. अब विराट 10 साल को हो गया है और वह इस पूरे मामले को दोबारा याद नहीं करना चाहता. क्योंकि उसके लिए यह काफी दर्द भरा सफर रहा. अब विराट काफी खुश और आम बच्चों की तरह लोगों में घुल मिलकर रहने लगा है.