बिलासपुर: गर्मी के दिनों में आग लगने की घटना आम बात है. कई बार घटना स्थल पर फायर सेफ्टी का इंतजाम प्रॉपर नहीं होता है. जिससे आगजनी की घटना से जानमाल का नुकसान होता है. अब सरकारी स्कूलों के साथ-साथ निजी स्कूल भी खुलने वाले हैं. ऐसे में स्कूलों में फायर सेफ्टी को लेकर क्या व्यवस्था है. इसे लेकर ETV भारत की टीम ने बिलासपुर शहर के निजी स्कूलों में फायर सेफ्टी और अन्य जरुरी बंदोबस्त का जायजा लिया.
वैक्सीनेशन की प्रक्रिया तेज होने के बाद शहर के तमाम निजी स्कूल प्रबंधन ने अब दोबारा कमर कस ली है. तमाम स्कूल अब शासन के निर्देशों के इंतजार में बैठे हैं कि कब शासन की ओर से उन्हें आदेश मिले और वो स्कूलों को पहले की तरह संचालित करें. अब चूंकि छत्तीसगढ़ सरकार ने स्कूल खोलने की घोषणा कर दी है. तो ऐसे में ये जानना जरुरी है कि स्कूलों में फायर सेफ्टी के लिए क्या व्यवस्थाएं हैं.
फायर सेफ्टी का लिया जायजा
बीते साल की कुछ देशव्यापी घटनाओं के मद्देनजर स्कूलों में अब फायर सेफ्टी मैनेजमेंट बहुत जरूरी हो गया है. ETV भारत ने शहर के कुछ ऐसे निजी स्कूलों का जायजा लिया जहां छात्रों की स्ट्रेंथ ज्यादा है. ये स्कूल रिहायशी क्षेत्रों में है. स्ट्रेंथ के मुताबिक इन स्कूलों में फायर सेफ्टी मैनेजमेंट के अलावा अन्य जरूरी सुविधाएं ठीक ठाक नजर आई. सिविल लाइंस क्षेत्र में निजी स्कूलों का प्रबंधन संतोषजनक नजर आया. फायर सेफ्टी के मद्देनजर हमने स्कूलों की तमाम कक्षाओं और उन सार्वजनिक जगहों का जायजा लिया, जहां छात्रों की उपस्थिति ज्यादा रहती है. यहां लगभग हर क्लास के बाहर फायर एक्सटिंग्विशर लगे मिले. कई जगह रेत से भरी बाल्टियां भी दिखी.
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हर तीन साल में रिन्यू करनी होती है मान्यता
स्कूलों के निरीक्षण के दौरान साफ सफाई की व्यवस्था भी दुरुस्त दिखी. इसके अलावा शौचालय और पेयजल की सुविधा भी ठीक रही. जो शासन के मानदंडों के अनुसार मौजूद थी. स्कूलों में मूल रूप से फायर सेफ्टी के अलावा, पर्याप्त क्लास, पंखे, कूलर, लाइट, पेयजल, शौचालय, खेल मैदान जैसी सुविधाओं का जायजा लेती है. फिर स्कूल की मान्यता को रिन्यू किया जाता है. स्कूल अगर नॉर्म्स को फॉलो नहीं करते तो मान्यता रद्द कर दी जाती है.
शिकायत मिलने पर भी औचक निरीक्षण
बिलासपुर जिले में सरकारी स्कूलों की संख्या 1 हजार 857 है. फिलहाल जिले में 3 इंग्लिश मीडियम स्कूल भी संचालित किए जा रहे हैं. प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी की मानें तो अधिकारियों की टीम बीच-बीच में निजी स्कूलों का निरीक्षण करती रहती है. खासकर जेंडरवाइज शौचालय, हवादार कक्षा, लाइब्रेरी, लैब, स्किल्ड टीचर, फायर सिस्टम का निरीक्षण किया जाता है. कुछ कमी होने पर एक्शन भी लिया जाता है. शिकायत मिलने पर भी औचक निरीक्षण किया जाता है.
मॉकड्रिल के जरिए बच्चों को उपाय बताए जाते हैं.
जिला अग्निशमन अधिकारी ने बताया कि बीच-बीच में उनका विभाग स्कूली बच्चों को मॉकड्रिल के माध्यम से आपातकाल में आग से बचने के उपायों को बताता है. शिकायत के आधार पर स्कूलों का निरीक्षण भी किया जाता है. जरूरी है कि जितनी बड़ी बिल्डिंग हो उतनी ही मजबूत फायर सिस्टम हो. जगह-जगह पर फायर एक्सटिंग्विशर के साथ- साथ पर्याप्त पानी की सुविधा हॉज ड्रिल, फायर अलार्म, स्प्रिंक्लर सिस्टम भी निहायत जरूरी है.