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Kota Assembly Seat In Bilaspur: सर्वआदिवासी समाज ने कोटा विधानसभा सीट पर ठोकी दावेदारी, बदल सकता है समीकरण - बिलासपुर जिले के 6 विधानसभा

Kota Assembly Seat In Bilaspur: सर्वआदिवासी समाज ने कोटा विधानसभा सीट पर अपनी दावेदारी ठोकी है. समाज ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टी से टिकट की मांग की है. साथ ही चुनाव में जीत हासिल करने की बात कही है. वहीं, टिकट न मिलने पर विरोध न करने की भी बात सर्वआदिवासी समाज ने कही है.

All tribal community candidate ticket claim
सर्वआदिवासी समाज ने कोटा विधानसभा सीट पर ठोकी दावेदारी
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Sep 4, 2023, 10:36 PM IST

सर्व आदिवासी समाज के नेता सुरेंद्र कुमार प्रधान

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज अब तक आरक्षित सीटों पर टिकट पाकर चुनाव लड़ता आ रहा था. हालांकि अब वह सामान्य सीटों पर भी अधिकार मांगने लगा है. बिलासपुर जिले में 6 विधानसभा सीटें हैं, इनमें एक अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. जबकि पांच सीट सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित है. इसमें कोई भी समाज के लोग चुनाव लड़ सकते हैं. जिले का कोटा विधानसभा सीट भी एक सामान्य सीट है. बावजूद इसके इस सीट को लेकर सर्व आदिवासी समाज से समाज के किसी भी एक व्यक्ति को टिकट देने की मांग की जा रही है.

कोटा में सर्वआदिवासी समाज ने ठोकी दावेदारी: दरअसल, सर्व आदिवासी समाज प्रदेश की दोनों बड़ी पार्टी भाजपा और कांग्रेस से टिकट मांग रही है. समाज के नेताओं का कहना है कि, कोई भी पार्टी उनके समाज के किसी भी व्यक्ति को टिकट दे दे. सर्व आदिवासी समाज का कहना है कि कोटा विधानसभा 60 फीसद से भी ज्यादा आदिवासी बहुल क्षेत्र है. यहां से आदिवासी समाज को टिकट देने पर जीत जरूर होगी. बता दें कि जिले का कोटा क्षेत्र आदिवासी बहुल इलाका है इसलिए उन्हें यहां से एक टिकट चाहिए.

क्या कहते हैं सर्व आदिवासी समाज के नेता ?: इस बारे में ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान सर्व आदिवासी समाज के नेता सुरेंद्र कुमार प्रधान ने कहा कि "छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज की संख्या अधिक है. पूरे प्रदेश में समाज के लोग फैले हुए हैं. इस वजह से सामाजिक और राजनीतिक उत्थान के लिए आदिवासियों को आगे बढ़ाने की जरूरत है. नई पीढ़ी सामाजिक और राजनीतिक तौर पर मजबूत हो, इसके लिए पार्टी में सर्व आदिवासी समाज के नाताओं का होना जरूरी है. हम सामान्य सीटों पर भी अपनी दावेदारी कर रहे हैं. ताकि सामान्य सीटों से जीतकर समाज के लोग जब विधानसभा में पहुंचेंगे, तो आदिवासियों के हितों के लिए सोचेंगे और आदिवासी के उत्थान के लिए सरकार काम करेगी. यदि कोई पार्टी टिकट नहीं देगी, तो समाज विद्रोह नहीं करेगा."

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अब तक नहीं आई बीजेपी और कांग्रेस से प्रतिक्रिया: बिलासपुर जिले के 6 विधानसभा सीटों में समय दर समय चुनावी गणित बदलता ही जा रहा है. प्रदेश के बड़े नेता सहित जिले के बड़े नेता, विधायक और पूर्व विधायक चुनावी जंग जीतने और टिकट पाने की तैयारी शुरू कर चुके हैं. दूसरी ओर छत्तीसगढ़ के मूल निवासी आदिवासी समाज भी जिले की सामान्य सीट पर अपना अधिकार मांग रहे हैं. हालांकि इस पर अब तक दोनों बड़ी पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.

सर्व आदिवासी समाज के नेता सुरेंद्र कुमार प्रधान

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज अब तक आरक्षित सीटों पर टिकट पाकर चुनाव लड़ता आ रहा था. हालांकि अब वह सामान्य सीटों पर भी अधिकार मांगने लगा है. बिलासपुर जिले में 6 विधानसभा सीटें हैं, इनमें एक अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. जबकि पांच सीट सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित है. इसमें कोई भी समाज के लोग चुनाव लड़ सकते हैं. जिले का कोटा विधानसभा सीट भी एक सामान्य सीट है. बावजूद इसके इस सीट को लेकर सर्व आदिवासी समाज से समाज के किसी भी एक व्यक्ति को टिकट देने की मांग की जा रही है.

कोटा में सर्वआदिवासी समाज ने ठोकी दावेदारी: दरअसल, सर्व आदिवासी समाज प्रदेश की दोनों बड़ी पार्टी भाजपा और कांग्रेस से टिकट मांग रही है. समाज के नेताओं का कहना है कि, कोई भी पार्टी उनके समाज के किसी भी व्यक्ति को टिकट दे दे. सर्व आदिवासी समाज का कहना है कि कोटा विधानसभा 60 फीसद से भी ज्यादा आदिवासी बहुल क्षेत्र है. यहां से आदिवासी समाज को टिकट देने पर जीत जरूर होगी. बता दें कि जिले का कोटा क्षेत्र आदिवासी बहुल इलाका है इसलिए उन्हें यहां से एक टिकट चाहिए.

क्या कहते हैं सर्व आदिवासी समाज के नेता ?: इस बारे में ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान सर्व आदिवासी समाज के नेता सुरेंद्र कुमार प्रधान ने कहा कि "छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज की संख्या अधिक है. पूरे प्रदेश में समाज के लोग फैले हुए हैं. इस वजह से सामाजिक और राजनीतिक उत्थान के लिए आदिवासियों को आगे बढ़ाने की जरूरत है. नई पीढ़ी सामाजिक और राजनीतिक तौर पर मजबूत हो, इसके लिए पार्टी में सर्व आदिवासी समाज के नाताओं का होना जरूरी है. हम सामान्य सीटों पर भी अपनी दावेदारी कर रहे हैं. ताकि सामान्य सीटों से जीतकर समाज के लोग जब विधानसभा में पहुंचेंगे, तो आदिवासियों के हितों के लिए सोचेंगे और आदिवासी के उत्थान के लिए सरकार काम करेगी. यदि कोई पार्टी टिकट नहीं देगी, तो समाज विद्रोह नहीं करेगा."

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