बिलासपुर : छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित नारायणपुर हिंसा मामले में जेल में बंद 5 आरोपियों की हाईकोर्ट ने जमानत मंजूर कर ली है. 2 जनवरी के दिन ग्रामीणों ने बैठक के बाद चर्च में तोड़फोड़ करनी शुरु की.पुलिस ने जब रोकना चाहा तो दोनों पक्षों में विवाद हुआ. इस झड़प में तत्कालीन एसपी सदानंद कुमार और टीआई को चोट लगी थी. मामले में पुलिस ने 50 से ज्यादा आदिवासियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तारी की थी.
क्या था पूरा मामला : नारायणपुर में धर्म परिवर्तन को लेकर दो पक्षों के बीच विवाद चल रहा था. ईसाई मिशनरियों पर आरोप लगाकर जबरदस्ती प्रलोभन देकर आदिवासियों का धर्म परिवर्तन कराने की बात कहते हुए, मामले में ग्रामीणों ने विरोध किया था. आरोप है कि धर्मांतरण को लेकर जब ग्रामीणों ने विरोध जताया तो ईसाई मिशनरी और मतांतरित आदिवासियों ने मारपीट की.
ग्रामीणों ने एसपी पर किया था हमला : घटना के विरोध में आदिवासी समाज के लोगों ने गांव में बैठक रखी थी. पुलिस को अंदेशा था कि मामला उग्र रूप ले सकता है.लिहाजा खुद एसपी सदानंद मौके पर मौजूद थे. लेकिन बैठक खत्म होने के बाद आदिवासियों ने एक चर्च पर तोड़फोड़ कर दी. जब चर्च के उपद्रव को रोकने के लिए पुलिस बल आया तो ग्रामीणों ने पुलिस बल पर पथराव करना शुरु किया. जिसमें एसपी और टीआई को गंभीर चोट लगी थी. पुलिस के साथ मारपीट के बाद 50 से ज्यादा आदिवासियों को आरोपी बनाकर जेल भेजा गया था.
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हाईकोर्ट से किन लोगों को मिली जमानत : जिन पांच आदिवासियों को हाईकोर्ट से जमानत मिली है उनमें रुपसाइ सलाम, अतुल नेताम, अंकित नंदी, पवन कुमार नाग, डोमेन्द्र कुमार यादव नंदी शामिल हैं. इस सभी को पुलिस ने बलवा और हिंसा फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया था. निचली अदालत में जमानत याचिका खारिज होने के बाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया था.