बिलासपुर: दस्तावेज की गलत जानकारी तैयार करने वाले आरोपी को सरकंडा पुलिस ने पकड़ लिया है. इससे पहले चार आरोपी को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है. रिक्शा चालक भोंदूदास के नाम पर करोड़ों की जमीन बिक्रीनामा बनाकर जमीन बेचने का मामला सामने आया था, जिसमें मोपका के चिल्हाटी की जमीन को अपने नाम कर बेचने कुटरचोट दस्तावेज तैयार कर बिक्री की गई थी. मामला सामने आने पर रिटायर्ड तहसीलदार ने सरकंडा थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई थी.
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क्या है पूरा मामला: कुछ दिन पहले किसी ने जिला प्रशासन और पुलिस को शिकायत के माध्यम से बताया कि बिलासपुर के हेमुनागर के रिक्शा चालक भोंदू दास के नाम चिल्हाटी, मोपका और लगरा की करोड़ों रुपए के सरकारी और कुछ निजी जमीनों को सरकारी दस्तावेजों में छेड़छाड़ कर उसके नाम कर दिया गया है. जमीन घोटाले में करोड़पति रिक्शा चालक भोंदू दास ने साल 1976 में जिससे जमीन खरीदने का दावा किया है. उसकी मौत 1974 में ही हो चुकी थी. लेकिन साल 2015 में इन जमीनों के नामांतरण और रिकॉर्ड के लिए फाइल राजस्व कार्यालय पहुंची, तो बिना जांच किये उस समय तहसीलदार रहे संदीप ठाकुर ने साइन भी कर दिया. जमीन का नामांतरण होने के बाद इसका पावर ऑफ अटॉर्नी किसी ने अपने नाम कर लिया. इसके बाद उस भूमाफिया ने जमीनों को बेचने का काम शुरू कर दिया. इस मामले में मिली शिकायत के बाद जिला प्रशासन के निर्देश के बाद पुलिस ने एफआईआर कर जांच कमेटी गठित कर जांच शुरू की.
पुलिस जांच में ये बाते आई सामने: प्रकरण के संबंध में शिकायत होने पर पुलिस ने जांच की. प्रतिवेदन की जांच की गई तो ग्राम चिल्हाटी, ग्राम लगरा और ग्राम मोपका की भूमि के संबंध में भोंदूदास की संलिप्तत होने पर केस दर्ज कर कार्रवाई किये जाने का आदेशित किया गया है. जांच टीम ने जांच में कागजात को कूट-रचित कर प्रस्तुत किया जाना पाया गया था, जिसमें तहसीलदार न्यायालय में कागजात प्रस्तुत कर अपने नाम दर्ज कराने वाले आवेदक भोंदूदास मानिकपुरी निवासी मंझवापारा हेमूनगर को दस्तावेजों को तैयार करने वाले संबंधित व्यक्तियों के विरूद्ध एफआईआर दर्ज कर जांच की जा रही थी. पुलिस जांच में आरोपीयों के तत्कालीन पटवारी अशोक जयसवाल की संलिप्तता पाई गई. पूछताछ में आरोपी ने जुर्म स्वीकार कर लिया.
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मुख्यमंत्री और आईजी से शिकायत के बाद जांच हुई शुरू: इस जमीन घोटाले के मामले में जिस शिकायतकर्ता ने जिला प्रशासन को शिकायत की थी. उसने प्रदेश के मुख्यमंत्री और बिलासपुर रेंज के आईजी को भी शिकायत की थी. शिकायत में बताया गया था कि भोंदूदास के नाम पर मोपका और चिल्हाटी में कई एकड़ सरकारी जमीन दर्ज थी. इस पर प्लॉटिंग भी शुरू हो गई. इस मामले की शिकायत के बाद IG रतनलाल डांगी ने जांच बिठा दी. जांच के बाद मामले की परत खुलने लगी तो अचानक से तत्कालीन तहसीलदार संदीप ठाकुर ने मामले में अपनी तरफ से एफआईआर करवाई. सोमवार को रिक्शा चालक भोंदूदास को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. जबकि इस पूरे मामले में घोटाले की एफआईआर वर्तमान अफसर को दर्ज करानी चाहिए थी. लेकिन वर्तमान अफसर की जगह पूर्व में तहसीलदार रहे संदीप ठाकुर ने मामले पर खुद को बचाने एफआईआर दर्ज कराई है.
कौन है मास्टरमाइंड: करोड़ों की सरकारी और निजी जमीन रिक्शा चालक के नाम है. जबकि पूरे मामले में इस कृत्य को रिक्शा चालक अंजाम नहीं दे सकता. पूरे मामले का मास्टरमाइंड कौन है? इसका जवाब पुलिस के पास भी नहीं है. मामले में एसएसपी पारुल माथुर का कहना है कि, जमीनों की जब-जब रजिस्ट्री हुई है. तब-तब रिक्शा चालक भोंदूदास के बैंक एकाउंट में सेल्फ डिपॉजिट और अन्य माध्यम से पैसे जमा हुआ है. इस मामले में एसएसपी ने कहा कि वो इस पूरे मामले के हर पहलू की जांच करवा रहे हैं. साथ ही रिक्शा चालक भोंदूदास से पूछताछ में दो अन्य का नाम बताया है. इस मामले में उन दो अन्य की भूमिका की भी तलाश की जा रही है. पूरे मामले को गंभीरता से जांच करने की बात कही है.
पकड़ा गया आरोपी का नाम पता
- अशोक जयसवाल पिता स्वं हीरालाल जयसवाल (60) निवासी ग्राम धनिया, थाना सीपत, जिला बिलासपुर
चार आरोपी पहले हो चुके है गिरफ्तार - भोदूदास मानिपुरी पिता छेदीदास मानिकपुरी (60) निवासी वार्ड नं 42, राधाकृष्ण मंदिर के पास तोरवा, थाना तोरवा, बिलासपुर
- सुरेश मिश्रा पिता जीपी मिश्रा (57) निवासी राजकिशोर नगर थाना सरकण्डा
- हैरी जोसेफ पिता लियो जोसेफ (45) निवासी सिमपारा, तोरवा थाना, जिला बिलासपुर
- रामकुमार यादव (34) पिता स्वं शिव प्रसाद यादव निवासी कासिमपारा, तोरवा थाना, जिला बिलासपुर