ETV Bharat / state

रतनपुर में 7 दिवसीय माघी पूर्णिमा मेले का आयोजन - कोरोना संक्रमण का खतरा

बिलासपुर के रतनपुर में माघी पूर्णिमा आदिवासी विकास मेले का आयोजन किया गया है. मेले में हजारों की संख्या में लोग पहुंच रहे हैं. कोरोना महामारी के कारण सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं होंगे.

7 day Maghi Purnima fair organized in Ratanpur of bilaspur
माघी पूर्णिमा मेले का आयोजन
author img

By

Published : Feb 28, 2021, 7:56 PM IST

बिलासपुर: रतनपुर में माघी पूर्णिमा आदिवासी विकास मेला का आयोजन किया गया है. रतनपुर में 7 दिनों का मेला लगा है. कोरोना महामारी के कारण सरकारी प्रदर्शनी नहीं लगाए गए हैं. इस बार सांस्कृतिक कार्यक्रम भी नहीं हो रहे हैं. मेले में घूमने आने वाले लोग झूले का आनंद ले पाएंगे. मेले में दुकानें सज कर तैयार हैं.

7 day Maghi Purnima fair organized in Ratanpur of bilaspur
रतनपुर में 7 दिवसीय माघी पूर्णिमा मेले का आयोजन

बेमेतरा: मरका मेला में उमड़ी भीड़, प्रदेश भर से पहुंचे श्रद्धालु

आदिवासी विकास मेला का आयोजन आठा बीसा तालाब के किनारे किया गया है. कहा जाता है राजा की मृत्यु के बाद उनकी 28 रानियां माघी पूर्णिमा के दिन उनके शव के साथ सती हो गईं थीं. इसके बाद उसी स्थान पर तालाब खुदवाया गया. तालाब को आठा बीसा तालाब के नाम से जाना जाता है.

7 day Maghi Purnima fair organized in Ratanpur of bilaspur
मेले में दुकानें सजकर तैयार

माघी पूर्णिमा मेले का आयोजन, लोगों ने लगाई आस्था की डुबकी

मेले में हजारों की तादात में पहुंच रहे लोग

जानकारों के मुताबिक राजा और रानियों की याद में माघी पूर्णिमा मेला का आयोजन किया जाता है. 27 फरवरी से लगने वाला रतनपुर का माघी पूर्णिमा मेला पूरे छत्तीसगढ़ में प्रसिद्ध है. ये मेला 1 सप्ताह तक जारी रहेगा. मेले में हजारों की तादात में लोग पहुंच रहे हैं.

500 से अधिक साल से लगते आ रहा मेला

बताया जाता है कि धार्मिक नगरी रतनपुर में यह मेला 500 से अधिक साल से लगते आ रहा है. मेले का एतिहासिक महत्व है. इस मेले की पारंपरिक प्रसाद उखरा लाई है. इसके अलावा दुकानों में कई मिठाइयां और जलेबी की दुकानें भी लगी हैं. प्राचीन परंपरा के अनुरूप यहां के चित्रकार परिवार लकड़ी के तलवार, चिड़िया गाड़ी बनाते हैं, जो प्रसिद्ध खिलौने हैं. मेले में तरह-तरह के झूला, सर्कस, मौत कुआं समेत कई मनोरंजन के साधन हैं, जो यहां की सुंदरता में चार चांद लगा रहे हैं.

छत्तीसगढ़ी सांस्कृतिक कार्यक्रमों का नहीं होगा आयोजन

मेले में लोक संस्कृति की भी छटा देखने को मिलता है, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के खतरे के कारण सांस्कृतिक कार्यक्रमों को टाल दिया गया है. मेले में रोजाना छत्तीसगढ़ी सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते थे. एक से बढ़कर एक गीतकार और कलाकार पहुंचते थे. इस बार मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं हो रहे हैं. सरकारी तौर पर आदिवासियों से जुड़े स्टॉल भी लगाए जाते थे, लेकिन कोई प्रदर्शनी नहीं लगाए गए हैं.

बिलासपुर: रतनपुर में माघी पूर्णिमा आदिवासी विकास मेला का आयोजन किया गया है. रतनपुर में 7 दिनों का मेला लगा है. कोरोना महामारी के कारण सरकारी प्रदर्शनी नहीं लगाए गए हैं. इस बार सांस्कृतिक कार्यक्रम भी नहीं हो रहे हैं. मेले में घूमने आने वाले लोग झूले का आनंद ले पाएंगे. मेले में दुकानें सज कर तैयार हैं.

7 day Maghi Purnima fair organized in Ratanpur of bilaspur
रतनपुर में 7 दिवसीय माघी पूर्णिमा मेले का आयोजन

बेमेतरा: मरका मेला में उमड़ी भीड़, प्रदेश भर से पहुंचे श्रद्धालु

आदिवासी विकास मेला का आयोजन आठा बीसा तालाब के किनारे किया गया है. कहा जाता है राजा की मृत्यु के बाद उनकी 28 रानियां माघी पूर्णिमा के दिन उनके शव के साथ सती हो गईं थीं. इसके बाद उसी स्थान पर तालाब खुदवाया गया. तालाब को आठा बीसा तालाब के नाम से जाना जाता है.

7 day Maghi Purnima fair organized in Ratanpur of bilaspur
मेले में दुकानें सजकर तैयार

माघी पूर्णिमा मेले का आयोजन, लोगों ने लगाई आस्था की डुबकी

मेले में हजारों की तादात में पहुंच रहे लोग

जानकारों के मुताबिक राजा और रानियों की याद में माघी पूर्णिमा मेला का आयोजन किया जाता है. 27 फरवरी से लगने वाला रतनपुर का माघी पूर्णिमा मेला पूरे छत्तीसगढ़ में प्रसिद्ध है. ये मेला 1 सप्ताह तक जारी रहेगा. मेले में हजारों की तादात में लोग पहुंच रहे हैं.

500 से अधिक साल से लगते आ रहा मेला

बताया जाता है कि धार्मिक नगरी रतनपुर में यह मेला 500 से अधिक साल से लगते आ रहा है. मेले का एतिहासिक महत्व है. इस मेले की पारंपरिक प्रसाद उखरा लाई है. इसके अलावा दुकानों में कई मिठाइयां और जलेबी की दुकानें भी लगी हैं. प्राचीन परंपरा के अनुरूप यहां के चित्रकार परिवार लकड़ी के तलवार, चिड़िया गाड़ी बनाते हैं, जो प्रसिद्ध खिलौने हैं. मेले में तरह-तरह के झूला, सर्कस, मौत कुआं समेत कई मनोरंजन के साधन हैं, जो यहां की सुंदरता में चार चांद लगा रहे हैं.

छत्तीसगढ़ी सांस्कृतिक कार्यक्रमों का नहीं होगा आयोजन

मेले में लोक संस्कृति की भी छटा देखने को मिलता है, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के खतरे के कारण सांस्कृतिक कार्यक्रमों को टाल दिया गया है. मेले में रोजाना छत्तीसगढ़ी सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते थे. एक से बढ़कर एक गीतकार और कलाकार पहुंचते थे. इस बार मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं हो रहे हैं. सरकारी तौर पर आदिवासियों से जुड़े स्टॉल भी लगाए जाते थे, लेकिन कोई प्रदर्शनी नहीं लगाए गए हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.