बिलासपुर: मस्तूरी विकासखंड के मड़ई गांव से मवेशियाें की मौत का मामला सामने आया है. यहां एक स्कूल के छोटे से कमरे में रखे गए 4 मवेशियों की मौत हो गई है. जानकारी के मुताबिक जिस कमरे में मवेशियों की मौत हुई, वहां इनके चारे का कोई प्रबंध नहीं किया गया था. घटना स्थल का मुआयना करने पहुंची अतिरिक्त तहसीलदार संध्या नामदेव ने कहा कि 7 अगस्त को गांव की सरपंच ने ग्रामीणों से बातचीत के बाद मवेशियों को स्कूल में रखा था.
अतिरिक्त तहसीलदार ने बताया कि सरकार की तरफ से पहले ही कह दिया गया है कि गांव के मवेशियों को इस तरह कैद करके न रखें. सरपंच राधिका साहू ने कहा कि ऐसे किसी निर्देश की जानकारी उन्हें नहीं है. अतिरिक्त तहसीलदार ने घटना की जांच की बात कही है. साथ ही दोषियों पर नियमों के मुताबिक कार्रवाई भी की जाएगी. सरपंच ने अपनी सफाई में कहा कि हमने किसानों से कहा था कि वो अपने मवेशियों को यहां से ले जाएं, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया. जानवरों की वजह फसलों को नुकसान न हो इसके लिए मवेशियों को स्कूल के कमरे में रखा गया था.
पढ़ें: रायगढ़: गोधन न्याय योजना के तहत गोबर खरीदी शुरू, किसानों को होगा फायदा
बता दें, अभी हाल ही में तखतपुर ब्लॉक के मेढ़पार बाजार गांव में 47 मवेशियों की मौत हुई थी. इन्हें भी ऐसे ही कमरे में कैद करके रखा गया था. इस घटना की जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि गायों की मौत दम घुटने से हुई है. बीते 24 जुलाई को फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले करीब 60 मवेशियों को ग्रामीणों ने जर्जर पंचायत भवन में रख दिया था. मामला सामने आने के कुछ ही देर में कलेक्टर सारांश मित्तर ने चार सदस्यीय जांच कमेटी का गठन कर जांच के निर्देश दिए थे. कुछ ग्रामीणों के खिलाफ पशु क्रूरता अधिनियम के तहत FIR भी दर्ज की गई थी.
जगदलपुर में भी मौत
इधर, जगदलपुर में आड़ावाल जनपद के माड़पाल गांव में देर रात 6 मवेशियों की अचानक मौत हो गई है. मवेशियों के मालिकों ने पशु चिकित्सा विभाग के चिकित्सकों पर गलत टीकाकरण करने के आरोप लगाए हैं. लोगों का कहना है कि टीकाकरण के बाद मवेशियों के मौत हुई है. आड़ावाल के जनपद उपाध्यक्ष सुब्रतो विश्वास ने शासन से मुआवजा देने और केस की जांच करवाने मांग की है.