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पुल बनने से आवागमन हुआ आसान, लेकिन स्थानीय व्यापार में छाई मंदी

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Published : Oct 19, 2019, 9:15 PM IST

Updated : Oct 20, 2019, 10:50 AM IST

बीजापुर के भोपालपटनम ब्लॉक में पुल निर्माण होने से लोगों को आवागम में सुविधा मिलने के साथ ही ग्रामीण इलाको में फेरी लगाकर व्यापार करने वाले व्यापारियो की संख्या भी बढ़ती जा रही है. इस वजह से स्थानीय व्यापारियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है.

इंद्रावती नदी पर पुल का निर्माण

बीजापुरः भोपालपटनम ब्लॉक से लगी इंद्रावती नदी पर पुल बनने के बाद पिछले सप्ताह से आवागमन शुरू हो गया है. पुल बनने से यहां के लोगों का बड़े शहर जाना और दूसरे राज्यों तक पहुंचना आसान हो गया.

वीडियो.

पुल निर्माण होने से लोगों को आवागम में सुविधा मिलने के साथ ही ग्रामीण इलाकों में फेरी लगाकर व्यापार करने वाले व्यापारियो की संख्या भी बढ़ती जा रही है. इस वजह से स्थानीय व्यापारियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है.

पांच साल में पूरा हुआ पुल निर्माण
तिमेड स्थित इंद्रावती नदी पर यह पुल लगभग 80 करोड़ की लागत से बनाया गया है. पुल निर्माण का काम साल 2014 से शुरू किया गया था. पुल की कुल लंबाई 650 मीटर और चौड़ाई 14 मीटर है. नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने की वजह से पुल का निर्माण कड़ी सुरक्षा के बीच किया गया है. साथ ही इसे बनने में लगभग पांच साल का वक्त लगा.

स्थानीय व्यापारियों को नुकसान
दरअसल, बीजापुर जिला महाराष्ट्र और तेलंगाना दोनों राज्यो से जुड़ा हुआ है. जो पास के ग्रामीणों के लिए नजदीक है. इस कारण ग्रामीण अपने स्वास्थ्य समेत तमाम बुनियादी सुविधाओं के लिए इन राज्यों की ओर रुख करते हैं. इंद्रावती नदी पर पुल निर्माण होने से दोनों ही राज्य सड़क मार्ग से जुड़ गए हैं. पुल बनने के बाद से दोनों राज्यों से फेरी व्यापारियों की तादाद बढ़ती जा रही है. इस कारण स्थानीय व्यापारियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है.

कम हुई शहरों से दूरियां
पुल के बनने से बाद से भोपालपटनम से जगदलपुर और हैदराबाद के लिए बसें और दर्जनों टैक्सियां चलने लगी है. यहां से वारंगल 180 किलोमीटर और हैदराबाद की दूरी 340 किलो मीटर हो गई है.

बीजापुरः भोपालपटनम ब्लॉक से लगी इंद्रावती नदी पर पुल बनने के बाद पिछले सप्ताह से आवागमन शुरू हो गया है. पुल बनने से यहां के लोगों का बड़े शहर जाना और दूसरे राज्यों तक पहुंचना आसान हो गया.

वीडियो.

पुल निर्माण होने से लोगों को आवागम में सुविधा मिलने के साथ ही ग्रामीण इलाकों में फेरी लगाकर व्यापार करने वाले व्यापारियो की संख्या भी बढ़ती जा रही है. इस वजह से स्थानीय व्यापारियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है.

पांच साल में पूरा हुआ पुल निर्माण
तिमेड स्थित इंद्रावती नदी पर यह पुल लगभग 80 करोड़ की लागत से बनाया गया है. पुल निर्माण का काम साल 2014 से शुरू किया गया था. पुल की कुल लंबाई 650 मीटर और चौड़ाई 14 मीटर है. नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने की वजह से पुल का निर्माण कड़ी सुरक्षा के बीच किया गया है. साथ ही इसे बनने में लगभग पांच साल का वक्त लगा.

स्थानीय व्यापारियों को नुकसान
दरअसल, बीजापुर जिला महाराष्ट्र और तेलंगाना दोनों राज्यो से जुड़ा हुआ है. जो पास के ग्रामीणों के लिए नजदीक है. इस कारण ग्रामीण अपने स्वास्थ्य समेत तमाम बुनियादी सुविधाओं के लिए इन राज्यों की ओर रुख करते हैं. इंद्रावती नदी पर पुल निर्माण होने से दोनों ही राज्य सड़क मार्ग से जुड़ गए हैं. पुल बनने के बाद से दोनों राज्यों से फेरी व्यापारियों की तादाद बढ़ती जा रही है. इस कारण स्थानीय व्यापारियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है.

कम हुई शहरों से दूरियां
पुल के बनने से बाद से भोपालपटनम से जगदलपुर और हैदराबाद के लिए बसें और दर्जनों टैक्सियां चलने लगी है. यहां से वारंगल 180 किलोमीटर और हैदराबाद की दूरी 340 किलो मीटर हो गई है.

Intro:बीजापुर- जिले के भोपालपटनम ब्लाक से लगी इंद्रावती नदी में पुल निर्माण के बाद पिछले सप्ताह से आवाजाही शुरू हो चुकी है। रोजाना कई गाड़िया इस पुल से आवाजाही हो रही है महानगर व् बड़े शहरो की दूरी काफी ।नज़दीक हो चुकी है लोग हर जरुरत के लिए तेलेंगाना, महाराष्ट्र का रुख कर रहे है। आवागमन शुरू होते ही बहुत से सामानों की खरीदी में राहत मिली है।देश मे प्याज हमेशा सुरकियो में रहा है प्याज के दर बढ़ने पर केंद्र में बीजेपी सरकार को झेलना पड़ा।इस बार भी जिले के बस्तर संभाग में प्याज का 50 व 60 रुपये किलो है जबकि जगदलपुर से करीब 200 की मीटर दूरी में प्याज का दर 40 व 50 रुपये है।कारण यही की इंद्रावती की पुल बनने से महाराष्ट्र व तेलंगाना से खरीदी में दूरी की कमी खरीद दर में भी कमी।फर्नीचर, इलेक्ट्रानिक, हरी भरी साग सब्जी की नई वेराइटी मिल रही है। रोजमर्रे की ताजी साग-सब्जी आसानी से मिल रही है। महारष्ट्र के आसरल्ली, अंकिसा, सिरोंचा से सब्जिया रोज पुल के जरिये बिकने मार्किट में आ रही है। सब्जियों की कीमतों में कुछ हद तक इजाफा हुआ है व् देशी सब्जियों की तादात बड़ी है। फर्नीचर सामान की वेराइटी मिलने लगी है। गांव-गांव घूमकर सामान बेचने वालो की संख्या बड़ गई है।जिससे जिले में रह वासियों को तो सामानों में दर की कमी और दूरी में आवाजाही की सुविधा हो गई है। तेलेंगाना, महाराष्ट्र से व्यापारी सीमा पार कर छत्तीसगढ़ का रुख कर रहे है।लेकिन स्थानीय व्यापारियों को इसमे नुकशान हो रहा है। Body:तिमेड स्थित इंद्रावती नदी में बना वाला पुल का काम 2014 से श्री गणेश हुआ था।बताया जा रहा है की पुल की लंबाई छः सौ पचास मीटर और चौड़ाई चौदह मीटर है। बाइस पिल्लर वाले इस पुल की लागत लगभग अस्सी करोड़ रूपये बताई जा रही है। बाइस पिल्लरो में एक सौ छब्बीस गडर लगे है।
पांच साल में बने इस पुल के निरीक्षण के लिए कई बार नेता और अधिकारियों का दौरा हुआ जिसके बाद ही पुल के काम में तेजी आई। नक्सल प्रभावित क्षेत्र को देखते हुए पुल के दोनों ओर महाराष्ट् शासन व छत्तीसगढ़ शासन के दो कैंप लगाए गए थे वह दोनों केम्पो के माध्यम से वशिष्टा नामक कंपनी को दोनों राज्यों की ओर से कड़ी सुरक्षा दिया गया । इतनी कड़ी सुरक्षा व् सारी सुविधाओ के बाद पुल का काम में गति से चला। जो आज यह पुल अन्तर्राज्यो से जोड़ दिया ।Conclusion:जगदलपुर से सिरोंच, व् सिरोंचा से पटनम के लिए दो व् हैदराबाद के लिए एक बस और दर्जनों टैक्सियां इस रास्ते से चल रही है। स्वस्थ सुविधाओ के लिए भी यह के लोग तेलेंगाना जाते है। यह से बड़े शहर की दूरी मंचिरियाल 130, वारंगल 180 , हैदराबाद 340,  किमी की दूरी है। हालांकि जिले वासियो को इन्द्रावती पुल बनने से आवागमन की सुविधा का लाभ जरूर मिला है व्यापारियों की मंदी जरूर दिख रहा है ।वारंगल से प्याज,टमाटर समेत कही समान आ रहा है ।

बाईट सतीश जैन व्यापारी(मोठे से चश्मा पहने हुए
बाईट कन्हैया व्यापारी बिना चश्मा के
बाईट प्रवीण सफेद शर्ट चश्मा पहने वाले
Last Updated : Oct 20, 2019, 10:50 AM IST
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