बीजापुर: रीता मंडावी की कहानी प्रेरणादायक है. बीजापुर जिले के अड्डावली गांव में रीता मंडावी का हंसता-खेलता परिवार था. आदिवासी समाज को मुख्यधारा में जोड़ने के लिए उनके पति घनश्याम मंडावी हमेशा सजग रहते थे. शासन की योजनाओं और कार्यक्रमों का लाभ उठाने हमेशा लोगों को प्रेरित करते थे. बस यही बात नक्सलियों को खटक गई. एक दिन उनकी नक्सलियों ने उनकी हत्या कर (CM Baghel met Rita mandavi) दी.
रीता के हौसले को सलाम: नक्सलियों को शायद यह लगा कि रीता के पति की हत्या कर वो गांव, समाज और घनश्याम के परिवार की हिम्मत को तोड़ देंगे. लेकिन नक्सलियों को शायद ये पता नहीं था कि मां, पत्नी और सरपंच तीनों की भूमिका निभा रही रीता मंडावी के हौसले कहीं ज्यादा बड़े हैं. पति की मौत के बाद डरने की बजाए रीता ज्यादा मजबूती से खड़ी हुई.
लोगों को जागरूक कर रहीं: रीता अपने 4 साल के बेटे और 2 साल की बेटी के साथ उसी कार्य में लगी रहीं, जो वो अपने स्वर्गीय पति के साथ करती थीं. रीता लोगों को जागरूक करने और शासन की योजनाओं को घर-घर तक पहुंचाने के काम में जुटी हैं.
मुख्यमंत्री से मिली मदद: मुरिया जनजाति से ताल्लुक रखने वाली रीता मंडावी सरपंच का मानदेय भी गांव के लोगों के लिए खर्च कर देती हैं. पति के गुजर जाने के बाद रीता को बस एक ही बात की चिंता थी कि उसके बच्चों की पढ़ाई कैसे होगी, लेकिन अब मुख्यमंत्री से मिली मदद से रीता की ये चिंता भी दूर हो गई है. अब वो पहले से भी ज्यादा मजबूत हो गईं हैं.
बच्चों के बेहतर भविष्य का सपना: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेशव्यापी भेंट-मुलाकात कार्यक्रम में कुटरू क्षेत्र के अपने प्रवास के दौरान नक्सली हिंसा की पीड़ित रीता मंडावी (CM Baghel met Rita) को 5 लाख रुपए कि आर्थिक सहायता दी है. मुख्यमंत्री के हाथों सहायता राशि मिलने के बाद रीता मंडावी का कहना है कि वो इन पैसों को अपने बच्चों की शिक्षा और उनके बेहतर भविष्य के लिए खर्च करेगी. अपने जीवन को पहले की तरह ही समाज सेवा और लोगों को जागरूक करने में समर्पित करेगी.