बीजापुर: सुदूर जंगलों के बीज गंगालूर की पहाड़ियों में बसा एडसमेटा गांव आजादी के 70 साल बाद भी विकास से काफी दूर है. यहां न तो नक्सलियों ने विकास होने दिया और न सरकार ने यहां के लोगों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए किसी तरह की कोई कोशिश की.
बीहड़ में बसे इस गांव में लोगों को पीने के लिए साफ पानी तक नहीं है. शिक्षा, स्वास्थ्य और मकान तो यहां के लोगों के लिए एक सपने जैसा है. गांव के लोग आज भी जंगल में बने एक झिरिया से अपनी प्यास बुझा रहे हैं.
साफ पानी पीने को नसीब नहीं
इलाके में नक्सली आये दिन अपनी कायराना करतूतों को अंजाम देते रहते हैं, इसके कारण सरकार की योजनाएं यहां पहुंचने में नाकाम साबित हो रही है. इस गांव में एक भी बोरिंग नहीं है, जिससे लोगों को साफ पानी मिल सके. ग्रामीण बताते हैं कुछ साल पहले यहां एक बोरिंग लगाया गया था, लेकिन बीते कई सालों से बोरिंग खराब है. जिसपर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.
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नेताओं को पता है गांव की दुर्दशा
इस गांव में 6 साल पहले पुलिस-नक्सली मुठभेड़ हुई थी, जिसके बाद इस गांव को लोग अच्छी तरह से जानने लगे. इसी दौरान 2013 में कांगेस के कई बड़े नेता भी यहां पहुंचे थे, लेकिन नेताओं ने गांव की समस्याओं को देखकर चुपचाप लौट आये और आज तक कुछ नहीं किया.