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नक्सलियों ने कोबरा जवान राकेश्वर सिंह को किया रिहा

नक्सलियों ने बीजापुर से लापता जवान राकेश्वर सिंह को रिहा कर दिया है. सरकार की ओर से गठित 2 सदस्यीय मध्यस्थता टीम के सदस्य पद्मश्री धर्मपाल सैनी और गोंडवाना समाज के अध्यक्ष तेलम बोरैया की मौजूदगी में नक्सलियों ने जवान को रिहा किया.

jawan Rakeshwar Singh released
लापता जवान राकेश्वर सिंह रिहा
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Published : Apr 8, 2021, 6:05 PM IST

Updated : Apr 8, 2021, 10:14 PM IST

बीजापुर: तर्रेम से लापता जवान राकेश्वर सिंह मनहास को नक्सलियों ने रिहा कर दिया है. 3 अप्रैल को तर्रेम के जंगलों में हुई नक्सली मुठभेड़ के बाद से राकेश्वर लापता थे. 6 अप्रैल को प्रेस नोट जारी करके नक्सलियों ने लापता जवान के कब्जे में होने की बात कही थी. राकेश्वर सिंह मनहास कोबरा बटालियन के जवान हैं. वे जम्मू-कश्मीर के रहने वाले हैं. उनका परिवार लगातार सरकार से अपील कर रहा था कि उसे सुरक्षित वापस लाया जाए.

जवान को लेकर कैंप पहुंचे साथी जवान

3 अप्रैल में हुए नक्सली मुठभेड़ में कुल 22 जवान शहीद हो गए थे. 31 जवान घायल हैं, जिनका इलाज छत्तीसगढ़ के अलग-अलग अस्पतालों में जारी है. शहीद हुए जवानों में डीआरजी, एसटीएफ और कोबरा बटालियन के जवान शामिल हैं. इसी मुठभेड़ के बाद से जवान राकेश्वर सिंह मनहास लापता थे.

VIDEO: शहीद पति के पार्थिव देह की आरती उतार कर बिलख पड़ी पत्नी

परिवार ने की थी रिहाई की अपील

इस बीज छत्तीसगढ़ के तमाम समाजिक संगठन और जवान के परिवार वालों ने जवान को सकुशल रिहा करने की अपील की थी. कोबरा बटालियन के जवान की पत्नी ने सरकार से अपील की थी कि जल्द से जल्द कोई मध्यस्थ भेजकर उनके पति को वापस लाया जाए. जवान के नक्सलियों के कब्जे में होने की खबर सुनते ही परिवार का बुरा हाल था. परिजनों ने कहा था कि जैसे सरकार अभिनंदन को पाकिस्तान से वापस लाई थी, वैसे ही राकेश्वर को भी नक्सलियों के चंगुल से वापस लाए. स्थानीय लोगों ने उनकी रिहाई के लिए प्रदर्शन भी किया था.

जवान को रिहा करते नक्सली

इनकी रही अहम भूमिका-

सरकार की ओर से गठित दो सदस्यीय मध्यस्थता टीम के सदस्य पद्मश्री धर्मपाल सैनी और गोंडवाना समाज के अध्यक्ष तेलम बोरैया की मौजूदगी में नक्सलियों ने जवान को रिहा किया. जवान की रिहाई के लिए मध्यस्थता कराने गई दो सदस्यीय टीम के साथ बस्तर के 7 पत्रकारों की टीम भी मौजूद थी. नक्सलियों के बुलाने पर कुल 11 सदस्यीय टीम जवान को रिहा कराने पहुंची थी. इस दौरान मुरतोंडा की सरंपच सुकमती हप्का और रिटायर्ड शिक्षक रूद्रा कारे भी मौजूद रहे.

जवान के साथ मध्यस्थता करने गए लोग

कब क्या हुआ ?

  • 3 अप्रैल को नक्सली मुठभेड़ हुई थी.
  • 4 अप्रैल को 22 जवानों की शहादत की खबर आई. 31 जवानों के घायल होने की पुष्टि हुई.
  • 5 अप्रैल को खबर मिली कि जवान राकेश्वर सिंह मनहास नक्सलियों के कब्जे में हैं.
  • 6 अप्रैल को नक्सलियों ने प्रेस नोट जारी कर जवान के कब्जे में होने का दावा किया.
  • 7 अप्रैल को परिवार ने रिहाई की गुहार लगाई. छत्तीसगढ़ के सामाजिक संगठनों ने भी रिहाई की अपील की.
  • 8 अप्रैल को नक्सलियों ने जवान को रिहा कर दिया. इसमें 11 सदस्यीय टीम ने अहम भूमिका निभाई.
    Soldier Rakeshwar Singh released from Bijapur
    जवान के साथ धर्मपाल सैनी, तेलम बोरैया, मुरतोंडा की सरंपच सुकमती हप्का और रिटायर्ट शिक्षक रूद्रा कारे

बीजापुर: तर्रेम से लापता जवान राकेश्वर सिंह मनहास को नक्सलियों ने रिहा कर दिया है. 3 अप्रैल को तर्रेम के जंगलों में हुई नक्सली मुठभेड़ के बाद से राकेश्वर लापता थे. 6 अप्रैल को प्रेस नोट जारी करके नक्सलियों ने लापता जवान के कब्जे में होने की बात कही थी. राकेश्वर सिंह मनहास कोबरा बटालियन के जवान हैं. वे जम्मू-कश्मीर के रहने वाले हैं. उनका परिवार लगातार सरकार से अपील कर रहा था कि उसे सुरक्षित वापस लाया जाए.

जवान को लेकर कैंप पहुंचे साथी जवान

3 अप्रैल में हुए नक्सली मुठभेड़ में कुल 22 जवान शहीद हो गए थे. 31 जवान घायल हैं, जिनका इलाज छत्तीसगढ़ के अलग-अलग अस्पतालों में जारी है. शहीद हुए जवानों में डीआरजी, एसटीएफ और कोबरा बटालियन के जवान शामिल हैं. इसी मुठभेड़ के बाद से जवान राकेश्वर सिंह मनहास लापता थे.

VIDEO: शहीद पति के पार्थिव देह की आरती उतार कर बिलख पड़ी पत्नी

परिवार ने की थी रिहाई की अपील

इस बीज छत्तीसगढ़ के तमाम समाजिक संगठन और जवान के परिवार वालों ने जवान को सकुशल रिहा करने की अपील की थी. कोबरा बटालियन के जवान की पत्नी ने सरकार से अपील की थी कि जल्द से जल्द कोई मध्यस्थ भेजकर उनके पति को वापस लाया जाए. जवान के नक्सलियों के कब्जे में होने की खबर सुनते ही परिवार का बुरा हाल था. परिजनों ने कहा था कि जैसे सरकार अभिनंदन को पाकिस्तान से वापस लाई थी, वैसे ही राकेश्वर को भी नक्सलियों के चंगुल से वापस लाए. स्थानीय लोगों ने उनकी रिहाई के लिए प्रदर्शन भी किया था.

जवान को रिहा करते नक्सली

इनकी रही अहम भूमिका-

सरकार की ओर से गठित दो सदस्यीय मध्यस्थता टीम के सदस्य पद्मश्री धर्मपाल सैनी और गोंडवाना समाज के अध्यक्ष तेलम बोरैया की मौजूदगी में नक्सलियों ने जवान को रिहा किया. जवान की रिहाई के लिए मध्यस्थता कराने गई दो सदस्यीय टीम के साथ बस्तर के 7 पत्रकारों की टीम भी मौजूद थी. नक्सलियों के बुलाने पर कुल 11 सदस्यीय टीम जवान को रिहा कराने पहुंची थी. इस दौरान मुरतोंडा की सरंपच सुकमती हप्का और रिटायर्ड शिक्षक रूद्रा कारे भी मौजूद रहे.

जवान के साथ मध्यस्थता करने गए लोग

कब क्या हुआ ?

  • 3 अप्रैल को नक्सली मुठभेड़ हुई थी.
  • 4 अप्रैल को 22 जवानों की शहादत की खबर आई. 31 जवानों के घायल होने की पुष्टि हुई.
  • 5 अप्रैल को खबर मिली कि जवान राकेश्वर सिंह मनहास नक्सलियों के कब्जे में हैं.
  • 6 अप्रैल को नक्सलियों ने प्रेस नोट जारी कर जवान के कब्जे में होने का दावा किया.
  • 7 अप्रैल को परिवार ने रिहाई की गुहार लगाई. छत्तीसगढ़ के सामाजिक संगठनों ने भी रिहाई की अपील की.
  • 8 अप्रैल को नक्सलियों ने जवान को रिहा कर दिया. इसमें 11 सदस्यीय टीम ने अहम भूमिका निभाई.
    Soldier Rakeshwar Singh released from Bijapur
    जवान के साथ धर्मपाल सैनी, तेलम बोरैया, मुरतोंडा की सरंपच सुकमती हप्का और रिटायर्ट शिक्षक रूद्रा कारे
Last Updated : Apr 8, 2021, 10:14 PM IST
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