बीजापुर: बस्तर संभाग में जापानी बुखार का वायरस पहुंचने के बाद स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है. बीजापुर जिले के भैरमगढ़ ब्लॉक में शिविर लगाकर आदिवासी ग्रामीणों की जांच की जा रही है. बीते दिनों जापानी बुखार का मामला भैरमगढ़ ब्लॉक के पिनकोंडा कनेरपारा में मिला था. यहां तीन नाबालिग के ब्लड सैंपल में जापानी बुखार के लक्ष्ण मिले थे जापानी बुखार के केस मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है. गांव में स्वास्थ्य शिविर लगाकर जांच की जा रही है.
हफ्तेभर पहले मिला था जापानी बुखार: भैरमगढ़ ब्लॉक के पिनकोंडा कनेरपारा में हफ्तेभर पहले रमना नामक लड़की को बुखार आने की शिकायत मिली थी. स्वास्थ्य विभाग के मलेरिया सुपरवाइजर संदीप ने ब्लड सैंपल लेकर जांच की. जांच में मिक्स मलेरिया के लक्षण पाये गये. बुखार ठीक न होने के कारण सैंपल नेलसनार से दंतेवाड़ा उसके बाद जगदलपुर भेजा गया. सुपरवाइजर संदीप मरपल्ली ने बताया कि लड़की के खून के सैंपल मेडिकल कॉलेज भेजा गया, जहां उसे जापानी बुखार की पुष्टि हुई.
जापानी बुखार की हो रही जांच: स्वास्थ्य विभाग के सुपरवाइजर ने लड़की के भाई बहनों के भी ब्लड सैंपल लेकर मेडिकल कॉलेज भेजा. जहां बाकी के दो बच्चों में भी जापानी बुखार होने की पुष्टि हुई. मेडिकल कॉलेज जगदलपुर में सभी का इलाज कराया गया. स्वस्थ होकर सभी अपने गांव आ गये है. पिनकोंडा गांव में स्वास्थ्य शिविर लगाकर ग्रामीणों की जांच की जा रही है. मलेरिया से बचाव के लिए मच्छरदानी का उपयोग, शुद्व पानी पीने और साफ सफाई से रहने के लिए ग्रामीणों को कहा गया है.
पिनकोंडा में घर घर में सुअर और बगुला पाला गया है. सुपरवाइजर ने बताया कि सुअर व बगुला में क्यूलेश विसनोइ प्रजाति के वायरस पाये जाते है. इस वायरस के संपर्क में आने से जापानी बुखार इंसान को जकड़ लेती है. इस वायरस से जानवरों की मौत भी हो जाती है.
क्या है जापानी बुखार: जापानी बुखार यानि इन्सेफलाइटिस मच्छर के काटने से फैलता है. ये मच्छर फ्लेविवायरस संक्रमित होते हैं. यह संक्रामक बुखार नहीं है. यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है.इन्सेफ्लाइटिस एक जानलेवा बीमारी है, जिसमें आपके दिमाग में सूजन आने लगती है. इसके लिए आपातकालीन इलाज की जरूरत होती है. इस बीमारी का शिकार कोई भी हो सकता है, लेकिन सबसे ज्यादा इस बीमारी से खतरा बच्चों और बूढ़ों को होता है.
जापानी बुखार के लक्षण: जापानी इन्सेफ्लाइटिस में बुखार होने पर बच्चे की सोचने, समझने और सुनने की क्षमता प्रभावित हो जाती है. तेज बुखार के साथ बार-बार उल्टी होती है. यह बीमारी मानसूनी सीजन में ज्यादा फैलती है.