बीजापुर: बीजापुर मुठभेड़ के बाद लापता जवान राकेश्वर सिंह मनहास को गुरुवार शाम को नक्सलियों ने रिहा किया. सरकार की ओर से गठित मध्यस्थता टीम के सदस्य पद्मश्री धर्मपाल सैनी और गोंडवाना समाज के जिला अध्यक्ष तेलम बोरैया की मौजूदगी में नक्सलियों ने गुरुवार शाम को जवान को रिहा किया था. ETV भारत ने तेलम बोरैया से बात की. उन्होंने बताया कि जब-जब समाज में इस तरह की समस्या आती है वे वहां पहुंचते हैं और हरसंभव मदद की कोशिश करते हैं.
जवान को रिहा करने नक्सलियों से मिले बोरैया
बीजापुर से गोंडवाना समाज के जिला अध्यक्ष और सेवानिवृत शिक्षक तेलम बोरैया जवान राकेश्वर सिंह मनहास को छुड़ाने टीम के साथ गए थे. इनका कहना है कि वे समाज और जरूरतमंदों के लिए हमेशा काम करते हैं. पुलिस के एक अधिकारी ने उन्हें सरकार की तरफ से नक्सलियों से बात करने के लिए चुना. जिसके बाद वे नक्सलियों से मिलने पहुंचे और उनसे बात कर कश्मीर के रहने वाले जवान राकेश्वर सिंह मनहास को रिहा करवाया. तेलम बोरैया ने बताया कि राकेश्वर सिंह की पत्नी व बेटी की अपील व उनके आंसू को देख हमने नक्सलियों के पास जाकर अपील की. जिसके बाद नक्सलियों ने जवान को रिहा किया.
जानिए कौन हैं पद्मश्री धर्मपाल सैनी जिनकी मौजूदगी में नक्सलियों ने जवान को किया रिहा
'पकड़े गए आदिवासी को साथ लेकर गए थे'
तेलम बोरैया ने बताया कि 3 अप्रैल को मुठभेड़ के बाद जवान बेहोशी की हालत में था. इसी दौरान नक्सलियों ने जवान को अपने कब्जे में ले लिया. दो दिनों बाद जवान को होश आया. उन्होंने बताया कि नक्सलियों ने जवान को एक झोपड़ी में बैठा कर रखा था. टीम जब नक्सलियों से मिलने पहुंची तो पहले उन्हें एक जगह बैठा कर रखा. इसी दौरान एक महिला लीडर उनके पास आई और उनसे पूछताछ करने लगी. महिला नक्सली ने पूछा कि पुलिस ने टेक्नोडम के पास एक ग्रामीण को पकड़ा था. क्या उन्हें छोड़ा गया. जिस पर उन्होंने कहा कि वे उसे अपने साथ में लाए हैं. उन्हें छोड़ दिया गया है.
बीजापुर एनकाउंटर में जवान के लापता होने से रिहा होने तक की कहानी
आवापल्ली ब्लॉक के मुरदोंदा कमरगुड़ा के रहने वाले तेलम बोरैया सेवा निवृत्त शिक्षक है. उनकी उम्र 70 साल की है. लेकिन वे समाज व गरीबों की सेवा में ही लगे रहते हैं. वर्तमान में गोंडवाना समाज समन्वय समिति बीजापुर के जिलाध्यक्ष और सर्व आदिवासी समाज के वरिष्ठ के रूप में है.