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Bijapur: आराध्य देव चिकटराज के सरहद का किया गया सीमांकन, ग्रामीण और श्रद्धालु भी हुए शामिल

बीजापुर में आराध्य देव बाबा चिकटराज के सरहद का सीमांकन देवता गुज्ज़ा देव की अगुआई में गांव और नगर के सियान, पुजारी, देव प्रमुख की मौजूदगी में हुआ. जिला मुख्यालय के चिकट राज मंदिर में सीमांकन का काम बीते रविवार पूरा हुआ. देव तुल्य भूमि का सरहद सीमांकन कई सदियों के बाद किया गया.Aaradhya Dev Chitakraj

Aaradhya Dev Chitakraj
आराध्य देव बाबा चिकटराज
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Published : Apr 4, 2023, 11:13 PM IST

बीजापुर: बाबा चिकटराज का सरहद सीमांकन का काम चिकटराज मंदिर में देवता गुज्जा देव की आगुआई में बीते रविवार को किया गया. बाबा चिकट देव के नगर की सरहद का सीमांकन चारों दिशा में किया गया है. कई सदी के बाद हो रहे इस धार्मिक आयोजन का साक्षी बनने के लिए आसपास के गांव के लोग भी पूरी श्रद्धा भक्ति से साथ जुटे थे. देवता चिकट राज कई वर्षों के बाद नगर के भ्रमण में सीमांकन के लिए निकले. इस दौरान देवता चिकट राज बाबा का रात्रि विश्राम शनिवार के नगर के वार्ड क्रमांक एक पनारा पारा में किया. इस दौरान देवी देवताओं का मानदान आदिवासी परंपरा के अनुसार दिया गया.

महिलाओं के लिए वर्जित है दर्शन: बाबा चिकट राज देव का दर्शन करना महिलाओं के लिए वर्जित है माना जाता है. बाबा चिकट राज देव अपनी गद्दी से उठकर अपने आंगन में मेला के लिए जब 3 दिन बाहर रहते हैं उसी दौरान महिलाएं बाबा चिकट राज देव का दर्शन कर मन्नत मांगते हैं. शनिवार और रविवार के सरहदों का सीमांकन करने के बाद बाबा चिकट राज देव दोबारा रविवार की शाम के चिकट राज मंदिर में पहुंचे.

यह भी पढ़ें- दीवाली त्योहार के बाद धमतरी के गांवो में मातर तिहार की रही धूम

बीजापुर के लोगों के आराध्य हैं बाबा चिकटराज: मनकेलि, संतोषपुर, तुमनार, मांझीपारा, कोकडापारा, तुरनार, पनारापारा, कोतापाल, जैतालुर, चिन्नाकोड़ेपाल और महादेवघाट को सीमांकन में शामिल किया गया है. बाबा चिकटराज देव बीजापुर नगर के रहवासियों के आराध्य देव हैं. मान्यता है कि देवता गुज्ज़ा देव की देव तुल्य भूमि तेलंगाना के वारंगल महाराष्ट्र के कुछ क्षेत्र से होते हुए बस्तर के बीजापुर, भैरमगढ़, दंतेवाड़ा, जगदलपुर, नारायणपुर, कांकेर के अधिकांश क्षेत्र में आती है.

बीजापुर: बाबा चिकटराज का सरहद सीमांकन का काम चिकटराज मंदिर में देवता गुज्जा देव की आगुआई में बीते रविवार को किया गया. बाबा चिकट देव के नगर की सरहद का सीमांकन चारों दिशा में किया गया है. कई सदी के बाद हो रहे इस धार्मिक आयोजन का साक्षी बनने के लिए आसपास के गांव के लोग भी पूरी श्रद्धा भक्ति से साथ जुटे थे. देवता चिकट राज कई वर्षों के बाद नगर के भ्रमण में सीमांकन के लिए निकले. इस दौरान देवता चिकट राज बाबा का रात्रि विश्राम शनिवार के नगर के वार्ड क्रमांक एक पनारा पारा में किया. इस दौरान देवी देवताओं का मानदान आदिवासी परंपरा के अनुसार दिया गया.

महिलाओं के लिए वर्जित है दर्शन: बाबा चिकट राज देव का दर्शन करना महिलाओं के लिए वर्जित है माना जाता है. बाबा चिकट राज देव अपनी गद्दी से उठकर अपने आंगन में मेला के लिए जब 3 दिन बाहर रहते हैं उसी दौरान महिलाएं बाबा चिकट राज देव का दर्शन कर मन्नत मांगते हैं. शनिवार और रविवार के सरहदों का सीमांकन करने के बाद बाबा चिकट राज देव दोबारा रविवार की शाम के चिकट राज मंदिर में पहुंचे.

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बीजापुर के लोगों के आराध्य हैं बाबा चिकटराज: मनकेलि, संतोषपुर, तुमनार, मांझीपारा, कोकडापारा, तुरनार, पनारापारा, कोतापाल, जैतालुर, चिन्नाकोड़ेपाल और महादेवघाट को सीमांकन में शामिल किया गया है. बाबा चिकटराज देव बीजापुर नगर के रहवासियों के आराध्य देव हैं. मान्यता है कि देवता गुज्ज़ा देव की देव तुल्य भूमि तेलंगाना के वारंगल महाराष्ट्र के कुछ क्षेत्र से होते हुए बस्तर के बीजापुर, भैरमगढ़, दंतेवाड़ा, जगदलपुर, नारायणपुर, कांकेर के अधिकांश क्षेत्र में आती है.

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