बीजापुर: गंगालूर इलाके के ग्रामीणों ने पुलिस पर मारपीट करने का आरोप लगाया है. गंगालूर इलाके के पावरेल-सवारेल समेत कई गांव के ग्रामीण नए पुलिस कैंप के विरोध में धरना स्थल की ओर जा रहे थे. इसी दौरन ग्रामीणों से जवानों ने मारपीट की है. ग्रामीणों में आदिवासी महिलाएं भी शामिल हैं. ग्रामीणों की माने तो सभी एक साथ नया कैंप न स्थापित करने और ग्रीन हंट को शुरू करने की मांग के लिए ज्ञापन देने जा रहे थे. इसी दौरान उन्हें रोकने पहुंचे जवानों ने उनसे मारपीट की है.
इसके पूर्व भी ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट का घेराव किया था. जिसमें गंगालूर इलाके के भारी मात्रा में ग्रामीण मौजूद थे. उस दौरान क्षेत्रीय विधायक विक्रम शाह मंडावी ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया था. ग्रामीणों के आरोप पर पुलिस के आला अधिकारी भी कुछ भी कहने से इंकार कर रहे हैं. ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस के जवानों ने हमारे साथ जमकर मारपीट की है. कई जगह खरोच और चोटें आई है. उन्होंने कहा है कि उन्हें नक्सली बताकर कार्रवाई करने की धमकी दी जा रही है.
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पहले भी हुआ विरोध
जून महीने में गंगालूर इलाके के पूसनार में प्रस्तावित नए कैंप और पुल-पुलिया के निर्माण के खिलाफ ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन किया था. गंगालूर में करीब 8 पंचायत के ग्रामीणों ने विरोध जताया था. ग्रामीणों ने विरोध को लेकर रैली और सभा को रोकने के लिए गंगालूर इलाके में चारों ओर पुलिस ने नाकेबंदी कर रखी थी. इसके बावजूद भी ग्रामीणों ने गंगालूर पहुंचकर अपनी 6 सूत्रीय मांग को लेकर राज्यपाल के नाम पर तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा था.
खदान के विरोध में उतरे थे ग्रामीण
नारायणपुर के ग्रामीणों का कहना था कि आमादई खदान को केन्द्र सरकार के निक्को कंपनी को लीज पर देने से नाराज हैं. खदान के शुरू होने से उनके जल, जंगल और जमीन को भारी नुकसान होगा. वे अपनी धरती को भगवान की तरह मानते हैं. ऐसे में निजी कंपनी के दखल से उनका इलाका सुरक्षित नहीं रहेगा.
कांकेर में विरोध प्रदर्शन जारी
कोयलीबेड़ा क्षेत्र में बीएसएफ कैंप खोले जाने के विरोध में 68 ग्राम पंचायत के 103 गांवों के हजारों ग्रामीण हैं. इन गांवों के ग्रामीण अनिश्चितकालीन धरने पर हैं. कड़काघाट और तुमिरघाट में खोले गए कैंप को ग्रामीण देवस्थल बता रहे हैं. उन्होंने ग्राम पंचायत की अनुमति के बिना उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए कैंप खोले जाने का आरोप लगाया है.