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बीजापुर पेयजल संकट: सरकार बदली लेकिन नहीं हल हई बैलाडिला के लोगों की समस्याएं - Water problem of people of Bailadila hill

बीजापुर को जिला घोषित होने के बावजूद दंतेवाड़ा और बीजापुर जिले के सरहदी गांव के ग्रामीणों को पेयजल के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है. यहां आज भी लोग पहाड़ी का पानी पीने को मजबूर हैं.

bijapur drinking water crisis
बीजापुर पेयजल संकट
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Published : May 16, 2022, 6:11 PM IST

बीजापुर: छत्तीसगढ़ सरकार ने बस्तर जिले को विभाजित कर नए-नए जिले बनाएं. बीजापुर भी नया जिला बन गया लेकिन दंतेवाड़ा और बीजापुर जिले के सरहदी गांव की स्थिति बद से बदतर है. दरअसल, बैलाडिला के पहाड़ के नीचे के दर्जनों गांव में अब भी पेयजल और निस्तारण के लिए लोगों को दर-दर भटकना पड़ रहा ( Water problem of people of Bailadila hill) है.

मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं रहवासी: केंद्र सरकार ने बीजापुर जिले को आकांक्षी जिला घोषित किया है. इसके लिए केंद्र और राज्य स्तर पर फंडिंग भी होती है, जिससे मूलभूत सुविधा इस जिले को मिले. लेकिन बीजापुर जिले के हर्रेपाल सहित अन्य गांव में स्थिति सुधारने की किसी ने सुध नहीं ली. आलम यह है की शासन-प्रशासन भी इस पर ध्यान नहीं दे रही है.

यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़: बैक्टीरियल ई बॉल से तालाब के गंदे पानी को बनाया पीने योग्य

साल भर पहले दिया आवेदन: सुदूर अंचल हुर्रेपाल गांव के सरपंच राजूराम ओयाम ने इस विषय में बताया कि एक वर्ष पहले आवेदन दिया गया था कि ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराया जाए लेकिन लोगों की समस्यायों का निराकरण नहीं किया गया. यही हाल एड्समेटा समेत कई गांवों का है.

लखमा पर भी ग्रामीणों की उम्मीद: पहाड़ियों में बसे गांव में जब भाजपा सरकार के दौरान एक घटना हुई थी. तब विपक्ष के कांग्रेस सरकार की ओर से कांग्रेसी कोंटा विधायक कवासी लखमा भी उस गांव पहुंचकर इस समस्या से रूबरू हुए थे. ग्रामीणों को उम्मीद थी कि लखमा इस ओर ध्यान देंगे. हालांकि ग्रामीणों की समस्या पर किसी का ध्यान नहीं गया और आज भी यहां के ग्रामीण पेयजल सहित निस्तारण के लिए दर-दर भटकते हैं.

बीजापुर: छत्तीसगढ़ सरकार ने बस्तर जिले को विभाजित कर नए-नए जिले बनाएं. बीजापुर भी नया जिला बन गया लेकिन दंतेवाड़ा और बीजापुर जिले के सरहदी गांव की स्थिति बद से बदतर है. दरअसल, बैलाडिला के पहाड़ के नीचे के दर्जनों गांव में अब भी पेयजल और निस्तारण के लिए लोगों को दर-दर भटकना पड़ रहा ( Water problem of people of Bailadila hill) है.

मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं रहवासी: केंद्र सरकार ने बीजापुर जिले को आकांक्षी जिला घोषित किया है. इसके लिए केंद्र और राज्य स्तर पर फंडिंग भी होती है, जिससे मूलभूत सुविधा इस जिले को मिले. लेकिन बीजापुर जिले के हर्रेपाल सहित अन्य गांव में स्थिति सुधारने की किसी ने सुध नहीं ली. आलम यह है की शासन-प्रशासन भी इस पर ध्यान नहीं दे रही है.

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साल भर पहले दिया आवेदन: सुदूर अंचल हुर्रेपाल गांव के सरपंच राजूराम ओयाम ने इस विषय में बताया कि एक वर्ष पहले आवेदन दिया गया था कि ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराया जाए लेकिन लोगों की समस्यायों का निराकरण नहीं किया गया. यही हाल एड्समेटा समेत कई गांवों का है.

लखमा पर भी ग्रामीणों की उम्मीद: पहाड़ियों में बसे गांव में जब भाजपा सरकार के दौरान एक घटना हुई थी. तब विपक्ष के कांग्रेस सरकार की ओर से कांग्रेसी कोंटा विधायक कवासी लखमा भी उस गांव पहुंचकर इस समस्या से रूबरू हुए थे. ग्रामीणों को उम्मीद थी कि लखमा इस ओर ध्यान देंगे. हालांकि ग्रामीणों की समस्या पर किसी का ध्यान नहीं गया और आज भी यहां के ग्रामीण पेयजल सहित निस्तारण के लिए दर-दर भटकते हैं.

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