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बीजापुर एनकाउंटर: अब तक जवानों की 'बूझ' से बाहर था ये जंगल, इस बार भेद दिया - bijapur news

बीजापुर: अबूझमाड़, एक ऐसा इलाका जिसे अब तक बूझा नहीं जा सका है ये वो इलाका है जिसे नक्सलियों का अभेद्य किला माना जाता रहा है, लेकिन 7 फरवरी को अबूझमाड़ के ताड़बल्ला गांव के पास घने जंगलों में सुरक्षा बल के जवानों ने नक्सलियों के कैंप में घुसकर ऑपरेशन चलाया.

प्रतिकात्मक तस्वीर
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Published : Feb 11, 2019, 8:11 PM IST

ताड़बल्ला से कुछ दूर मौजूद नक्सलियों के कैंप तक पहुंच पाना सुरक्षा बलों के लिए काफी मुश्किल था, लेकिन सटीक इनपुट पर एसपी मोहित गर्ग के मार्गदर्शन में ऑपरेशन की रणनीति बनाई गई. जवानों ने इंद्रावती नदी से तकरीबन 18 किमी दूर ताड़बल्ला के उस घने जंगल तक पहुंचने के लिए एक अलग रूट बनाया, ताकि हर बार की तरह नक्सलियों को पहले से सूचना न मिल जाए और वो भाग निकले.
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जवानों की आहट नहीं भांप पाए नक्सली
जवान ताड़बल्ला के पड़ाव में बसे गांवों से न होकर इंद्रावती नदी को पार कर पहाड़ी और जंगली रास्ते से आगे बढ़े. नक्सली पश्चिम दिशा से खामोशी से आगे बढ़ रहे जवानों की आहट भांप पाते इससे पहले ही जवानों ने नक्सली कैंप पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी.

शव बरामद, हथियार भी मिले
ऑपरेशन के बाद सर्चिंग के दौरान जवानों को मौके से 10 वर्दीधारी नक्सलियों के शव मिले हैं. साथ ही बड़ी मात्रा में हथियार और दैनिक उपयोगी सामान भी मिला है. हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि मुठभेड़ में मारे गए लोग ग्रामीण थे, जिन्हें नक्सलियों ने खेल सिखाने के लिए बुलाया था.

हाका ऑपरेशन में नहीं मिली थी सफलता
साल 2011 में ऑपरेशन हाका के बाद दो साल पहले भी अबूझमाड़ इलाके में बीजापुर पुलिस ने ऑपरेशन चलाया था, लेकिन इसमें कोई बड़ी कामयाबी हासिल नहीं हुई थी. इस बार चलाए गए ऑपरेशन के बाद अधिकारियों का दावा है कि इस मुठभेड़ में जवानों ने नक्सलियों को मार गिराया है.

ऑपरेशन पर खड़े हुए सवाल
कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद अबूझमाड़ में चलाए गए इस ऑपरेशन पर जहां एक ओर ग्रामीणों ने सवाल खड़े किए हैं वहीं सरकार और सुरक्षा बल के आला अधिकारी इसे नक्सलियों के साथ हुई मुठभेड़ बता रहे हैं. सच क्या है यो तो नहीं पता, लेकिन इस ऑपरेशन के बाद ये साफ हो गया है कि अब अबूझमाड़ जवानों के लिए अबूझ नहीं रह गया है.

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ताड़बल्ला से कुछ दूर मौजूद नक्सलियों के कैंप तक पहुंच पाना सुरक्षा बलों के लिए काफी मुश्किल था, लेकिन सटीक इनपुट पर एसपी मोहित गर्ग के मार्गदर्शन में ऑपरेशन की रणनीति बनाई गई. जवानों ने इंद्रावती नदी से तकरीबन 18 किमी दूर ताड़बल्ला के उस घने जंगल तक पहुंचने के लिए एक अलग रूट बनाया, ताकि हर बार की तरह नक्सलियों को पहले से सूचना न मिल जाए और वो भाग निकले.
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जवानों की आहट नहीं भांप पाए नक्सली
जवान ताड़बल्ला के पड़ाव में बसे गांवों से न होकर इंद्रावती नदी को पार कर पहाड़ी और जंगली रास्ते से आगे बढ़े. नक्सली पश्चिम दिशा से खामोशी से आगे बढ़ रहे जवानों की आहट भांप पाते इससे पहले ही जवानों ने नक्सली कैंप पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी.

शव बरामद, हथियार भी मिले
ऑपरेशन के बाद सर्चिंग के दौरान जवानों को मौके से 10 वर्दीधारी नक्सलियों के शव मिले हैं. साथ ही बड़ी मात्रा में हथियार और दैनिक उपयोगी सामान भी मिला है. हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि मुठभेड़ में मारे गए लोग ग्रामीण थे, जिन्हें नक्सलियों ने खेल सिखाने के लिए बुलाया था.

हाका ऑपरेशन में नहीं मिली थी सफलता
साल 2011 में ऑपरेशन हाका के बाद दो साल पहले भी अबूझमाड़ इलाके में बीजापुर पुलिस ने ऑपरेशन चलाया था, लेकिन इसमें कोई बड़ी कामयाबी हासिल नहीं हुई थी. इस बार चलाए गए ऑपरेशन के बाद अधिकारियों का दावा है कि इस मुठभेड़ में जवानों ने नक्सलियों को मार गिराया है.

ऑपरेशन पर खड़े हुए सवाल
कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद अबूझमाड़ में चलाए गए इस ऑपरेशन पर जहां एक ओर ग्रामीणों ने सवाल खड़े किए हैं वहीं सरकार और सुरक्षा बल के आला अधिकारी इसे नक्सलियों के साथ हुई मुठभेड़ बता रहे हैं. सच क्या है यो तो नहीं पता, लेकिन इस ऑपरेशन के बाद ये साफ हो गया है कि अब अबूझमाड़ जवानों के लिए अबूझ नहीं रह गया है.

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बीजापुर एनकाउंटर: अब तक जवानों की 'बूझ' से बाहर था ये जंगल, इस बार भेद दिया

बीजापुर: अबूझमाड़, एक ऐसा इलाका जिसे अब तक बूझा नहीं जा सका है ये वो इलाका है जिसे नक्सलियों का अभेद्य किला माना जाता रहा है, लेकिन 7 फरवरी को अबूझमाड़ के ताड़बल्ला गांव के पास घने जंगलों में सुरक्षा बल के जवानों ने नक्सलियों के कैंप में घुसकर ऑपरेशन चलाया.

ताड़बल्ला से कुछ दूर मौजूद नक्सलियों के कैंप तक पहुंच पाना सुरक्षा बलों के लिए काफी मुश्किल था, लेकिन सटीक इनपुट पर एसपी मोहित गर्ग के मार्गदर्शन में ऑपरेशन की रणनीति बनाई गई. जवानों ने इंद्रावती नदी से तकरीबन 18 किमी दूर ताड़बल्ला के उस घने जंगल तक पहुंचने के लिए एक अलग रूट बनाया, ताकि हर बार की तरह नक्सलियों को पहले से सूचना न मिल जाए और वो भाग निकले.

जवानों की आहट नहीं भांप पाए नक्सली

जवान ताड़बल्ला के पड़ाव में बसे गांवों से न होकर इंद्रावती नदी को पार कर पहाड़ी और जंगली रास्ते से आगे बढ़े. नक्सली पश्चिम दिशा से खामोशी से आगे बढ़ रहे जवानों की आहट भांप पाते इससे पहले ही जवानों ने नक्सली कैंप पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी.

शव बरामद, हथियार भी मिले

ऑपरेशन के बाद सर्चिंग के दौरान जवानों को मौके से 10 वर्दीधारी नक्सलियों के शव मिले हैं. साथ ही बड़ी मात्रा में हथियार और दैनिक उपयोगी सामान भी मिला है. हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि मुठभेड़ में मारे गए लोग ग्रामीण थे, जिन्हें नक्सलियों ने खेल सिखाने के लिए बुलाया था.

हाका ऑपरेशन में नहीं मिली थी सफलता

साल 2011 में ऑपरेशन हाका के बाद दो साल पहले भी अबूझमाड़ इलाके में बीजापुर पुलिस ने ऑपरेशन चलाया था, लेकिन इसमें कोई बड़ी कामयाबी हासिल नहीं हुई थी. इस बार चलाए गए ऑपरेशन के बाद अधिकारियों का दावा है कि इस मुठभेड़ में जवानों ने नक्सलियों को मार गिराया है.

ऑपरेशन पर खड़े हुए सवाल 

कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद अबूझमाड़ में चलाए गए इस ऑपरेशन पर जहां एक ओर ग्रामीणों ने सवाल खड़े किए हैं वहीं सरकार और सुरक्षा बल के आला अधिकारी इसे नक्सलियों के साथ हुई मुठभेड़ बता रहे हैं. सच क्या है यो तो नहीं पता, लेकिन इस ऑपरेशन के बाद ये साफ हो गया है कि अब अबूझमाड़ जवानों के लिए अबूझ नहीं रह गया है.

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