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इस डिवाइस से पता लगा सकेंगे कि आपकी ट्रेन की क्या है सटीक लोकेशन - डिवाइस से ट्रेन की सटीक लोकेशन

ट्रेनों की लेटलतीफी से यात्रियों को होने वाली परेशानियों के दिन अब लद गए हैं. इन सब से निजात पाने के लिए रेलवे ने कारगर उपाय अपनाया है. 106 ट्रेनों के इंजन में रियल टाइम इंफॉर्मेशन सिस्टम डिवाइस (Real Time Information System Device) लगाए गई हैं. आइये जानते हैं आखिर क्या है ये डिवाइस और इससे क्या फायदा होगा.

The device will know the exact location of the train
भारतीय रेलवे
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Published : Dec 17, 2021, 11:23 AM IST

Updated : Dec 17, 2021, 4:55 PM IST

बिलासपुर: जब आप ट्रेनों में यात्रा करते हैं तो आप यह भी जानना चाहते हैं कि आपकी ट्रेन कहां और किस जगह खड़ी है. यात्रियों की परेशानी को ध्यान में रखते हुए रेलवे ने इसका रास्ता निकाला है. ट्रेनों की लेटलतीफी से यात्रियों को होने वाली परेशानियों से निजात पाने के लिए रेलवे ने 106 ट्रेनों के इंजन में रियल टाइम इंफॉर्मेशन सिस्टम डिवाइस लगाए हैं. यह डिवाइस आपको बताएगी कि आपकी गाड़ी वास्तव में कहां खड़ी है.

डिवाइस से पता लगेगी ट्रेन की सटीक लोकेशन

आसानी से मिलेगी लोकेशन की जानकारी

स्टेशन से छूटने के बाद ट्रेन कब-कहां पहुंच रही है, इसकी सटीक जानकारी ट्रेनों के इंजनों में लगे रियल टाइम इंफॉर्मेशन सिस्टम डिवाइस (Real Time Information System Device) की मदद से मिल रही है. इसके लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की ओर से सेटेलाइट आधारित डिवाइस रेल इंजन में लगाई गई है. यह जीपीएस के आधार पर ट्रेनों की गति जानकर अपडेट जारी करती है.

सेटेलाइट के जरिए ट्रेनों की ट्रेकिंग के लिए इंजनों में फिट डिवाइस की तरफ से सेटेलाइट के जरिए ट्रेनों की एक-एक पल की लोकेशन सिस्टम में ऑटोमेटिक फीड होती है. इससे ना सिर्फ रेल इंजनों की वास्तविक स्थिति की जानकारी मिलती है बल्कि यात्रियों को भी इस सुविधा का लाभ ट्रेनों के लोकेशन की जानकारी के रूप में आसानी से मिलेगा.

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जहां सिग्नल या टेलीफोन नहीं करेगा काम वहां डिवाइस बताएगी लोकेशन

आने वाले समय में यह प्रयोग सभी ट्रेनों में किया जाएग. इसके लगने से स्टेशनों में ट्रेन का इंतजार करने वाले यात्रियों को ट्रेनों के लोकेशन की सही जानकारी लग जाएगी. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की बिलासपुर मंडल के भनवारटंक स्टेशन के आगे और पीछे के इलाके पूरी तरह पहाड़ी और जंगली इलाके हैं. यहां किसी तरह का सिग्नल या टेलीफोन काम नहीं करता है. यही वजह है कि यहां से गुजरते समय ट्रेनों से संपर्क टूट जाता है.

डिवाइस से मिलती है काफी मदद

नागपुर और डोंगरगढ़ के बीच का क्षेत्र इसी तरह का इलाका है. यहां से गुजरने वाली ट्रेनों का संपर्क अक्सर टूट जाता है. ऐसे में यह डिवाइस रेलवे को काफी फायदा पहुंचाएगा. यदि ट्रेन का लोको खराब होता है या फिर किसी तरह की समस्या आती है तो आसानी से ट्रेन के लोकेशन की जानकारी मिल जाएगी और जल्द ही मौके पर पहुंचकर लोको या कोच की समस्या को ठीक किया जा सकेगा.

106 ट्रेनों के इंजन में डिवाइस का प्रयोग

पहले ट्रेनों की लोकेशन की जानकारी स्टेशन टू स्टेशन के आधार पर मिलती थी. बीच की लोकेशन औसत चाल के हिसाब से गणना के आधार पर अपडेट की जाती थी. लेकिन वर्तमान में रियल टाइम इंफॉर्मेशन सिस्टम (Real Time Information System) के साथ अपग्रेड सिस्टम के शुरू हो जाने से ट्रेन के पहुंचने की वास्तविक टाइमिंग का पता चल जाता है. इसके के साथ ही ट्रेन किस जंगल से गुजर रही है या फिर किस आउटर पर खड़ी है ? इन सब की जानकारी भी मिलेगी.

भारतीय रेलवे (Indian Railways) में इंजन अलग-अलग ट्रेनों के साथ पूरे देश में भ्रमण करते हैं. इस प्रणाली से रेलवे इंजनों का आसानी से पता लगाया जा सकता है. इन रेल इंजनों का मेंटेनेंस भी समय पर किया जा सकेगा. रेलवे का प्रयोग अभी दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के बिलासपुर जोन के 106 ट्रेनों के इंजन्स में किया गया है. लेकिन धीरे-धीरे देश के सभी लोको में इसका उपयोग किया जाएगा.

बिलासपुर: जब आप ट्रेनों में यात्रा करते हैं तो आप यह भी जानना चाहते हैं कि आपकी ट्रेन कहां और किस जगह खड़ी है. यात्रियों की परेशानी को ध्यान में रखते हुए रेलवे ने इसका रास्ता निकाला है. ट्रेनों की लेटलतीफी से यात्रियों को होने वाली परेशानियों से निजात पाने के लिए रेलवे ने 106 ट्रेनों के इंजन में रियल टाइम इंफॉर्मेशन सिस्टम डिवाइस लगाए हैं. यह डिवाइस आपको बताएगी कि आपकी गाड़ी वास्तव में कहां खड़ी है.

डिवाइस से पता लगेगी ट्रेन की सटीक लोकेशन

आसानी से मिलेगी लोकेशन की जानकारी

स्टेशन से छूटने के बाद ट्रेन कब-कहां पहुंच रही है, इसकी सटीक जानकारी ट्रेनों के इंजनों में लगे रियल टाइम इंफॉर्मेशन सिस्टम डिवाइस (Real Time Information System Device) की मदद से मिल रही है. इसके लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की ओर से सेटेलाइट आधारित डिवाइस रेल इंजन में लगाई गई है. यह जीपीएस के आधार पर ट्रेनों की गति जानकर अपडेट जारी करती है.

सेटेलाइट के जरिए ट्रेनों की ट्रेकिंग के लिए इंजनों में फिट डिवाइस की तरफ से सेटेलाइट के जरिए ट्रेनों की एक-एक पल की लोकेशन सिस्टम में ऑटोमेटिक फीड होती है. इससे ना सिर्फ रेल इंजनों की वास्तविक स्थिति की जानकारी मिलती है बल्कि यात्रियों को भी इस सुविधा का लाभ ट्रेनों के लोकेशन की जानकारी के रूप में आसानी से मिलेगा.

Goods Train Derail in Dantewada: किरंदुल में लौह अयस्क से भरे मालगाड़ी के 18 डिब्बे पटरी से उतरे

जहां सिग्नल या टेलीफोन नहीं करेगा काम वहां डिवाइस बताएगी लोकेशन

आने वाले समय में यह प्रयोग सभी ट्रेनों में किया जाएग. इसके लगने से स्टेशनों में ट्रेन का इंतजार करने वाले यात्रियों को ट्रेनों के लोकेशन की सही जानकारी लग जाएगी. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की बिलासपुर मंडल के भनवारटंक स्टेशन के आगे और पीछे के इलाके पूरी तरह पहाड़ी और जंगली इलाके हैं. यहां किसी तरह का सिग्नल या टेलीफोन काम नहीं करता है. यही वजह है कि यहां से गुजरते समय ट्रेनों से संपर्क टूट जाता है.

डिवाइस से मिलती है काफी मदद

नागपुर और डोंगरगढ़ के बीच का क्षेत्र इसी तरह का इलाका है. यहां से गुजरने वाली ट्रेनों का संपर्क अक्सर टूट जाता है. ऐसे में यह डिवाइस रेलवे को काफी फायदा पहुंचाएगा. यदि ट्रेन का लोको खराब होता है या फिर किसी तरह की समस्या आती है तो आसानी से ट्रेन के लोकेशन की जानकारी मिल जाएगी और जल्द ही मौके पर पहुंचकर लोको या कोच की समस्या को ठीक किया जा सकेगा.

106 ट्रेनों के इंजन में डिवाइस का प्रयोग

पहले ट्रेनों की लोकेशन की जानकारी स्टेशन टू स्टेशन के आधार पर मिलती थी. बीच की लोकेशन औसत चाल के हिसाब से गणना के आधार पर अपडेट की जाती थी. लेकिन वर्तमान में रियल टाइम इंफॉर्मेशन सिस्टम (Real Time Information System) के साथ अपग्रेड सिस्टम के शुरू हो जाने से ट्रेन के पहुंचने की वास्तविक टाइमिंग का पता चल जाता है. इसके के साथ ही ट्रेन किस जंगल से गुजर रही है या फिर किस आउटर पर खड़ी है ? इन सब की जानकारी भी मिलेगी.

भारतीय रेलवे (Indian Railways) में इंजन अलग-अलग ट्रेनों के साथ पूरे देश में भ्रमण करते हैं. इस प्रणाली से रेलवे इंजनों का आसानी से पता लगाया जा सकता है. इन रेल इंजनों का मेंटेनेंस भी समय पर किया जा सकेगा. रेलवे का प्रयोग अभी दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के बिलासपुर जोन के 106 ट्रेनों के इंजन्स में किया गया है. लेकिन धीरे-धीरे देश के सभी लोको में इसका उपयोग किया जाएगा.

Last Updated : Dec 17, 2021, 4:55 PM IST
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