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बेमेतरा: काम करने के बाद भी नहीं मिली मजदूरी, ग्रामीणों ने कलेक्टर से की शिकायत - bemetara mgnrega

बेमेतरा के मरका गांव में मनरेगा के तहत काम करने वाले लोगों को मजदूरी नहीं मिली है. जिससे वे परेशान हैं. लोगों का कहना है कि मजदूरी नहीं मिलने से उन्हें घर चलाने में दिक्कतें आ रही है.

villagers issued complaint for not getting wages in BEMETARA
मनरेगा
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Published : Oct 15, 2020, 5:25 PM IST

बेमेतरा: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत खून पसीना एक कर मजदूरी करने वाले मरका गांव के मजदूरों को अबतक मजदूरी नहीं मिल पाई है. इससे आहत होकर मजदूर बड़ी संख्या में कलेक्ट्रेट पहुंचे, जहां उन्होंने कलेक्टर शिव अनंत तायल से मुलाकात कर मनरेगा के तहत मजदूरी की राशि दिलाने की मांग की.

काम करने के बाद भी नहीं मिली मजदूरी

कलेक्टर और सीईओ को बताई समस्या
मरका ग्राम पंचायत के ग्रामीणों को गांव में पुराना तालाब के गहरीकरण कार्य के लिए भी मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया है. इससे मजदूर परेशान नजर आ रहे हैं. मजदूरों ने बताया कि 8 महीने से कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन से परिवार चलाना मुश्किल हो गया है. वहीं किए गए कार्य का अबतक भुगतान नहीं हुआ है. उन्होंने बताया कि सवाल पूछे जाने पर रोजगार सहायक दुर्व्यवहार करता है, जिससे वे सभी आहत हैं. मजदूरों ने कलेक्टर से मुलाकात करने के बाद जनपद पंचायत सीईओ से मुलाकात की और मजदूरी भुगतान नहीं होने की जानकारी दी. जिसपर जनपद सीईओ ने उन्हें 1 हफ्ते के अंदर मजदूरी भुगतान जारी करने के आश्वासन दिया है.

पढ़ें- कृषि सुधार कानून पर वार-पलटवार: दिवाली से पहले छत्तीसगढ़ सरकार लाएगी नया कानून, केंद्रीय कृषि मंत्री बोले- राज्य को अधिकार नहीं


मनरेगा घोटाला में रिकार्ड
मनरेगा इन दिनों सुर्खियों में है. उमरिया, अतरिया, धनगांव और अब मरका गांव में मनरेगा से लोगों का विश्वास उठता नजर आ रहा है. मनरेगा शुरू करने के पीछे शासन की मंशा थी कि लोगों को गांव में ही रोजगार मिल सके, लेकिन रोजगार के साथ उन्हें पगार नहीं मिल रही है. वहीं जिम्मेदार भी इसमें उतने ही दोषी हैं जितने रोजगार सहायक दोषी हैं.

बेमेतरा: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत खून पसीना एक कर मजदूरी करने वाले मरका गांव के मजदूरों को अबतक मजदूरी नहीं मिल पाई है. इससे आहत होकर मजदूर बड़ी संख्या में कलेक्ट्रेट पहुंचे, जहां उन्होंने कलेक्टर शिव अनंत तायल से मुलाकात कर मनरेगा के तहत मजदूरी की राशि दिलाने की मांग की.

काम करने के बाद भी नहीं मिली मजदूरी

कलेक्टर और सीईओ को बताई समस्या
मरका ग्राम पंचायत के ग्रामीणों को गांव में पुराना तालाब के गहरीकरण कार्य के लिए भी मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया है. इससे मजदूर परेशान नजर आ रहे हैं. मजदूरों ने बताया कि 8 महीने से कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन से परिवार चलाना मुश्किल हो गया है. वहीं किए गए कार्य का अबतक भुगतान नहीं हुआ है. उन्होंने बताया कि सवाल पूछे जाने पर रोजगार सहायक दुर्व्यवहार करता है, जिससे वे सभी आहत हैं. मजदूरों ने कलेक्टर से मुलाकात करने के बाद जनपद पंचायत सीईओ से मुलाकात की और मजदूरी भुगतान नहीं होने की जानकारी दी. जिसपर जनपद सीईओ ने उन्हें 1 हफ्ते के अंदर मजदूरी भुगतान जारी करने के आश्वासन दिया है.

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मनरेगा इन दिनों सुर्खियों में है. उमरिया, अतरिया, धनगांव और अब मरका गांव में मनरेगा से लोगों का विश्वास उठता नजर आ रहा है. मनरेगा शुरू करने के पीछे शासन की मंशा थी कि लोगों को गांव में ही रोजगार मिल सके, लेकिन रोजगार के साथ उन्हें पगार नहीं मिल रही है. वहीं जिम्मेदार भी इसमें उतने ही दोषी हैं जितने रोजगार सहायक दोषी हैं.

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