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महासमुंद : सरकारी सिस्टम की लापरवाही का खामियाजा भुगत रही राधाबाई, चक्कर लगाने को हैं मजबूर

राधाबाई बागवानी सरकारी ऑफिसर की गलतियों की वजह से दर-दर की ठोकरें खाने तो मजबूर हैं. पहली किश्त मिलने के बाद राधाबाई के अकाउंट में दूसरी किश्त के नाम पर कुछ भी रकम क्रेडिट नहीं हुई है. इस मामले में कलेक्टर अकाउंट में गड़बड़ी का हवाला देते हुए जल्द समाधान करने की बात कह रहे हैं.

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Published : Jul 13, 2019, 10:35 PM IST

सरकारी सिस्टम की लापरवाही का खामियाजा भुगत रही राधाबाई

महासमुंद: सिस्टम की लापरवाही और लाल फीताशाही किसी गरीब की जिंदगी में दुख और मुसीबत का पहाड़ ला सकती है. इसका मंजर महासमुंद के पिथौरागढ़ के लाखागढ़ में देखने को मिला. यहां रहने वाली राधाबाई बागवानी सरकारी बाबुओं की गलतियों की वजह से दर-दर की ठोकरें खाने तो मजबूर हैं.

सरकारी सिस्टम की लापरवाही का खामियाजा भुगत रही राधाबाई, चक्कर लगाने को हैं मजबूर

दरअसल, राधाबाई के नाम प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत एक आवास स्वीकृत हुआ था. इसकी पहली किश्त के तौर पर 35000 रुपये भी उसके बैंक खाते में डाल दिए गए. पहली किश्त की रकम मिलने पर राधाबाई ने भी यह सोचकर मकान को तोड़कर नए मकान का निर्माण शुरू कर दिया कि, जब पहली किश्त आ गई है, तो बाकी भी आ ही जाएगी और यही उसकी सबसे बड़ी भूल साबित हुई,

पहली किश्त मिलने के बाद राधाबाई के अकाउंट में दूसरी किश्त के नाम पर कुछ भी रकम क्रेडिट नहीं हुई. पहले तो उसने बैंक में जाकर फरियाद की, लेकिन जब वहां हल नहीं निकला, तो राधाबाई ने सरकारी तफ्तरों में दरख्वास्त दी, लेकिन वहां भी उसे गोलमोल जवाब मिला. इंसाफ न मिलता देख दुखियारी महिला ने जिलाधीश से शिकायत कर अपने लिए इंसाफ मांगा है. वहीं कलेक्टर महोदय अकाउंट में गड़बड़ी का हवाला देते हुए जल्द समाधान करने की बात कह रहे हैं.

बता दें कि राधाबाई के पति की मौत साल 2014 में हो गई थी और वो टूटे-फूटे मकान में अपने दो बच्चों समेत रहने के साथ ही मजदूरी कर अपना और परिवार के पेट पालती हैं.

एक तो पहले से ही नीयति ने इसे दुखों के चंगुल में डाल रखा था, जैसे-तैसे वो अपने परिवार का पेट पाल रही थी, ऐसे में सिस्टम के सितम ने इस दुखियारिन को सिर छिपाने के लिए हाथ फैलाने को मजबूर कर दिया है.

महासमुंद: सिस्टम की लापरवाही और लाल फीताशाही किसी गरीब की जिंदगी में दुख और मुसीबत का पहाड़ ला सकती है. इसका मंजर महासमुंद के पिथौरागढ़ के लाखागढ़ में देखने को मिला. यहां रहने वाली राधाबाई बागवानी सरकारी बाबुओं की गलतियों की वजह से दर-दर की ठोकरें खाने तो मजबूर हैं.

सरकारी सिस्टम की लापरवाही का खामियाजा भुगत रही राधाबाई, चक्कर लगाने को हैं मजबूर

दरअसल, राधाबाई के नाम प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत एक आवास स्वीकृत हुआ था. इसकी पहली किश्त के तौर पर 35000 रुपये भी उसके बैंक खाते में डाल दिए गए. पहली किश्त की रकम मिलने पर राधाबाई ने भी यह सोचकर मकान को तोड़कर नए मकान का निर्माण शुरू कर दिया कि, जब पहली किश्त आ गई है, तो बाकी भी आ ही जाएगी और यही उसकी सबसे बड़ी भूल साबित हुई,

पहली किश्त मिलने के बाद राधाबाई के अकाउंट में दूसरी किश्त के नाम पर कुछ भी रकम क्रेडिट नहीं हुई. पहले तो उसने बैंक में जाकर फरियाद की, लेकिन जब वहां हल नहीं निकला, तो राधाबाई ने सरकारी तफ्तरों में दरख्वास्त दी, लेकिन वहां भी उसे गोलमोल जवाब मिला. इंसाफ न मिलता देख दुखियारी महिला ने जिलाधीश से शिकायत कर अपने लिए इंसाफ मांगा है. वहीं कलेक्टर महोदय अकाउंट में गड़बड़ी का हवाला देते हुए जल्द समाधान करने की बात कह रहे हैं.

बता दें कि राधाबाई के पति की मौत साल 2014 में हो गई थी और वो टूटे-फूटे मकान में अपने दो बच्चों समेत रहने के साथ ही मजदूरी कर अपना और परिवार के पेट पालती हैं.

एक तो पहले से ही नीयति ने इसे दुखों के चंगुल में डाल रखा था, जैसे-तैसे वो अपने परिवार का पेट पाल रही थी, ऐसे में सिस्टम के सितम ने इस दुखियारिन को सिर छिपाने के लिए हाथ फैलाने को मजबूर कर दिया है.

Intro:एंकर- प्रशासनिक लापरवाही का खामियाजा एक गरीब को कैसे भुगतना पड़ता है उसकी बानगी महासमुंद जिले में देखने को मिल रही है जी हां एक गरीब महिला के नाम पीएम आवास स्वीकृत होने के बाद महिला ने अपना पुराना कच्चा मकान तोड़ दिया और पहली किस के नाम पर महिला को ₹35000 मिले महिला मकान बनाना शुरु कर देती है न्यू खड़ी होने के बाद दूसरी किसके लिए महिला साल भर से शासकीय कार्यालय के चक्कर लगा रही है पर उसे दूसरी किस्त नहीं मिली और अब महिला से कहा जाता है कि आपके नाम पीएम आवास स्वीकृत नहीं हुई है जहां लाचार व बेबस महिला कलेक्टर से फरियाद कर रही है वहीं आला अधिकारी अकाउंट में गड़बड़ी का हवाला देते हुए जल्द ही राशि देने की बात कर रहे हैं।


Body:वीओ 1 - महासमुंद जिले के विकासखंड पिथौरा के ग्राम लाखा गढ़ में राधाबाई बागवानी उम्र 35 वर्ष कच्चे मकान में अपने दो बच्चों के साथ रहती है इसके पति की मृत्यु 2014 में हो गई है मजदूरी कर पीड़िता अपने बच्चों का पालन-पोषण करती है 1 वर्ष पहले 29-05-2018 को इस पीड़िता महिला का प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत हुआ और पहली किस्त 4-6-2018 को पीड़िता के खाते में ₹35000 आए महिला ने अपनी कच्चे मकान को तोड़कर नवी ढलाई ₹35000 खत्म होने के बाद महिला जब जनपद पंचायत पिथौरा गई तो उसे जानकारी हुई कि उसका पीएम आवास स्वीकृत नहीं हुआ है मकान टूट जाने व आशियाना छिन जाने से पीड़ित महिला दूसरे के घर सोने को मजबूर है अब पीड़ित महिला कुछ अधिकारियों से इंसाफ के लिए फरियाद कर रही है आइए सुनते हैं पीड़ित परिवार का दर्द दुख उसी की जुबानी।


Conclusion:वीओ 2 - इस पूरे मामले में जिला पंचायत अधिकारी अकाउंट में गड़बड़ी के कारण राशि नहीं मिलने की बात कहते हुए जल्द पैसा दिलाने की बात कर रहे हैं गौरतलब है कि शासकीय योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने की जिम्मेदारी प्रशासन की होती है और पहली किस्त अलाट करने के बाद 1 वर्ष तक दूसरी किस्त का नहीं दिया जाना और मीडिया में आने के बाद अकाउंट गड़बड़ होने की बात कहना कहीं ना कहीं प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है।

बाइट 1 - राधाबाई बागवानी पीड़ित महिला लाखागढ़ पहचान - पीले ब्लाउज और कलर फुल साड़ी।

बाइट 2 - प्रदीप कुमार बागवानी परिजन लाखागढ़ पहचान - नीला टीशर्ट

बाइट 3 - ऋतुराज रघुवंशी सीईओ जिला पंचायत महासमुंद पहचान वाइट शर्ट और चश्मा लगाया हुआ।
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