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SPECIAL : लॉकडाउन से मिट्टी में मिली कुम्हारों की मेहनत, परिवार चलाना मुश्किल - कोरोना वायरस

लॉकडाउन की वजह से कुम्हार परिवारों को घर चलाना मुश्किल हो गया हैं. हाट बजार बंद होने से कुम्हार मिट्टी के सामान नहीं बेच पा रहे हैं. इन परिवारों ने सरकार से मटका बेचने की अनुमति दिए जाने की गुहार लगाई हैं.

PROBLEM DUE TO LOCKDOWN
लॉकडाउन की मार
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Published : Apr 25, 2020, 7:25 PM IST

बेमेतरा : कोरोना वायरस की वजह से हुए लॉकडाउन के कारण मिट्टी के घड़े बनाने वाले कुम्हारों को इन दिनों खासी परेशानी उठानी पड़ रही है. अप्रैल महीने से शुरू हुई गर्मी के दौरान कुम्हारों के बनाए मटकों की अच्छी खासी बिक्री होती है. लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह से बिक्री प्रभावित हुई है. जिले के गांव में रहने वाले कुम्हारों के मोहल्ले में सन्नाटा पसरा हुआ है और कुम्हार मटके की बिक्री का इंतजार कर रहे हैं.

बर्बादी के कगार पर मेहनत

लॉकडाउन होने के कारण कुम्हार अपनी मटकी नहीं बेच पा रहे हैं और हताश नजर आ रहे है. ग्राम धनगांव के कुम्हार भुवन चक्रधारी और दयालु चक्रधारी ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए बताया कि 'वे नजदीकी सप्ताहिक बाजारों में जाकर मटकी बेच लेते थे लेकिन लॉकडाउन की वजह से हमारा व्यपार भी लॉक हो गया है. हमारी सरकार से गुहार है कि 'वे हमे मिट्टी के सामान बेचने की अनुमति दें, जिससे जीवन चल सके'

PROBLEM DUE TO LOCKDOWN
मुसीबत में कुम्हार परिवार

देशी फ्रिज पर लगा लॉकडाउन का ग्रहण

गर्मी में गला तर करने के लिए लोगों को मिट्टी से तैयार देशी फ्रिज की जरूरत पड़ रही हैं. जनवरी महीने से ही मटके बनाने की तैयारी शुरू कर दी जाती है. मजबूत मिट्टी लाकर, सान कर, निश्चित आकर देकर, बर्तन को आग की भट्टी में पकाया जाता है. कुम्हारों का कहना है कि हमारी 4 महीने की मेहनत पर पानी फिर गया है, अब हमारे सामने रोजी रोटी की समस्या आन पड़ी है.

PROBLEM DUE TO LOCKDOWN
मिट्टी के घड़े

पढ़ें-SPECIAL: अन्नदाता की मजबूरी, मवेशियों के हवाले कर रहे फसल

सरकार से लगाई गुहार

पहले कुम्हारों का चाक साल भर चला करता था. फुर्सत नहीं मिलती थी. कमाई भी होती थी. धीरे-धीरे प्लास्टिक और स्टील के बर्तनों की वजह से मिट्टी के बर्तनों की बिक्री कम होने लगी. फिर भी कुम्हार किसी तरह परिवार का पेट पाल रहे थे. लेकिन लॉकडाउन ने वो भी छीन लिया. परेशान कुम्हारों ने शासन-प्रशासन से गांव के हाट बाजारों में जाकर मटकी बेचने की अनुमति मांगी हैं. ताकि इनका जीवनयापन हो सके.

बेमेतरा : कोरोना वायरस की वजह से हुए लॉकडाउन के कारण मिट्टी के घड़े बनाने वाले कुम्हारों को इन दिनों खासी परेशानी उठानी पड़ रही है. अप्रैल महीने से शुरू हुई गर्मी के दौरान कुम्हारों के बनाए मटकों की अच्छी खासी बिक्री होती है. लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह से बिक्री प्रभावित हुई है. जिले के गांव में रहने वाले कुम्हारों के मोहल्ले में सन्नाटा पसरा हुआ है और कुम्हार मटके की बिक्री का इंतजार कर रहे हैं.

बर्बादी के कगार पर मेहनत

लॉकडाउन होने के कारण कुम्हार अपनी मटकी नहीं बेच पा रहे हैं और हताश नजर आ रहे है. ग्राम धनगांव के कुम्हार भुवन चक्रधारी और दयालु चक्रधारी ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए बताया कि 'वे नजदीकी सप्ताहिक बाजारों में जाकर मटकी बेच लेते थे लेकिन लॉकडाउन की वजह से हमारा व्यपार भी लॉक हो गया है. हमारी सरकार से गुहार है कि 'वे हमे मिट्टी के सामान बेचने की अनुमति दें, जिससे जीवन चल सके'

PROBLEM DUE TO LOCKDOWN
मुसीबत में कुम्हार परिवार

देशी फ्रिज पर लगा लॉकडाउन का ग्रहण

गर्मी में गला तर करने के लिए लोगों को मिट्टी से तैयार देशी फ्रिज की जरूरत पड़ रही हैं. जनवरी महीने से ही मटके बनाने की तैयारी शुरू कर दी जाती है. मजबूत मिट्टी लाकर, सान कर, निश्चित आकर देकर, बर्तन को आग की भट्टी में पकाया जाता है. कुम्हारों का कहना है कि हमारी 4 महीने की मेहनत पर पानी फिर गया है, अब हमारे सामने रोजी रोटी की समस्या आन पड़ी है.

PROBLEM DUE TO LOCKDOWN
मिट्टी के घड़े

पढ़ें-SPECIAL: अन्नदाता की मजबूरी, मवेशियों के हवाले कर रहे फसल

सरकार से लगाई गुहार

पहले कुम्हारों का चाक साल भर चला करता था. फुर्सत नहीं मिलती थी. कमाई भी होती थी. धीरे-धीरे प्लास्टिक और स्टील के बर्तनों की वजह से मिट्टी के बर्तनों की बिक्री कम होने लगी. फिर भी कुम्हार किसी तरह परिवार का पेट पाल रहे थे. लेकिन लॉकडाउन ने वो भी छीन लिया. परेशान कुम्हारों ने शासन-प्रशासन से गांव के हाट बाजारों में जाकर मटकी बेचने की अनुमति मांगी हैं. ताकि इनका जीवनयापन हो सके.

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