बेमेतरा : कोरोना वायरस की वजह से हुए लॉकडाउन के कारण मिट्टी के घड़े बनाने वाले कुम्हारों को इन दिनों खासी परेशानी उठानी पड़ रही है. अप्रैल महीने से शुरू हुई गर्मी के दौरान कुम्हारों के बनाए मटकों की अच्छी खासी बिक्री होती है. लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह से बिक्री प्रभावित हुई है. जिले के गांव में रहने वाले कुम्हारों के मोहल्ले में सन्नाटा पसरा हुआ है और कुम्हार मटके की बिक्री का इंतजार कर रहे हैं.
लॉकडाउन होने के कारण कुम्हार अपनी मटकी नहीं बेच पा रहे हैं और हताश नजर आ रहे है. ग्राम धनगांव के कुम्हार भुवन चक्रधारी और दयालु चक्रधारी ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए बताया कि 'वे नजदीकी सप्ताहिक बाजारों में जाकर मटकी बेच लेते थे लेकिन लॉकडाउन की वजह से हमारा व्यपार भी लॉक हो गया है. हमारी सरकार से गुहार है कि 'वे हमे मिट्टी के सामान बेचने की अनुमति दें, जिससे जीवन चल सके'
देशी फ्रिज पर लगा लॉकडाउन का ग्रहण
गर्मी में गला तर करने के लिए लोगों को मिट्टी से तैयार देशी फ्रिज की जरूरत पड़ रही हैं. जनवरी महीने से ही मटके बनाने की तैयारी शुरू कर दी जाती है. मजबूत मिट्टी लाकर, सान कर, निश्चित आकर देकर, बर्तन को आग की भट्टी में पकाया जाता है. कुम्हारों का कहना है कि हमारी 4 महीने की मेहनत पर पानी फिर गया है, अब हमारे सामने रोजी रोटी की समस्या आन पड़ी है.
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सरकार से लगाई गुहार
पहले कुम्हारों का चाक साल भर चला करता था. फुर्सत नहीं मिलती थी. कमाई भी होती थी. धीरे-धीरे प्लास्टिक और स्टील के बर्तनों की वजह से मिट्टी के बर्तनों की बिक्री कम होने लगी. फिर भी कुम्हार किसी तरह परिवार का पेट पाल रहे थे. लेकिन लॉकडाउन ने वो भी छीन लिया. परेशान कुम्हारों ने शासन-प्रशासन से गांव के हाट बाजारों में जाकर मटकी बेचने की अनुमति मांगी हैं. ताकि इनका जीवनयापन हो सके.