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SPECIAL: विकास की राह देख रहा है स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का गांव, कोई नहीं सुध लेने वाला

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Published : Nov 28, 2020, 11:05 PM IST

कच्ची सड़कें, जर्जर भवन, कीचड़ से सने रास्ते इस गांव की किस्मत बिल्कुल इसके नाम सी हो गई है. गांव का नाम अंधियारखोर है दुनिया इस गांव को इसी नाम से बुलाती है और जानती है कि ये गांव स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित भगवती प्रसाद मिश्रा का है. लेकिन इसके साथ एक सच ये भी है कि यह गांव विकास की मार झेल रहा है.

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अंधियारखोर

बेमेतरा : कच्ची सड़कें, जर्जर भवन, कीचड़ से सने रास्ते अंधियाखोर गांव की किस्मत बिल्कुल इसके नाम सी हो गई है. इस गांव को सब स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित भगवती प्रसाद मिश्रा के नाम से जानते हैं. देश के लिए अपना सब लुटाने वाले पंडित भगवती प्रसाद मिश्रा के गांव के लिए सरकार ने आंख मूंद रखी है. यहां के विकास के लिए न तो सरकारी खजाने से नोट निकले और जिम्मेदारों के हाथों से फाइल सरकी.

विकास की राह देख रहा है स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का गांव

ये गांव जिला मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर दूर है.अंधियारखोर गांव जिला मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर दूर है. यहां बनने वाला आंगनबाड़ी भवन, रंग मंच और सामुदायिक भवन इंतजार कर रहे हैं कि कब निर्माण कार्य पूरा हो. गांव में बनने वाले राजीव भवन की नींव सालों से पड़ी है लेकिन काम अब भी अधूरा है. गांव की गलियां कीचड़ पटी हैं और पीने के पानी के लिए यहां के लोग तरसते हैं. ग्रामसेवकों का भी यहां आना-जाना नहीं होता है. इस गांव के विकास के लिए आदिवासी समाज के गौरा चौरा चबूतरा के निर्माण से पहले ही जिम्मेदारों ने राशि डकार ली.

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मुख्यद्वार पर शहीद का नाम नहीं

पढ़ें : बेमेतरा: अधिकारियों की अनदेखी से जंगल में बदला खूबसूरत गार्डन

स्वन्त्रता सेनानी के नाम से कुछ भी नहीं

आज पूरे गांव में सिर्फ हाई स्कूल के नाम के आगे सेनानी का नाम जोड़ दिया गया, इसके आलावा आज तक ना ही स्वन्त्रता सेनानी के नाम से चौक बना, ना ही गांव में मुख्यद्वार बना. सड़क की हालात बद से बदतर है. ग्रामीणों की लगातार शिकायत के बाद भी न शासन-प्रशासन से कोई मदद मिली, न ही यहां कोई सुध लेने आया. देश में वीरों का नाम जपने वाली सरकार है. राज्य सरकार भी दावा करती है कि ग्रामीण इलाकों के लोगों को सुविधाओं से वंचित नहीं रखा जाएगा. लेकिन अंधियारखोर इन सब दावों की पोल खोलता है. वीरों के सम्मान के नाम पर सिर्फ वादा और विकास के नाम पर सिर्फ दावे नजर आते हैं.

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कीचड़ में लतपत अंधियारखोर गांव

गांव के विकास की मांग

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित भगवती प्रसाद मिश्रा के परिजन शरद मिश्रा और संजू मिश्रा ने बताया कि उनके बाबा स्वन्त्रता की लड़ाई लड़े हैं. लेकिन प्रशासन की तरफ से गांव में विकास कार्य नहीं कराये जा रहे हैं और लगातार उपेक्षा की जा रही है. उनकी मांग है कि गांव के मुख्यद्वार और चौक को स्वन्त्रता संग्राम सेनानी के नाम से बनाया जाया. वहीं कुछ ग्रामीणों ने गांव के जनप्रतिनिधि पर विकास के नाम पर अनदेखी का आरोप लगाया है.

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नाली नहीं

बेमेतरा : कच्ची सड़कें, जर्जर भवन, कीचड़ से सने रास्ते अंधियाखोर गांव की किस्मत बिल्कुल इसके नाम सी हो गई है. इस गांव को सब स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित भगवती प्रसाद मिश्रा के नाम से जानते हैं. देश के लिए अपना सब लुटाने वाले पंडित भगवती प्रसाद मिश्रा के गांव के लिए सरकार ने आंख मूंद रखी है. यहां के विकास के लिए न तो सरकारी खजाने से नोट निकले और जिम्मेदारों के हाथों से फाइल सरकी.

विकास की राह देख रहा है स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का गांव

ये गांव जिला मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर दूर है.अंधियारखोर गांव जिला मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर दूर है. यहां बनने वाला आंगनबाड़ी भवन, रंग मंच और सामुदायिक भवन इंतजार कर रहे हैं कि कब निर्माण कार्य पूरा हो. गांव में बनने वाले राजीव भवन की नींव सालों से पड़ी है लेकिन काम अब भी अधूरा है. गांव की गलियां कीचड़ पटी हैं और पीने के पानी के लिए यहां के लोग तरसते हैं. ग्रामसेवकों का भी यहां आना-जाना नहीं होता है. इस गांव के विकास के लिए आदिवासी समाज के गौरा चौरा चबूतरा के निर्माण से पहले ही जिम्मेदारों ने राशि डकार ली.

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मुख्यद्वार पर शहीद का नाम नहीं

पढ़ें : बेमेतरा: अधिकारियों की अनदेखी से जंगल में बदला खूबसूरत गार्डन

स्वन्त्रता सेनानी के नाम से कुछ भी नहीं

आज पूरे गांव में सिर्फ हाई स्कूल के नाम के आगे सेनानी का नाम जोड़ दिया गया, इसके आलावा आज तक ना ही स्वन्त्रता सेनानी के नाम से चौक बना, ना ही गांव में मुख्यद्वार बना. सड़क की हालात बद से बदतर है. ग्रामीणों की लगातार शिकायत के बाद भी न शासन-प्रशासन से कोई मदद मिली, न ही यहां कोई सुध लेने आया. देश में वीरों का नाम जपने वाली सरकार है. राज्य सरकार भी दावा करती है कि ग्रामीण इलाकों के लोगों को सुविधाओं से वंचित नहीं रखा जाएगा. लेकिन अंधियारखोर इन सब दावों की पोल खोलता है. वीरों के सम्मान के नाम पर सिर्फ वादा और विकास के नाम पर सिर्फ दावे नजर आते हैं.

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कीचड़ में लतपत अंधियारखोर गांव

गांव के विकास की मांग

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित भगवती प्रसाद मिश्रा के परिजन शरद मिश्रा और संजू मिश्रा ने बताया कि उनके बाबा स्वन्त्रता की लड़ाई लड़े हैं. लेकिन प्रशासन की तरफ से गांव में विकास कार्य नहीं कराये जा रहे हैं और लगातार उपेक्षा की जा रही है. उनकी मांग है कि गांव के मुख्यद्वार और चौक को स्वन्त्रता संग्राम सेनानी के नाम से बनाया जाया. वहीं कुछ ग्रामीणों ने गांव के जनप्रतिनिधि पर विकास के नाम पर अनदेखी का आरोप लगाया है.

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नाली नहीं
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