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बेमेतरा: धूमधाम से हुआ गौरा-गौरी का विसर्जन, गोवर्धन पूजा पर गौमाता की हुई पूजा

अंचल में गौरा-गौरी विसर्जन की धूम रही. जहां सोंटा प्रसाद आकर्षण का केंद्र रहा. वहीं गौठानों में मुख्य रूप से यदुवंशियों ने गोवर्धन पूजन किया. साथ ही गौमाता को विशेष रूप से सजाया गया.

gaura gauri immersion in bemetara
बेमेतरा में गौरा-गौरी विसर्जन की धूम
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Published : Nov 15, 2020, 10:51 PM IST

बेमेतरा: दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा का पर्व बड़े उत्साह के साथ मनाया गया. ग्रामीणों ने परंपरागत तरीके से गोबर से गोवर्धन बनाकर भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा-अर्चना की. इसके साथ ही अंचल में गौरा-गौरी का पर्व भी उत्साह के साथ मनाया गया. बड़ी संख्या में लोग गौरा-गौरी (शिव-पार्वती) के विवाह के साक्षी बने. इसके बाद ग्रामीणों ने गौरा-गौरी की शोभायात्रा निकाल गाजे-बाजे के साथ प्रतिमा का विसर्जन किया.

बेमेतरा में गौरा-गौरी विसर्जन की धूम

दिवाली की रात गौरा-गौरी के विवाह की परंपरा निभाई जाती है. खासकर आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में इसे प्रमुख तौर पर मनाया जाता है. 4 दिनों तक विवाह की सभी रस्में निभाने के बाद रविवार को पूरे विधि-विधान से पूजा अर्चना कर गौरा-गौरी की प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया.

जैतू साव मठ में गोवर्धन पूजा की धूम, भगवान को लगाया 56 भोग, गौमाता को पहनाई गई सोहाई

शहर से लेकर गांव तक रही गौरा-गौरी पर्व की धूम

शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में भी सुबह से ही गौरा-गौरी पर्व की धूम रही. पारंपरिक गड़वा बाजा की धुन पर गौरा-गौरी गीत के साथ विसर्जन यात्रा निकाली गई. जिसमें ग्रामीणों और बैगाओं ने सोंटा भी लिया.

गौठान में हुई परंपरागत गोवर्धन पूजा

गोवर्धन पूजा पर भी घरों में जहां गोवर्धन पूजा की गई, वहीं मुख्य रूप से यदुवंशियों ने गौठानों में गोवर्धन पर्वत और भगवान श्रीकृष्ण की विधि विधान से पूजा अर्चना की. साथ ही गोमाता को परंपरागत पकवान खिचड़ी और गुड़ खिलाए. साथ ही गोमाता को सोहाई (पशुओं को पहनाए जाने वाला आभूषण) पहनाने की परंपरा निभाई गई. जिसे देखने पूरा गांव उमड़ा. वहीं यदुवंशियों ने राउत नाचा कर घर-घर जाकर इस लोककला का प्रदर्शन किया. ग्रामीणों ने इस मौके पर राउत टोलियों को शगुन स्वरूप उपहार भी दिए.

बेमेतरा: दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा का पर्व बड़े उत्साह के साथ मनाया गया. ग्रामीणों ने परंपरागत तरीके से गोबर से गोवर्धन बनाकर भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा-अर्चना की. इसके साथ ही अंचल में गौरा-गौरी का पर्व भी उत्साह के साथ मनाया गया. बड़ी संख्या में लोग गौरा-गौरी (शिव-पार्वती) के विवाह के साक्षी बने. इसके बाद ग्रामीणों ने गौरा-गौरी की शोभायात्रा निकाल गाजे-बाजे के साथ प्रतिमा का विसर्जन किया.

बेमेतरा में गौरा-गौरी विसर्जन की धूम

दिवाली की रात गौरा-गौरी के विवाह की परंपरा निभाई जाती है. खासकर आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में इसे प्रमुख तौर पर मनाया जाता है. 4 दिनों तक विवाह की सभी रस्में निभाने के बाद रविवार को पूरे विधि-विधान से पूजा अर्चना कर गौरा-गौरी की प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया.

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शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में भी सुबह से ही गौरा-गौरी पर्व की धूम रही. पारंपरिक गड़वा बाजा की धुन पर गौरा-गौरी गीत के साथ विसर्जन यात्रा निकाली गई. जिसमें ग्रामीणों और बैगाओं ने सोंटा भी लिया.

गौठान में हुई परंपरागत गोवर्धन पूजा

गोवर्धन पूजा पर भी घरों में जहां गोवर्धन पूजा की गई, वहीं मुख्य रूप से यदुवंशियों ने गौठानों में गोवर्धन पर्वत और भगवान श्रीकृष्ण की विधि विधान से पूजा अर्चना की. साथ ही गोमाता को परंपरागत पकवान खिचड़ी और गुड़ खिलाए. साथ ही गोमाता को सोहाई (पशुओं को पहनाए जाने वाला आभूषण) पहनाने की परंपरा निभाई गई. जिसे देखने पूरा गांव उमड़ा. वहीं यदुवंशियों ने राउत नाचा कर घर-घर जाकर इस लोककला का प्रदर्शन किया. ग्रामीणों ने इस मौके पर राउत टोलियों को शगुन स्वरूप उपहार भी दिए.

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