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VIDEO: पिता की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए बेटी ने दी मुखाग्नि

पिता को मुखाग्नि देकर सुरती साहू ने हर वो रिवाज निभाए, जो मृत्यु के पश्चात होते हैं. जिन पर बेटों का नाम लिखा होता है, सुरती ने उसे मिटाकर एक नई लकीर खींची.

एकलौती बेटी ने कंधा और अंतिम संस्कार कर दी पिता को मुखाग्नि
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Published : Nov 4, 2019, 12:41 PM IST

बेमेतरा: बेटियां, बेड़ियां तोड़ने लगी हैं. जिले के मरका गांव से दुखद लेकिन साहस से भरी तस्वीर सामने आई है. यहां पिता की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए बेटी ने न सिर्फ कंधा दिया बल्कि मुखाग्नि देकर फर्ज भी निभाया. मरका गांव के सरपंच रोहित साहू की मृत्यु हो गई. उनकी इच्छा थी कि बेटी सुरती साहू ही उन्हें मुखाग्नि दे, सुरती ने पिता की ये इच्छा पूरी की.

पिता की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए बेटी ने दी मुखाग्नि

सुरती साहू ने हर वो रिवाज निभाए, जो मृत्यु के पश्चात होते हैं. जिन पर बेटों का नाम लिखा होता है, सुरती ने उसे मिटाकर एक नई लकीर खींची. ऐसा कहा जाता है कि माता-पिता को बेटा ही मुखाग्नि दे सकता है. इस रीति के उलट रोहित और सुरती दोनों ने ये साबित किया कि कोई बात पत्थर की लकीर नहीं होती. बच्चे हमेशा समान होते हैं.

पिता के आखिरी इच्छा को पूरा करने के लिए दिया कंधा
ग्राम पंचायत मरका के सरपंच रोहित साहू लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उन्हें बीती रात दिल का दौरा पड़ा, जिसकी वजह से उनकी मृत्यु हो गई. उनका अंतिम संस्कार गांव के ही मुक्तिधाम में किया गया. पिता की आखिरी इच्छा को पूरा करते हुए उनकी इकलौती बेटी सुरती साहू ने मुखाग्नि दी.

पढ़े: पुलिसकर्मियों को शौर्य पदक, 8 विभूतियों को मिला राज्य अलंकरण सम्मान

अक्सर बेटे देते हैं मुखाग्नि
किसी की मृत्यु हो जाने के बाद अर्थी को कंधा देने से लेकर पिंडदान और मुखाग्नि देने का काम पुरुष ही करते है. वहीं मृतक के बेटे नहीं होने पर भाई का बेटा या फिर चचेरा भाई इस काम को पूरा कर सकते हैं. लेकिन इन सभी पुरानी बंदिशों को तोड़ते हुए मरका सरपंच रोहित साहू की बेटी ने अपने पिता को मुखाग्नि दी और उनकी अंतिम इच्छा पूरी की.

बेमेतरा: बेटियां, बेड़ियां तोड़ने लगी हैं. जिले के मरका गांव से दुखद लेकिन साहस से भरी तस्वीर सामने आई है. यहां पिता की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए बेटी ने न सिर्फ कंधा दिया बल्कि मुखाग्नि देकर फर्ज भी निभाया. मरका गांव के सरपंच रोहित साहू की मृत्यु हो गई. उनकी इच्छा थी कि बेटी सुरती साहू ही उन्हें मुखाग्नि दे, सुरती ने पिता की ये इच्छा पूरी की.

पिता की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए बेटी ने दी मुखाग्नि

सुरती साहू ने हर वो रिवाज निभाए, जो मृत्यु के पश्चात होते हैं. जिन पर बेटों का नाम लिखा होता है, सुरती ने उसे मिटाकर एक नई लकीर खींची. ऐसा कहा जाता है कि माता-पिता को बेटा ही मुखाग्नि दे सकता है. इस रीति के उलट रोहित और सुरती दोनों ने ये साबित किया कि कोई बात पत्थर की लकीर नहीं होती. बच्चे हमेशा समान होते हैं.

पिता के आखिरी इच्छा को पूरा करने के लिए दिया कंधा
ग्राम पंचायत मरका के सरपंच रोहित साहू लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उन्हें बीती रात दिल का दौरा पड़ा, जिसकी वजह से उनकी मृत्यु हो गई. उनका अंतिम संस्कार गांव के ही मुक्तिधाम में किया गया. पिता की आखिरी इच्छा को पूरा करते हुए उनकी इकलौती बेटी सुरती साहू ने मुखाग्नि दी.

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अक्सर बेटे देते हैं मुखाग्नि
किसी की मृत्यु हो जाने के बाद अर्थी को कंधा देने से लेकर पिंडदान और मुखाग्नि देने का काम पुरुष ही करते है. वहीं मृतक के बेटे नहीं होने पर भाई का बेटा या फिर चचेरा भाई इस काम को पूरा कर सकते हैं. लेकिन इन सभी पुरानी बंदिशों को तोड़ते हुए मरका सरपंच रोहित साहू की बेटी ने अपने पिता को मुखाग्नि दी और उनकी अंतिम इच्छा पूरी की.

Intro:एंकर- जिले के ग्राम मरका के सरपंच रोहित साहू की मृत्यु होने पर इकलौती बेटी ने कंधा और अंतिम संस्कार कर अपने पिता को मुखाग्नि दी एवं मृत्यु संस्कार के हर रिवाज को पूरा किया सामान्यतया प्रक्रिया पुत्रों द्वारा की जाती है।
बेमेतरा जिले के ग्राम मरका में सरपंच रोहित साहू की इकलौती बेटी ने साहस दिखाते हुए अनुकरणीय पहल की है और बेटी ने पिता को मुखाग्नि देकर अपने पुत्री धर्म का फर्ज निभाया है दरअसल ग्रामीण इलाकों में ऐसी बातें होती हैं कि बेटा कुल का दीपक होता है और माता पिता को मुखाग्नि देने का हक केवल पुत्र को है परंतु इसके उलट समाज में फैली कुरीति को समाप्त करने पुत्री ने पिता की अंतिम इच्छा पूरी की एवं कंधे एवं मुखाग्नि दिया।Body:पुत्रों की ओर से किए जाने वाले संस्कार को बेटी ने पूर्ण किया तो अंत्येष्टि में शामिल लोगों की आंखें भी नम हो गए बता दें कि ग्राम पंचायत मरका के सरपंच रोहित साहू लंबे समय से बीमार चल रहे थे उन्हें बीती रात दिल का दौरा पड़ा और उनकी मृत्यु हो गई अंतिम संस्कार में गांव के ही मुक्तिधाम में किया गया उनकी इकलौती संतान पुत्री सुरती साहू ने मुखाग्नि दी जो उनके पिता की अंतिम इच्छा भी थी।
Conclusion:समानता किसी की मृत्यु हो जाने पर अर्थी को कंधा देने को लेकर पिंडदान फिर मुखाग्नि देने का कार्य पुरुष वर्ग ही करते हैं मृतक के पुत्र नहीं होने पर भाई के पुत्र या फिर चचेरे भाई या अन्य पुत्र यह कार्य संपन्न कर सकते हैं लेकिन इन सभी पुरानी बंदिशों को तोड़ते हुए मरका सरपंच रोहित साहू की पुत्री ने अपने पिता को मुखाग्नि दी और अपने पिता की अंतिम इच्छा पूरी की।
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