बेमेतरा: छतीसगढ़ के पारंपरिक त्योहारों में से एक भोजली ऐसा त्योहार है, जो मित्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है. यह त्योहार अच्छी बारिश और अच्छी फसल के लिए शगुन का स्वरूप है. भोजली त्योहार युवतियों का विशेष त्योहार है. इसमे युवती जंवार बोकर 7 दिन तक पूजा करती हैं और आठवें दिन जंवार को पानी में विसर्जित कर देती हैं.
बता दें कि शुक्रवार को गांवों में भोजली तिहार की धूम रही, जहां ग्रामीण युवतियों द्वारा बड़े ही उत्साह से 7 दिवस तक भोजली दाई की सेवा के बाद भोजली विसर्जन का कार्यक्रम किया गया. सिर पर भोजली को रखकर विसर्जन यात्रा निकाली गई और हांफ नदी में इसे विसर्जित किया गया.
इस त्योहार में ऐसी मान्यता है कि 7 दिन पहले भोजली की बोआई की जाती है. रोज शाम को भोजली गीत का आयोजन रखा जाता है और देवी की तरह पूजा-अर्चना की जाती है. इसके बाद राखी के दूसरे दिन इसे विसर्जित किया जाता है. गांव में बैगा की अगुवाई में गाजे-बाजे के साथ भोजली विसर्जन होता है, जिसे देखने के लिए पूरा गांव उमड़ता है.