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बेमेतरा: धूमधाम से मनाया गया भोजली त्योहार, दिया मित्रता का संदेश

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Published : Aug 16, 2019, 11:50 PM IST

भोजली त्योहार युवतियों का विशेष त्योहार है. इसमे युवती जंवार बोकर 7 दिन तक पूजा करती है और आठवें दिन जंवार को पानी में विसर्जित कर देती है.

धूमधाम से मनाया गया भोजली त्योहार

बेमेतरा: छतीसगढ़ के पारंपरिक त्योहारों में से एक भोजली ऐसा त्योहार है, जो मित्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है. यह त्योहार अच्छी बारिश और अच्छी फसल के लिए शगुन का स्वरूप है. भोजली त्योहार युवतियों का विशेष त्योहार है. इसमे युवती जंवार बोकर 7 दिन तक पूजा करती हैं और आठवें दिन जंवार को पानी में विसर्जित कर देती हैं.

धूमधाम से मनाया गया भोजली त्योहार, दिया मित्रता का संदेश

बता दें कि शुक्रवार को गांवों में भोजली तिहार की धूम रही, जहां ग्रामीण युवतियों द्वारा बड़े ही उत्साह से 7 दिवस तक भोजली दाई की सेवा के बाद भोजली विसर्जन का कार्यक्रम किया गया. सिर पर भोजली को रखकर विसर्जन यात्रा निकाली गई और हांफ नदी में इसे विसर्जित किया गया.

इस त्योहार में ऐसी मान्यता है कि 7 दिन पहले भोजली की बोआई की जाती है. रोज शाम को भोजली गीत का आयोजन रखा जाता है और देवी की तरह पूजा-अर्चना की जाती है. इसके बाद राखी के दूसरे दिन इसे विसर्जित किया जाता है. गांव में बैगा की अगुवाई में गाजे-बाजे के साथ भोजली विसर्जन होता है, जिसे देखने के लिए पूरा गांव उमड़ता है.

बेमेतरा: छतीसगढ़ के पारंपरिक त्योहारों में से एक भोजली ऐसा त्योहार है, जो मित्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है. यह त्योहार अच्छी बारिश और अच्छी फसल के लिए शगुन का स्वरूप है. भोजली त्योहार युवतियों का विशेष त्योहार है. इसमे युवती जंवार बोकर 7 दिन तक पूजा करती हैं और आठवें दिन जंवार को पानी में विसर्जित कर देती हैं.

धूमधाम से मनाया गया भोजली त्योहार, दिया मित्रता का संदेश

बता दें कि शुक्रवार को गांवों में भोजली तिहार की धूम रही, जहां ग्रामीण युवतियों द्वारा बड़े ही उत्साह से 7 दिवस तक भोजली दाई की सेवा के बाद भोजली विसर्जन का कार्यक्रम किया गया. सिर पर भोजली को रखकर विसर्जन यात्रा निकाली गई और हांफ नदी में इसे विसर्जित किया गया.

इस त्योहार में ऐसी मान्यता है कि 7 दिन पहले भोजली की बोआई की जाती है. रोज शाम को भोजली गीत का आयोजन रखा जाता है और देवी की तरह पूजा-अर्चना की जाती है. इसके बाद राखी के दूसरे दिन इसे विसर्जित किया जाता है. गांव में बैगा की अगुवाई में गाजे-बाजे के साथ भोजली विसर्जन होता है, जिसे देखने के लिए पूरा गांव उमड़ता है.

Intro:एंकर-छतीसगढ़ के पारंपरिक त्यौहारों में से एक भोजली एक ऐसा त्यौहार है जो मित्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है जो अच्छी बारिश और अच्छी फसल के लिए शगुन का स्वरूप है। मुख्यतः गांवो में युवतियों के यह विशेष त्यौहार है जिसमे उनके द्वारा भोजली जंवारा बो कर 7 दिवस तक पूजा की जाती है आठवे दिवस में विसर्जन कर दिया जाता है।Body:आज जिले के गांवों में भोजली तिहार की धूम रही जहाँ ग्रामीण युवतियों द्वारा बड़े ही उत्साह से 7 दिवस तक भोजली दाई की सेवा के बाद भोजली विसर्जन का कार्यक्रम किया गया जिसमे सिर पर भोजली को रखे विसर्जन यात्रा निकाली गई एवम हांफ नदी में इसे विसर्जित किया गया।Conclusion: मान्यता है कि 7 दिवस पूर्व भोजली का बोवाई की जाती है रोज शाम को भोजली गीत का आयोजन रखा जाता है और देवी की तरह पूजा अर्चना की जाती है जिसके बाद राखी के दूसरे दिवस इसे विसर्जित किया जाता है ।गांव में बैगा की अगुवाई में गाजे बाजे के साथ भोजली विसर्जन होता है जिसे देखने पूरा गांव उमड़ा होता है।
बाईट-नायक राम निषाद बैगा
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