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EXCLUSIVE : मजदूरों की रोटी 'डकार' गए जिम्मेदार, 9 महीने से नहीं मिली मनरेगा की मजदूरी

बस्तर जिले के छोटे कवाली गांव में 13 मजदूरों को मनरेगा की मजदूरी का भुगतान अब तक नहीं किया गया है. ग्रामीणों ने सरपंच से लेकर सचिव और रोजगार सहायक पर पैसे गबन करने के आरोप लगाए हैं.

Wages not recWorkers did not get MGNREGA wageseived
नहीं मिली मजदूरी
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Published : May 19, 2020, 6:05 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

जगदलपुर : कोरोना संकट और लॉकडाउन के कारण देश भर में गरीब, मजदूर दो जून की रोटी के लिए भटक रहे हैं. बस्तर के छोटे कवाली गांव में मजदूरों के पैसे गबन करने का मामला सामने आया है. ग्रामीणों ने सरपंच से लेकर सचिव और रोजगार सहायक पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं. इन्हें 9 महीने से मनरेगा के तहत मिलने वाली मजदूरी नहीं मिली है और ये अपने पैसों के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं.

मजदूरों को नहीं मिली मनरेगा की मजदूरी

छोटे कवाली गांव के 13 मजदूरों ने पिछले साल दीपावली से ठीक पहले मनरेगा के तहत गौठान निर्माण कार्य में 30 दिनों तक काम किया था. लेकिन 9 महीने बीत जाने के बाद भी उन्हें उनका पारिश्रमिक आज तक नहीं दिया गया है. मजदूर अपने हक के पैसे के लिए सरपंच, सचिव से लेकर जनपद कार्यालय और बैंक तक के चक्कर लगाकर थक चुके हैं.

ग्रामीण मंगलू ने बताया कि वो और उसके अन्य साथियों ने लगातार 30 दिनों तक गौठान निर्माण कार्य में काम किया था. मजदूरों का कहना है कि ये काम उन्होंने सरपंच और सचिव के कहने पर किया था. श्रमिकों का आरोप है कि काम के पहले प्रतिदिन की रोजी की जानकारी नहीं भी दी गई थी. तत्कालीन सरपंच लखीधर ने इनके जॉब कार्ड में किसी भी प्रकार के काम की एंट्री भी नहीं की है.

Workers did not get MGNREGA wages
काम करने के बावजूद जॉब कार्ड में एंट्री नहीं

पढ़ें-विद्युत वितरण के नियमों में संशोधन का क्या होगा असर, ETV भारत की विशेष पड़ताल

जॉब कार्ड में एंट्री भी नहीं हुई

मंगलू के परिवार में प्रेम, हीरा और दुर्जन के नाम जॉब कार्ड में है लेकिन जॉब कार्ड में एंट्री खाली ही है. वहीं इन 13 मजदूरों की 30 दिन की कुल कमाई 69,810 रुपये है. सचिव ने इन्हें आज से 3 महीने पहले एक-एक हजार रुपए नकद दिए थे और बाकी के पैसे बाद में देने की बात कही थी. आरोप है कि पैसे मांगने पर सचिव इन ग्रामीण मजदूरों को तरह-तरह के बहाने बता कर भगा देता है.

लॉकडाउन ने बढ़ाई मुसीबतें

खाते में पैसे आने की आस में ग्रामीण मजदूर आए दिन बैंक में जाकर पासबुक चेक करवाते रहते हैं. लेकिन पिछले 9 महीने से उनके खाते में एक रुपए भी जमा नहीं हुए हैं. लिहाजा उन्हें अपने ही मेहनताने के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है. वहीं लॉकडाउन की वजह से ये सभी मजदूर आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं.

पढ़ें-बेटी पैदा होने पर ग्रामीणों ने पिता को पीटा, जान से मारने की धमकी !

अधिकारी ने की जांच की बात

ETV भारत ने जब इस बात की जानकारी मनरेगा के संबंधित अधिकारी APO को दी तो उन्होंने पूरे मामले की छानबीन की. अधिकारी ने कहा कि 'रिपोर्ट के अवलोकन के बाद यह पूरा मामला जांच किए जाने लायक प्रतीत हो रहा है. इन मजदूरों के किसी भी प्रकार के कार्य की कोई जानकारी उनके कार्यालय में दर्ज नहीं है. मजदूरों के 30 दिन तक परिश्रम करने के बावजूद पंचायत के मस्टर रोल में नाम न होना जांच का विषय है. अधिकारी ने जांच का आश्वासन देकर कार्रवाई की बात कही है'.

जगदलपुर : कोरोना संकट और लॉकडाउन के कारण देश भर में गरीब, मजदूर दो जून की रोटी के लिए भटक रहे हैं. बस्तर के छोटे कवाली गांव में मजदूरों के पैसे गबन करने का मामला सामने आया है. ग्रामीणों ने सरपंच से लेकर सचिव और रोजगार सहायक पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं. इन्हें 9 महीने से मनरेगा के तहत मिलने वाली मजदूरी नहीं मिली है और ये अपने पैसों के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं.

मजदूरों को नहीं मिली मनरेगा की मजदूरी

छोटे कवाली गांव के 13 मजदूरों ने पिछले साल दीपावली से ठीक पहले मनरेगा के तहत गौठान निर्माण कार्य में 30 दिनों तक काम किया था. लेकिन 9 महीने बीत जाने के बाद भी उन्हें उनका पारिश्रमिक आज तक नहीं दिया गया है. मजदूर अपने हक के पैसे के लिए सरपंच, सचिव से लेकर जनपद कार्यालय और बैंक तक के चक्कर लगाकर थक चुके हैं.

ग्रामीण मंगलू ने बताया कि वो और उसके अन्य साथियों ने लगातार 30 दिनों तक गौठान निर्माण कार्य में काम किया था. मजदूरों का कहना है कि ये काम उन्होंने सरपंच और सचिव के कहने पर किया था. श्रमिकों का आरोप है कि काम के पहले प्रतिदिन की रोजी की जानकारी नहीं भी दी गई थी. तत्कालीन सरपंच लखीधर ने इनके जॉब कार्ड में किसी भी प्रकार के काम की एंट्री भी नहीं की है.

Workers did not get MGNREGA wages
काम करने के बावजूद जॉब कार्ड में एंट्री नहीं

पढ़ें-विद्युत वितरण के नियमों में संशोधन का क्या होगा असर, ETV भारत की विशेष पड़ताल

जॉब कार्ड में एंट्री भी नहीं हुई

मंगलू के परिवार में प्रेम, हीरा और दुर्जन के नाम जॉब कार्ड में है लेकिन जॉब कार्ड में एंट्री खाली ही है. वहीं इन 13 मजदूरों की 30 दिन की कुल कमाई 69,810 रुपये है. सचिव ने इन्हें आज से 3 महीने पहले एक-एक हजार रुपए नकद दिए थे और बाकी के पैसे बाद में देने की बात कही थी. आरोप है कि पैसे मांगने पर सचिव इन ग्रामीण मजदूरों को तरह-तरह के बहाने बता कर भगा देता है.

लॉकडाउन ने बढ़ाई मुसीबतें

खाते में पैसे आने की आस में ग्रामीण मजदूर आए दिन बैंक में जाकर पासबुक चेक करवाते रहते हैं. लेकिन पिछले 9 महीने से उनके खाते में एक रुपए भी जमा नहीं हुए हैं. लिहाजा उन्हें अपने ही मेहनताने के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है. वहीं लॉकडाउन की वजह से ये सभी मजदूर आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं.

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अधिकारी ने की जांच की बात

ETV भारत ने जब इस बात की जानकारी मनरेगा के संबंधित अधिकारी APO को दी तो उन्होंने पूरे मामले की छानबीन की. अधिकारी ने कहा कि 'रिपोर्ट के अवलोकन के बाद यह पूरा मामला जांच किए जाने लायक प्रतीत हो रहा है. इन मजदूरों के किसी भी प्रकार के कार्य की कोई जानकारी उनके कार्यालय में दर्ज नहीं है. मजदूरों के 30 दिन तक परिश्रम करने के बावजूद पंचायत के मस्टर रोल में नाम न होना जांच का विषय है. अधिकारी ने जांच का आश्वासन देकर कार्रवाई की बात कही है'.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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