जगदलपुर: छत्तीसगढ़ का बस्तर संभाग नक्सलियों का गढ़ है. नक्सलगढ़ होने के बावजूद भी यहां के कुछ लोग समाज में एक नजीर बनकर उभरते हैं. इन दिनों बस्तर के जगदलपुर में, डॉक्टर चायवाला के काफी चर्चे हैं. बस्तर के डॉक्टर चायवाला का नाम अशोक जायसवाल है. अशोक आर्थिक रूप से कमजोर और बेसहारा लोगों को मुफ्त दवा मुहैया करवाता है.
इस तरह अशोक करते हैं लोगों की मदद: अशोक मेडिकल स्टोर के फर्मासिस्ट और डॉक्टर के साथ मिलकर मरीज को दवाई देने का काम करते हैं. जरूरतमंद लोग डॉक्टर से चेकअप के बाद अशोक से संपर्क करते हैं. फिर वह डॉक्टर की पर्ची के साथ उनको मेडिकल स्टोर लेकर जाते हैं. जहां असहाय मरीज, जिनकी आर्थिक स्थिति खराब है. जो दवाई नहीं खरीद सकते हैं. उन्हें मेडिकल स्टोर से दवाई दिलाते हैं. फिर उसका पेमेंट खुद करते हैं. इस तरह ये लोगों की मदद करते हैं.
हर महीने दो हजार रुपये दवाई बांटने पर करते हैं खर्च: अशोक हर महीने 15 हजार रुपये कमाते हैं. इस कमाई में से दो हजार रुपये वह लोगों को दवाई बांटने में खर्च करते हैं. साल 2016 से वह इस तरह लोगों को दवाई बांटने का काम कर रहे हैं.
इस तरह लोगों की मदद का आया ख्याल: गरीब परिवार से आने के बावजूद अशोक को बचपन से लोगों की मदद करने का मन था. वह प्रयागराज से जब जगदलपुर आए तो उन्होंने पहले अपने भाई की चाय की दुकान पर काम किया. फिर उन्होंने महारानी अस्पताल के डॉक्टरों से संपर्क किया और मरीजों को मदद करने की इच्छा जाहिर की. इसके लिए उसने महारानी अस्पताल के बाहर चाय की टपरी चलाना शुरू किया. वह साल 2015 से महारानी अस्पताल के बाहर चाय की टपरी चला रहे हैं, और मरीजों को दवाई बांटने का काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि" मैं बहुत गरीब परिवार में पला बड़ा हूं. गरीबी को मैंने बेहद करीब से देखा है. मैंने बचपन से ही ये ठान लिया था कि, जिस दिन उस मुकाम पर पहुंच जाऊंगा, उस दिन लोगों की मदद करुंगा."
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नानी ने दिया डॉक्टर नाम: अशोक जायसवाल को बचपन में नानी डॉक्टर कहकर पुकारती थी. इसलिए अशोक ने अपने चाय की टपरी का नाम डॉक्टर चायवाला रखा. अब इस चायवाले के चर्चे लोगों की जुबान पर है. उनकी लोगों की मदद करने की भावना की हर कोई तारीफ कर रहा है.