दंतेवाड़ा : उपचुनाव में कांग्रेस ने बाजी मारकर उन विरोधियों को करारा जवाब दिया है जो भूपेश सरकार के 9 महीने के कार्यकाल को फ्लॉप बता रहे थे. साथ ही कांग्रेस ने दंतेवाड़ा का किला फतह कर इस सीट को भी अपनी झोली में डाल लिया है जिसे वो 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में गंवा बैठी थी.
देवती कर्मा की जीत के मायने
- कर्मा परिवार दंतेवाड़ा की सियासत का पर्याय माना जाता है, लेकिन दिवगंत नेता महेन्द्र कर्मा की पत्नी देवती कर्मा को पिछले चुनाव में कांग्रेस की लहर के बाद भी हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद सियासी पंडितों को भी लगने लगा था कि अब दंतेवाड़ा में कर्मा युग बीती बात हो गई है, लेकिन कुछ महीने बाद ही हुए उपचुनाव में भूपेश बघेल ने देवती कर्मा पर ही भरोसा जताया और देवती कर्मा ने इस शानदार जीत के जरिए बता दिया है कि इस सीट पर उनके परिवार की जड़ें बहुत मजबूती से जमी हुई हैं.
- एक दौर था बस्तर को भाजपा का अभेद किला माना जाता था, लेकिन पिछले चुनाव में इस पर कांग्रेस ने फतह हासिल की, 2018 में सिर्फ दंतेवाड़ा सीट पर ही भाजपा जीत हासिल कर पाई थी, लेकिन वो भी अब उसके हाथ से फिसल चुकी है. इस हार के बाद रमन सिंह ने कहा है कि हम बस्तर के ही चित्रकोट सीट पर होने वाले उपचुनाव में और ज्यादा ताकत के साथ उतरेंगे.
- दंतेवाड़ा उपचुनाव में कांग्रेस को मिली ये जीत भूपेश सरकार को भी काफी राहत देने वाली साबित हो रही है. पूरे देश में जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर में बीजेपी ने कई चुनाव जीते, उस दौर में इस अहम चुनावी दंगल में कांग्रेस के बाजी मारने से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का सियासी कद और बढ़ गया है.