जगदलपुर: विश्व का एक मात्र 75 दिनों तक मनाए जाने वाला बस्तर दशहरा इस साल 105 दिनों तक मनाया जाएगा. दशहरे की हर रस्म को देखने बस्तर संभाग के साथ पूरे देश प्रदेश समेत विदेशों से भी हजारों लोग बस्तर पहुंचते हैं. लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण को देखते हुए भीड़ को रोकना प्रशासन और सरकार के लिए चैलेंज बन गया है. यही वजह है कि पहली बार इस बात को लेकर बैठक हुई है कि दशहरे के हर रस्म में भीड़ को आने और कोरोना को फैलने से कैसे रोका जा सके. बैठक में दशहरा समिति के साथ दशहरे से जुड़े हर गांव के ग्रामीणों को भी बुलाया गया था.
बस्तर दशहरा समिति के अध्यक्ष और बस्तर सांसद दीपक बैज ने कहा कि बस्तर दशहरा ऐतिहासिक दशहरा है. इसमें होने वाले रस्म में कोई परिवर्तन नहीं होगा. लेकिन कोरोना संक्रमण को देखते हुए दशहरे से जुड़े सभी लोगों की बैठक की गई और सुझाव लिए गए हैं. ताकि दशहरे में शामिल होने वाले लोगों की भीड़ को नियंत्रित किया जा सके. लोग दशहरा देखने के लिए दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं. उन लोगों के लिए सोशल मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिए प्रसारण किया जाएगा. ताकि वे लोग अपने घरों में बैठकर ही दशहरे की हर रस्म को देख सकें. साथ ही माई दंतेश्वरी के दर्शन कर सकें.
![Bastar Dussehra committee meeting](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/8683482_347_8683482_1599263067440.png)
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भीड़ को किया जाएगा नियंत्रित
अध्यक्ष ने बताया कि ऐसे पुजारी जो अपने गांव से माता का छत्र लेकर दशहरे की रस्म में पहुंचते हैं, उनके साथ आने वालों की संख्या भी ज्यादा होती है. उसे कम कर एक ही सहायक को साथ लाने का अनुरोध करेंगे. जिससे भीड़ न हो.
एहतियात बरतना जरुरी: कमल चंद भंजदेव
बस्तर दशहरे में अहम भूमिका राजपरिवार की होती है. इस बैठक में शामिल होने पहुंचे बस्तर के राजा कमल चंद भंजदेव ने कहा कि बस्तर में दशहरा पिछले 700 सालों से मनाया जा रहा है. दशहरे के रस्म में परिवर्तन करना तो संभव नहीं है, साथ ही रथ परिक्रमा भी की जाएगी. लेकिन कोरोना को देखते हुए एहतियात बरतना भी जरूरी है. इस पर उन्होंने कहा कि जिन ग्रामीण या लोगो का रस्म में होना जरूरी है, सिर्फ वे लोग ही रस्मो में पहुंचे. ताकि भीड़ ज्यादा न हो और कोरोना को फैलने से रोक जा सके.