जगदलपुर : बस्तर पुलिस की पहल पर जगदलपुर में 10 सालों से सूनी पड़ी कलाई में एक बार फिर से राखी बांधी गई. कटेकल्याण एरिया कमेटी की सदस्य रह चुकी दशमी ने हाल ही में बस्तर पुलिस के सामने सरेंडर किया है. आत्मसमर्पण करने के बाद यह उसकी पहली राखी है. दशमी की पहली राखी को यादगार बनाने के लिए बस्तर पुलिस ने खास इंतजाम किए.
दशमी 12 वर्ष की उम्र में नक्सल संगठन से जुड़कर घर छोड़कर जंगल चली गई थी. करीब 11 सालों तक संगठन में सक्रिय रहकर दर-दर भटकती दशमी ने सारे त्यौहार मनाना छोड़ दिया था. इस दौरान उनका छोटा भाई वासुदेव पूरी उम्मीद से इंतजार करता था कि कभी ना कभी उसकी बहन लौट कर जरूर आएगी, इंतजार लंबा था लेकिन पूरा हुआ और दशमी ने नक्सलवाद की खोखली विचारधारा से तौबा करते हुए मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया. दशमी ने कहा कि वह तो लौट आई है लेकिन उसका एक और बड़ा भाई अब भी नक्सली संगठन में भटक रहा है. दशमी ने बड़े भाई लक्ष्मण से भी अपील की है कि वह भी वापस लौट आए और मुख्यधारा में शामिल हो जाए.
दशमी के छोटे भाई वासुदेव ने कहा कि रक्षाबंधन का दिन उसके लिए बेहद खास है और इस दिन के लिए उसने लंबा इंतजार किया है, क्योंकि 11 साल बाद उसकी सूनी कलाई में उसकी सगी बहन दशमी ने राखी बांधी है.
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दशमी ने अपने भाई के साथ साथ पुलिस के आला अधिकारियों को भी राखी बांधी. पुलिस अधिकारियों ने भी दशमी कोआशीर्वाद देकर उसकी सुरक्षा का प्रण लिया. दशमी के साथ-साथ दूसरे सममर्पित नक्सलियों ने भी एक दूसरे की कलाइयों में रक्षा सूत्र बांधकर रक्षा का संकल्प लिया.
परिजन भी हुए शामिल
इस खास आयोजन के लिए दूसरे समर्पित नक्सलियों और उनके परिजनों को भी बुलाया गया. इस दौरान सभी की निगाहें दशमी पर ही टिकी थीं. दशमी के अलावा सरेंडर कर चुके नक्सलियों ने पुलिस के जवानों को राखी बांधी. मुख्यधारा से जुड़ने के बाद पहली बार राखी का त्यौहार मना रहे आत्मसमर्पित नक्सलियों और खासकर दशमी में काफी खुशी देखने को मिली.