बलौदाबाजार: कसडोल विकासखंड में एक सरकारी स्कूल ऐसा भी है, जहां पालक अपने बच्चों को 15 किलोमीटर दूर मौजूद स्कूल में पढ़ाई के लिए भेजते हैं. कसडोल का बलार नवागांव प्राथमिक स्कूल जंगल से घिरा हुआ है, लेकिन इसके बावजूद यहां पदस्थ शिक्षक तमाम चुनौतियों को पीछे छोड़ते हुए शिक्षा का अलख जगा रहे हैं.
इस स्कूल में दाखिला लेने वाले बच्चों को पढ़ाई के साथ ही साथ नैतिकता का पाठ भी पढ़ाया जाता है. इस स्कूल में हर समान अपनी जगह व्यवस्थित तरीके से रखा गया है. इस स्कूल में पढ़ाई के साथ ही साथ बच्चों को साफ-सफाई और स्वच्छता के प्रति भी जागरुक किया जाता है, अगर कोई बच्चा बिना नहाए स्कूल आता है तो, उसे बाकायदा यहां के शिक्षकों के द्वारा नहलाया भी जाता है.
स्मार्ट क्लास,लाइब्रेरी खेलकूद की सुविधा
स्कूल में बच्चों के खेलने और पढ़ने के लिए भी तमाम सुविधाएं मौजूद हैं,यहां स्मार्ट क्लास,लाइब्रेरी के साथ-साथ खेलकूद के लिए झूले की भी सुविधा मौजूद है. जिससे बच्चों का मन पढ़ाई के साथ ही साथ खेल कूद में भी लगा रहता है, एक तरफ जहां शिक्षक इस स्कूल को लेकर दिन रात मेहनत कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर जर्जर हो चुके स्कूल भवन की रिपेयरिंग नहीं हो पा रही है, जिसकी वजह से बरसात के दिनों में यहां पढ़ने वाले छात्रों के साथ-साथ शिक्षकों को भी खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है. बारिश के दिनों में छत से पानी भी टपकता है, जिसकी वजह से यहां पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं के साथ ही शिक्षकों को खासी दिक्कत का सामना करना पड़ता है.
शिकायत के बाद भी दूर नहीं हुई समस्या
प्रधानपाठक मनोज जाटवर ने सरकार से स्कूल भवन की मरम्मत के लिए कई बार गुहार की, लेकिन हर बार उनकी मांग को अनदेखा कर दिया गया . जहां एक ओर शिक्षक बच्चों के भविष्य के लिए दिन रात मेहनत कर रहे हैं, तो वहीं विभाग के अफसरों का लावरवाह रवैया नौनिहालों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. अब देखना यह होगा कि कब सिस्टम की नींद टूटेगी और कब इस स्कूल में पढ़ाने करने वाले नौनिहाल बिना किसी दिक्कत के ज्ञान का पाठ पढ़ सकेंगे.