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SPECIAL : छत्तीसगढ़ का वो स्कूल, जहां बच्चों को पढ़ने के लिए झेलने पड़ते हैं कई जख्म!

भाटापारा के प्राथमिक शाला के 250 बच्चे कांच की नोक पर पढ़ाई करने को मजबूर हैं. इसकी वजह से आए दिन कई मासूम गंभीर रुप से जख्मी हो जाते हैं. बावजूद इसके शिक्षा विभाग और शिक्षकों की नींद अभी तक नहीं टूटी है.

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Published : Nov 20, 2019, 10:24 PM IST

Updated : Nov 21, 2019, 12:57 AM IST

पढ़ने के लिए झेलने पड़ते हैं कई जख्म

भाटापारा: भाटापारा के लाल बहादुर शास्त्री वार्ड के प्राइमरी स्कूल में भविष्य गढ़ रहे बच्चों के कदम जख्मों से भरे पड़े हैं. स्कूल के बच्चे कांच के टुकड़ों से अक्सर यहां घायल होते हैं. इसकी वजह है घटिया फ्लोरिंग. फ्लोरिंग के समय लगाए गए कांच फर्श पर टूटकर बाहर निकल आए हैं, जिससे बच्चे घायल हो रहे हैं. इस स्कूल में करीब 250 बच्चे पढ़ते हैं बावजूद इस मामले में अब तक स्कूल के शिक्षकों की नींद नहीं टूटी है.

वो स्कूल जहां बच्चों को पढ़ने के लिए झेलने पड़ते हैं कई जख्म

पढ़ाई करने के लिए बच्चों को कांच की नोक से गुजरना पड़ता है. इसका मुख्य कारण है पुराने तरीके से की गई फ्लोरिंग. इसमें कांच की पट्टियां फ्लोरिंग के समय लगाई जाती है, जो फर्श से बाहर निकलनी शुरू हो गई है

खराब फ्लोरिंग की नहीं हुई मरम्मत
समय बीतने से फ्लोरिंग खराब हो गया, जिसके बाद फ्लोरिंग में से कांच निकलने लगा. वैसे ही कई बच्चों के पैर में कांच घुस जाता है. इस स्कूल का सिर्फ फ्लोर ही नहीं भवन भी जर्जर है, जिससे हादसे की आशंका हमेशा बनी रहती है

यह भी पढ़ें- रायपुर : स्वास्थ्य मंत्री का बड़ा बयान, DKS अस्पताल में अब नहीं मिलेगा मुफ्त इलाज

अधिकारियों ने दिया बेतुका बयान
बच्चों ने बताया कि बरसात के समय मे 'हमें अपने क्लास से बाहर या दूसरे क्लास में बैठना पड़ता है. बच्चों की इस हालत पर उच्च अधिकारियों ने बेहद शर्मनाक और बेतुका बयान देते हुए कहा कि 'हम सिर्फ मरहम लगा सकते हैं'. दरअसल, यहां के शिक्षकों की संवेदना खत्म हो चुकी है तभी तो वह इस तरह का बयान दे रहे हैं. उन्हें समझना चाहिए की बच्चों के जख्म गंभीर बीमारी में बदल सकती है, जिससे उनका पूरा भविष्य चौपट हो सकता है, लेकिन इसकी परवाह किसे है.

भाटापारा: भाटापारा के लाल बहादुर शास्त्री वार्ड के प्राइमरी स्कूल में भविष्य गढ़ रहे बच्चों के कदम जख्मों से भरे पड़े हैं. स्कूल के बच्चे कांच के टुकड़ों से अक्सर यहां घायल होते हैं. इसकी वजह है घटिया फ्लोरिंग. फ्लोरिंग के समय लगाए गए कांच फर्श पर टूटकर बाहर निकल आए हैं, जिससे बच्चे घायल हो रहे हैं. इस स्कूल में करीब 250 बच्चे पढ़ते हैं बावजूद इस मामले में अब तक स्कूल के शिक्षकों की नींद नहीं टूटी है.

वो स्कूल जहां बच्चों को पढ़ने के लिए झेलने पड़ते हैं कई जख्म

पढ़ाई करने के लिए बच्चों को कांच की नोक से गुजरना पड़ता है. इसका मुख्य कारण है पुराने तरीके से की गई फ्लोरिंग. इसमें कांच की पट्टियां फ्लोरिंग के समय लगाई जाती है, जो फर्श से बाहर निकलनी शुरू हो गई है

खराब फ्लोरिंग की नहीं हुई मरम्मत
समय बीतने से फ्लोरिंग खराब हो गया, जिसके बाद फ्लोरिंग में से कांच निकलने लगा. वैसे ही कई बच्चों के पैर में कांच घुस जाता है. इस स्कूल का सिर्फ फ्लोर ही नहीं भवन भी जर्जर है, जिससे हादसे की आशंका हमेशा बनी रहती है

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अधिकारियों ने दिया बेतुका बयान
बच्चों ने बताया कि बरसात के समय मे 'हमें अपने क्लास से बाहर या दूसरे क्लास में बैठना पड़ता है. बच्चों की इस हालत पर उच्च अधिकारियों ने बेहद शर्मनाक और बेतुका बयान देते हुए कहा कि 'हम सिर्फ मरहम लगा सकते हैं'. दरअसल, यहां के शिक्षकों की संवेदना खत्म हो चुकी है तभी तो वह इस तरह का बयान दे रहे हैं. उन्हें समझना चाहिए की बच्चों के जख्म गंभीर बीमारी में बदल सकती है, जिससे उनका पूरा भविष्य चौपट हो सकता है, लेकिन इसकी परवाह किसे है.

Intro:भाटापारा - भाटापारा के शहिदवीर नारायण वार्ड और लाल बहादुर शास्त्री वार्ड के प्राथमिक शाला मे पढ़ने वाले लगभग 250 बच्चे कांच की नोक पर बैठकर करते है पढ़ाई , खेल खेल मे होते है नन्हे कदम लहूलुहान , इस स्कुल के जमीन से निकले है कांच जो कभी भी बड़ी दुर्घटना को दे सकते है अंजाम और अधिकारी देते है गोल मोल जवाब
Body:भाटापारा - जहां बच्चो के कदम भविष्य बनाने के लिए अग्रसर रहते है वही जब नन्हे कदमो केा पढ़ने के लिए कांच की नोक पर खड़ा होना पड़े तब आप क्या कहेंगें , एैसा ही एक मामला भाटापारा के शहिद वीर नारायण एवं लालबहादुर शास्त्री वार्ड के प्राथमिक शाला मे देखने को मिल रहा है लगभग 250 नन्हे नन्हे बच्चे प्राथमिक शिक्षा ग्रहण करने स्कुल जाते है जहां पढ़ाई करने के लिए बच्चो को कांच की नोक पर बैठना और खेलना होता है इसका मुख्य कारण है पुराने पद्धति अनुसार बने जमीन की संरचना है जिसमे कांच की पट्टीयां फलोरिंग के समय लगाया जाता था जो भवन के पुराने होने पर अब फलोरिंग टुटने से कांच के नोक बाहर आ चुके है और धारदार व नुकसान देने वाले हो चुके है जिससे मासुम बच्चो के पैर बुरी तरह से कई बार जख्मी भी हो जाते है , बच्चो की मासुमियत छिनते इन कांच के पट्टीयो को निराकरण करने की ओर किसी अधिकारी का ध्यान नही जा रहा है मानो किसी अनहोनी के इंतजार मे है शिक्षक और अधिकारी । वही भवन पुराने होने के साथ बुरी तरह जर्जर अवस्था मे यहां की छत है जिसको बच्चो ने भय का कारण माना और बताया कि बरसात के समय हमे अपने क्लास से बाहर या दुसरे कक्षे मे बैठना पड़ता है। वही मासुमीयत से उत्तर दिया कि बरसात क्लास मे बैठने नही देती और कांच खेलने नही देती , वैसे ही कई बच्चो के इस कांच से घायल पैर भी देखे जिसे देख दिल पसीज जाता है। यहां की प्रिसिंपल ने भी माना की बच्चे इन कांचो के धार से जख्मी हो जाते है और हम उस अवस्था मे प्राथमिक उपचार के अलावा कुछ नही कर पाते ,, उच्च अधिकारीयो केा यहां कि स्थिति बताई जा चुकी है लेकिन उपाय या कार्यवाही के नाम पर परिणाम शुन्य है। वही अधिकारी से बात करने पर बेतुका ब्यान देते नजर आते है। स्थिति ये हे कि अगर निराकरण जल्द इन परिस्थितियो का नही किया गया तो भयानक परिणाम भविष्य मे हमारे सामने आ सकते है।


बाइट - रश्मि , 3री की छात्रा (दो चोटी वाली बच्ची)

बाइट - वंशिका नारंग , 3री की छात्रा (हैप्पी कट वाली बच्ची)

बाइट - पवन , 5वीं का छात्र (लड़का)

बाइट - फुटान मैडम , प्रिसिंपल (महिला शिक्षक साड़ी मे)

बाइट - अमर सिंग धृतलहरे , विकासखंड शिक्षा अधिकारी भाटापारा (स्कीन कलर काला)

Conclusion:n
Last Updated : Nov 21, 2019, 12:57 AM IST
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