बलौदाबाजार: सत्ता बदली, सरकारें बदली, दलीलें बदले, वादे बदले, लेकिन नहीं बदली तो कसडोल-चिचपोल मार्ग की तस्वीर. यह मार्ग कोई आम मार्ग नहीं है. इस मार्ग से कॉलेज-स्कूल ही नहीं बल्कि अस्पताल भी लोग आना-जाना करते हैं. अस्पताल की दूरी यहां से महज 1 किलोमीटर है, लेकिन पहुंचते-पहुंचते हालत खराब हो जाती है. आए दिन सड़क हादसे हो रहे हैं, लेकिन कोई सुध लेने वाला नहीं है. कसडोल विधानसभा प्रदेश की सबसे बड़ी विधानसभा क्षेत्र के साथ-साथ शुरू से ही हाई-प्रोफाइल सीट रही है, चाहे वो राजकमल सिंघानिया हो या फिर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल. दोनों ही कसडोल विधानसभा के विधायक रह चुके हैं, लेकिन आज तक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंच मार्ग के लिए कुछ नहीं हो पाया.
SPECIAL: सड़क जैसी मूलभूत सुविधा से महरूम ऊर्जाधानी, गड्ढों से गुजरना बन गई लोगों की नियति
कसडोल की जनता आज भी बुनियादी सुविधाओं से अछूती है. कसडोल से कई विधायक विधानसभा तक पहुंचे, लेकिन लोगों की समस्याएं कम नहीं कर पाए. वर्तमान में यहां से विधायक छत्तीसगढ़ सरकार की संसदीय सचिव शकुन्तला साहू हैं, जिन्हें 2 साल बीत जाने के बाद भी जर्जर सड़क की भनक तक नहीं लगी है. ग्रामीणों ने बताया कि सरकारी पनाह में पल रहे रेत माफिया सड़क की दुर्गति किए हुए हैं. सड़क से भारी वाहनों का आवागमन बंद है, बावजूद इसके धड़ल्ले से रेत लोड करके ले जाया जा रहा है. प्रशासन आंख मूंदकर बैठा है. जिम्मेदार कुछ भी बोलने से बच रहे हैं.
अस्पताल पहुंचने में लगता है घंटों का समय
चिचपोल रेत घाट शुरुआत से ही विवादों से घिरा हुआ है, कॉलेज के छात्रों और ग्रामीणों ने लगातार इस मामले में शिकायत भी कर चुके हैं कि इस मार्ग से भरी वाहनों को ना जाने दें, इसके बावजूद प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की है. इस रास्ते पर सबसे बुरा हाल मरीजों का है, जो इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जाने से पहले ही अपना दम तोड़ देते हैं. कसडोल BMO पैकरा से बात करने पर उन्होंने बताया कि अस्पताल आने वालों मरीजों को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और बरसात के मौसम में तो और भी बुरा हाल होता है. कॉलेज और अस्पताल जाने के रास्ते के बीच एक नाला पड़ता है जो बारिश होते ही उफान पर आ जाता है.
लोगों को सड़क का इंतजार
कसडोल-चिचपोल मार्ग को लेकर लोग कई बार प्रशासन की दहलीज तक गए, लेकिन सरकारी दफ्तरों से लोगों को खाली हाथ लौटना पड़ा. मरीजों को इलाज के लिए अस्पताल ले जाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. बारिश के दिनों में लोग बेहाल हो जाते हैं. बहरहाल, छत्तीसगढ़ में पिछली सरकार के 15 साल और नई सरकार के 2 साल बीतने को हैं, लेकिन इलाके के लोगों को आज भी मुकम्मल सुविधाएं नसीब नहीं है. लोगों को अब सड़क का इंतजार है.