राजधानी रायपुर से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर बलौदाबाजार वनमंडल अंतर्गत स्थित बारनवापारा अभ्यारण्य में हुए वन्यप्राणी रहवास उन्नयन कार्य से वहां मृदा में नमी होने के कारण घास प्रजाति शीघ्रता से बढ़ने लगी हैं. साथ ही इससे अभ्यारण्य में वन्यप्राणियों को अब घास चरने के लिए अच्छी सुविधा उपलब्ध हो गई (Good facility developed for habitat and pasture )है. जिससे वन्यप्राणी लेन्टाना और यूपोटोरियम के उन्मूलन कार्य के बाद स्वच्छंद विचरण भी करने लगे हैं. इससे पर्यटकों को वन्यप्राणियों की सहजता से दृष्टता हुई है. वन्यप्राणी भी स्वस्थ और तन्दुरूस्त दिखाई देने लगे हैं. अभ्यारण्य में वन्यप्राणी रहवास उन्मूलन कार्य के बाद घास पुनुरोत्पादन में स्पष्ट अंतर देखा जा सकता (wildlife in Barnawapara ) है.
कितना है अभ्यारण्य का क्षेत्रफल : बारनवापारा अभ्यारण्य का कुल क्षेत्रफल 244.86 वर्ग किमी है जिसमें मुख्यतः मिश्रित वन, साल वन व पूर्व के सागौन वृक्षारोपण है. बारनवापारा में मुख्य रूप से कर्रा, भिर्रा, सेन्हा, मिश्रित वनों में पाये जाते हैं. सागौन वृक्षारोपण क्षेत्र में प्राकृतिक रूप से उगे सागौन है तथा साल वन क्षेत्र कम रकबे में है. उक्त छत्रक प्रजाति के अतिरिक्त शाकिय प्रजाति जैसे यूपोटोरियम, लेन्टाना, चरोठा प्रमुख खरपतवार हैं. जिनके कारण बारनवापारा अभ्यारण्य क्षेत्र में पाये जाने वाले शाकाहारी वन्यप्राणियों को घास नहीं मिलती. वन्यप्राणियों को आवागमन में भी दिक्कत होती है. मांसभक्षी प्राणियों से भी बचाव कठिन हो जाता है.
इसे दृष्टिगत रखते हुए अभ्यारण्य में वन्यप्राणी रहवास उन्नयन कार्य के तहत सघन लेन्टाना एवं यूपोटोरियम के उन्मूलन का कार्य किया गया है. जिससे बारनवापारा अभ्यारण्य में अब वन्यप्राणियों को वर्षभर हरी खाद्य घास उनके भोजन और चारा के रूप में उपलब्ध हो सके. गौरतलब है कि बारनवापारा अभ्यारण्य में तेन्दुए, गौर, भालू, साम्भर, चीतल, नीलगाय, कोटरी, चौसिंघा, जंगली सुअर, जंगली कुत्ता, धारीदार लकड़बग्घा, लोमड़ी, भेड़िया एवं मूषक मृग जैसे वन्यप्राणी बहुतायत में मिलते हैं एवं आसानी से दिखते भी हैं.Barnawapara Sanctuary of chhattisgarh