बलौदाबाजार: जिले के बिलाईगढ़ ब्लॉक के गांव देवसागर में हर साल चैत्र पूर्णिमा पर मां जेवरादाई का विशाल मेला लगता है. इसका मूल स्थान जेवराडीह है. इस मेले में शामिल होने हजारों लोग दूर-दूर से आते हैं. यहां आने वाले भक्तों की हर मनोकामना मां के दर्शन से पूरी होती है.
कहा जाता है कि जिन महिलाओं की गोद सूनी होती है, उसे मां के चरण कमलों के आशीर्वाद से और बैगा के हल्दी के छींटा लेने पर मातृत्व का सुख मिलता है. जहां मां जेवरादाई विराजमान है, वह स्थान आज देवसागर है. इस स्थान को लेकर कहानियां प्रचलित हैं.
लोग बताते हैं कि सैकड़ों साल पहले यहां मां जेवरादाई विराजमान थीं. दूर-दूर से लोग दरबार में दर्शन के लिए आते थे. कोसम के पेड़ के नीचे मां विराजित थीं. एक दिन मेला समाप्त होने के बाद बैगा पूजा-पाठ के बाद चला गया फिर खड़ग लेने वापस आया. कहते हैं कि वहां बैगा को देवी जेवरादाई अपनी बहनों के साथ खेलती नजर आईं. उसी दिन से उन्होंने कहा कि चैत्र पूर्णिमा की रात यहां कोई नहीं रुकेगा. जिसके बाद इसी दिन मां जेवरादाई के नाम से मेला लगने लगा.