बलौदाबाजार: जिले में वनोपज संग्रहण करने गए दंपति को हाथियों के दल ने कुचलकर मार डाला. हाथियों का दल लवन रेंज में घूम रहा था, जहां पति-पत्नी हाथियों के झुंड के बीच में फंस गए. वहां हाथियों ने उन्हें कुचल दिया. दंपति डेरहा पटेल और रैनी बाई पटेल खैरा गांव के निवासी थे.
मौत की सूचना मिलते ही मौके पर वन विभाग की टीम और भारी संख्या में ग्रामीण पहुंचे. वन विभाग ने मृतकों के परिवार को 25 हजार की मुआवजा राशि दी है. उधर इस घटना के बाद ग्रामीणों में आक्रोश है. वे वन विभाग पर आरोप लगा रहे हैं कि हाथियों की जानकारी होने के बाद भी मुनादी नहीं कराई गई.
दो दिन पहले सुनाई दी थी हाथी की चिंघाड़
जिले में अलग-अलग जगहों पर हाथियों का दल घूम रहा है. ऐसे में ग्रामीणों में दहशत का माहौल है. दो दिन पहले भी कोठारी जंगल के पास सड़क के बीचों-बीच हाथी को घूमते देखा गया था. आसपास के 2 किलोमीटर तक हाथी की चिंघाड़ भी सुनाई दी थी. जिसके बाद वन विभाग ने कई जगहों पर मुनादी कर ग्रामीणों को सावधान रहने को कहा था. लेकिन लॉकडाउन की वजह से लोग घरों में हैं. जिसके कारण हाथी के घूमने की जानकारी मिलते ही पूरा गांव उन्हें देखने दौड़ पड़ता है. ऐसे में कोरोना संक्रमण के साथ-साथ हाथी के हमले का खतरा भी बना रहता है.
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हर साल हाथी करते हैं सैकड़ों एकड़ फसल बर्बाद
बलौदाबाजार जिले में हर साल हाथी किसानों की सैकड़ों एकड़ फसल और सब्जियों को नुकसान पहुंचाते हैं. वन विभाग मुआवजे के नाम पर केवल औपचारिकता ही करता है. वन विभाग हाथियों को रिहायशी इलाकों से भगाने में हमेशा नाकामयाब हो जाता है.
कसडोल विकासखंड में सबसे ज्यादा जंगल हैं. हर साल हाथियों का दल आसपास के इलाकों में उत्पात मचाता है. वन विभाग के अनुसार जिले में अभी 18 से 20 हाथी अलग-अलग समूह में घूम रहे हैं. वन विभाग उनकी ट्रेसिंग भी कर रहा है. जिन भी जगहों पर हाथी के होने की जानकारी मिलती है, वहां के इलाकों में मुनादी कर सावधान रहने की अपील भी की जा रही है.
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महुआ के लालच में रिहायशी इलाकों में घुसता है हाथियों का दल
जिले में वन्य क्षेत्रों से सटे बहुत से गांव हैं. इन गांवों के आसपास भारी तादाद में महुआ के पेड़ मिलते हैं. महुआ का फल हाथियों को काफी पसन्द होता है. जिसके लालच में हाथी रिहायशी इलाकों में घुस जाते हैं. आसपास के फसलों को रौंदकर उसे खराब करते रहते हैं. ऐसे में वन विभाग की जिम्मेदारी होती है कि हाथियों को दूर जंगल में वापस भेजें, जिससे जान-माल की हानि ना हो, लेकिन हर साल वन विभाग हाथियों को वापस खदेड़ने में नाकाम ही साबित होता है. हर साल हाथी लाखों का नुकसान करते हैं. जिसके मुआवजे के लिए किसानों को इधर-उधर भटकना पड़ता है, लेकिन मुआवजे के नाम पर कुछ भी हाथ नहीं लगता.