बलौदा बाजार: कहते हैं ज्ञान प्राप्त करने की कोई उम्र नहीं होती, जब और जहां मौका मिल जाए इंसान को वहीं से कुछ न कुछ सीख लेना चाहिए और कहा ये भी जाता है कि इंसान किसी भी उम्र में कुछ भी नया सीख सकते हैं, लेकिन कई बार परिस्थितियों के कारण कई लोग शिक्षा से वंचित रह जाते हैं.
इन दिनों छत्तीसगढ़ को बलौदा बाजार में भी कुछ ऐसी ही परिस्थितियां बनी हैं, जिसका शिकार दो मासूम हो गए हैं. सर्व शिक्षा अभियान और शिक्षा का अधिकार होने के बावजूद पनगांव के दो बच्चे स्कूल नहीं जा सकते हैं. सरकार सर्व शिक्षा अभियान के तहत सभी को शिक्षा देने का वादा तो करती है, लेकिन ये कानून उन्हें शिक्षा से वंचित भी कर रहा है क्योंकि, इन दोनों बच्चों की उम्र थोड़ी ज्यादा है.
स्कूल में नहीं मिला एडमिशन
दरअसल, पंनगाव के रहने वाले विशाल यादव और कुमारी उत्तरा गांव की प्राथमिक शाला में नियमित छात्र के रूप में पांचवीं तक की पढ़ाई की है. अब दोनों छठी की पढ़ाई के लिए मध्य विद्यालय में नामांकन कराना चाह रहे हैं, लेकिन मध्य विद्यालय के प्रधानपाठक ने दोनों को ये कहते हुए एडमिशन देने से मना कर दिया है कि विशाल यादव और कुमारी उत्तरा की उम्र छठी कक्षा में पढ़ाई के लिए होने वाली उम्र से ज्यादा है.
6 से 14 वर्ष बच्चे ही कक्षा 6 से 8 में पढ़ सकते
मामला सामने आने के बाद ETV भारत ने जब मध्य विद्यालय के प्रधानपाठक से बात की तो उनका कहना है कि शासन का आदेश है कि 6 से 14 वर्ष बच्चे ही कक्षा 6 से 8 में पढ़ सकते हैं और विशाल यादव और कुमारी उत्तरा की उम्र 15 साल और 13 साल 5 महीने है. ऐसे में नियमों के तहत विशाल जिसकी उम्र 15 साल है और कुमारी उत्तरा जिसकी उम्र 13 साल 5 महीने है, इसलिए उसे एडमिशन नहीं दिया जा सकता है.
बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़
इधर, दोनों बच्चों के घर वालों का कहना है कि आर्थिक तंगियों से जूझने के बाद भी वे अपने बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं, ताकि बच्चों का भविष्य बन जाए, लेकिन शासन के आदेश ने उनके बच्चों के भविष्य को अंधकार में धकेल दिया है. ऐसे में उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि वे अपने बच्चों की भविष्य के लिए क्या करें.