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उम्र एक साल ज्यादा क्या हो गई, इन बच्चों को एडमिशन नहीं दे रहा स्कूल - नामांकन में उम्र बना रोड़ा

बलौदा बाजार के पंनगाव में विशाल यादव और कुमारी उत्तरा को मध्य विद्यालय के प्रधानपाठक ने ये कहते हुए एडमिशन देने से मना कर दिया है कि विशाल यादव और कुमारी उत्तरा की उम्र छठी कक्षा में पढ़ाई के लिए होने वाली उम्र से ज्यादा है. इसके बाद से दोनों बच्चों के परिवार को इनकी भविष्य की चिंता सता रही है.

मां के साथ बैठा विशाल
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Published : Jul 13, 2019, 11:39 AM IST

Updated : Jul 13, 2019, 2:20 PM IST

बलौदा बाजार: कहते हैं ज्ञान प्राप्त करने की कोई उम्र नहीं होती, जब और जहां मौका मिल जाए इंसान को वहीं से कुछ न कुछ सीख लेना चाहिए और कहा ये भी जाता है कि इंसान किसी भी उम्र में कुछ भी नया सीख सकते हैं, लेकिन कई बार परिस्थितियों के कारण कई लोग शिक्षा से वंचित रह जाते हैं.

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इन दिनों छत्तीसगढ़ को बलौदा बाजार में भी कुछ ऐसी ही परिस्थितियां बनी हैं, जिसका शिकार दो मासूम हो गए हैं. सर्व शिक्षा अभियान और शिक्षा का अधिकार होने के बावजूद पनगांव के दो बच्चे स्कूल नहीं जा सकते हैं. सरकार सर्व शिक्षा अभियान के तहत सभी को शिक्षा देने का वादा तो करती है, लेकिन ये कानून उन्हें शिक्षा से वंचित भी कर रहा है क्योंकि, इन दोनों बच्चों की उम्र थोड़ी ज्यादा है.

स्कूल में नहीं मिला एडमिशन
दरअसल, पंनगाव के रहने वाले विशाल यादव और कुमारी उत्तरा गांव की प्राथमिक शाला में नियमित छात्र के रूप में पांचवीं तक की पढ़ाई की है. अब दोनों छठी की पढ़ाई के लिए मध्य विद्यालय में नामांकन कराना चाह रहे हैं, लेकिन मध्य विद्यालय के प्रधानपाठक ने दोनों को ये कहते हुए एडमिशन देने से मना कर दिया है कि विशाल यादव और कुमारी उत्तरा की उम्र छठी कक्षा में पढ़ाई के लिए होने वाली उम्र से ज्यादा है.

6 से 14 वर्ष बच्चे ही कक्षा 6 से 8 में पढ़ सकते
मामला सामने आने के बाद ETV भारत ने जब मध्य विद्यालय के प्रधानपाठक से बात की तो उनका कहना है कि शासन का आदेश है कि 6 से 14 वर्ष बच्चे ही कक्षा 6 से 8 में पढ़ सकते हैं और विशाल यादव और कुमारी उत्तरा की उम्र 15 साल और 13 साल 5 महीने है. ऐसे में नियमों के तहत विशाल जिसकी उम्र 15 साल है और कुमारी उत्तरा जिसकी उम्र 13 साल 5 महीने है, इसलिए उसे एडमिशन नहीं दिया जा सकता है.

बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़
इधर, दोनों बच्चों के घर वालों का कहना है कि आर्थिक तंगियों से जूझने के बाद भी वे अपने बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं, ताकि बच्चों का भविष्य बन जाए, लेकिन शासन के आदेश ने उनके बच्चों के भविष्य को अंधकार में धकेल दिया है. ऐसे में उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि वे अपने बच्चों की भविष्य के लिए क्या करें.

बलौदा बाजार: कहते हैं ज्ञान प्राप्त करने की कोई उम्र नहीं होती, जब और जहां मौका मिल जाए इंसान को वहीं से कुछ न कुछ सीख लेना चाहिए और कहा ये भी जाता है कि इंसान किसी भी उम्र में कुछ भी नया सीख सकते हैं, लेकिन कई बार परिस्थितियों के कारण कई लोग शिक्षा से वंचित रह जाते हैं.

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इन दिनों छत्तीसगढ़ को बलौदा बाजार में भी कुछ ऐसी ही परिस्थितियां बनी हैं, जिसका शिकार दो मासूम हो गए हैं. सर्व शिक्षा अभियान और शिक्षा का अधिकार होने के बावजूद पनगांव के दो बच्चे स्कूल नहीं जा सकते हैं. सरकार सर्व शिक्षा अभियान के तहत सभी को शिक्षा देने का वादा तो करती है, लेकिन ये कानून उन्हें शिक्षा से वंचित भी कर रहा है क्योंकि, इन दोनों बच्चों की उम्र थोड़ी ज्यादा है.

स्कूल में नहीं मिला एडमिशन
दरअसल, पंनगाव के रहने वाले विशाल यादव और कुमारी उत्तरा गांव की प्राथमिक शाला में नियमित छात्र के रूप में पांचवीं तक की पढ़ाई की है. अब दोनों छठी की पढ़ाई के लिए मध्य विद्यालय में नामांकन कराना चाह रहे हैं, लेकिन मध्य विद्यालय के प्रधानपाठक ने दोनों को ये कहते हुए एडमिशन देने से मना कर दिया है कि विशाल यादव और कुमारी उत्तरा की उम्र छठी कक्षा में पढ़ाई के लिए होने वाली उम्र से ज्यादा है.

6 से 14 वर्ष बच्चे ही कक्षा 6 से 8 में पढ़ सकते
मामला सामने आने के बाद ETV भारत ने जब मध्य विद्यालय के प्रधानपाठक से बात की तो उनका कहना है कि शासन का आदेश है कि 6 से 14 वर्ष बच्चे ही कक्षा 6 से 8 में पढ़ सकते हैं और विशाल यादव और कुमारी उत्तरा की उम्र 15 साल और 13 साल 5 महीने है. ऐसे में नियमों के तहत विशाल जिसकी उम्र 15 साल है और कुमारी उत्तरा जिसकी उम्र 13 साल 5 महीने है, इसलिए उसे एडमिशन नहीं दिया जा सकता है.

बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़
इधर, दोनों बच्चों के घर वालों का कहना है कि आर्थिक तंगियों से जूझने के बाद भी वे अपने बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं, ताकि बच्चों का भविष्य बन जाए, लेकिन शासन के आदेश ने उनके बच्चों के भविष्य को अंधकार में धकेल दिया है. ऐसे में उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि वे अपने बच्चों की भविष्य के लिए क्या करें.

Intro:एक तरफ सरकार हरके बच्चे को शिक्षा देने की बात कह रही है वही बलौदा बाजार के पनगांव स्थिति शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला के प्रधानपाठक द्वारा नियमो का हवाला देते हुए छठवीं कक्षा में प्रवेश देने के लिए मना किया जा रहा है।

पंनगाव के रहने ही वाले दो बच्चों की उम्र अधिक होने के कारण उन्हें छठवीं कक्षा में प्रवेश देने से प्रधानपाठक द्वारा माना किया जा रहा है।।


गाव के विशाल यादव उम्र 15 साल और कुमारी उत्तरा उम्र 13 साल 5 महीने ने गाव के प्राथमिक शाला से नियमित छात्र रहकर पहली से पाँचवीं कक्षा की पढाई की है। वही इसी वर्ष उन्होंने पाँचवीं कक्षा पास कर अपना एडमिशन के लिए मीडिल स्कूल गए तो वहां के प्रधानपाठक द्वारा उम्र अधिक कहकर प्रवेश देने से मना कर दिया गया।।




Body:वही इस मामले में जब प्रधानपाठक से मिलने स्कूल गया तो उनसे मुलाकात नही हो पाई।फोन पर बात करने से प्रधानपाठक ने बताया कि शासन द्वारा आदेश है कि 6 वर्ष से 14 वर्ष तक के बच्चे है वो छठवीं से आठवीं तक पड़ते है।
इस लिए प्रवेश नही दिया जा रहा है।।


Conclusion:वही अब दोनों बच्चों के घर वालो का कहना है अपने बच्चों को लगातार पढाई उनके आगे की पढ़ाई के लिए जब छठवी कक्षा प्रवेश लेने गए तो उम्र अधिक होने के नाम पर एडमिशन नही लाया जा रहा है । वही घर वाले चिंतित है कि उनके बच्चो को आगे कैसे पढ़ाए। घर वाले बच्चो के भविष्य के लिए पढ़ाई कराना चाहते है वही स्कूल के प्रधानपाठक नियमो का हवाला दे रहे है।


1 बाईट

विशाल यादव

2

विशाल यादव की माँ


3 कुमारी उत्तरा

4 उत्तरा के पिता
Last Updated : Jul 13, 2019, 2:20 PM IST
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