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बलौदाबाजार : करोड़ों की बायोमेट्रिक मशीन खा रही धूल, अधिकारी नहीं ले रहे सुध - स्कूलों मे बायोमेट्रिक मशीन खराब

कसडोल और बिलाईगढ़ विकासखंड के अधिकांश स्कूलों मे बायोमेट्रिक मशीनों की हालात खस्ता हो चुकी है. सभी स्कूलों की मशीनों में अलग-अलग समस्या सामने आने के बाद फिर से रजिस्टर के सहारे ही शिक्षकों की उपस्थिति दर्ज की जा रही है.

करोड़ों की लागत लगाई गई बायोमेट्रिक मशीन खा रही धूल
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Published : Oct 2, 2019, 5:19 PM IST

Updated : Oct 2, 2019, 8:10 PM IST

बलौदाबाजार : प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति की सही जानकारी के लिए शासन ने बायोमेट्रिक मशीन के जरिए शिक्षकों की अटेंडेंस दर्ज करवाने का फैसला लिया था. इसके लिए सभी स्कूलों में मशीन भी लगाई गई, लेकिन कसडोल और बिलाईगढ़ विकासखंड के अधिकांश स्कूलों मे इन मशीनों की हालात खस्ता हो चुकी है. सभी स्कूलों की मशीनों में अलग-अलग समस्या सामने आने के बाद फिर से रजिस्टर के सहारे ही शिक्षकों की उपस्थिति दर्ज की जा रही है.

करोड़ों की बायोमेट्रिक मशीन खा रही धूल

कसडोल और बिलाईगढ़ विकासखंड के अधिकांश स्कूल जंगलों से घिरे हुए हैं. जहां बिजली और मोबाइल नेटवर्क की समस्या रहती है. ऐसे में इन स्कूलों में बायोमेट्रिक मशीन का वितरण तो कर दिया गया, लेकिन मशीनों में खामी की वजह इससे शिक्षकों की हाजिरी दर्ज नहीं हो पा रही है. बायोमेट्रिक मशीन में वाई फाई से कनेक्ट करने की सुविधा तो दी गयी है लेकिन जो मशीनें स्कूलों में दी गयी है वो निम्न स्तर की हैं. बार-बार खराबी आने की वजह से शिक्षकों ने अब इस मशीन में उपस्थित दर्ज करना ही बंद कर दिया है.

पढ़ें : गांधी @ 150: जब बापू ने बिलासपुर में रखे थे कदम, जानिए क्यों महिलाओं ने न्योछावर कर दिए थे जेवर

शिक्षकों ने इन मशीनों को लेकर आधिकारियों से शिकायत की है, लेकिन अब तक इस ओर कोई कदम नहीं उठाए गए हैं. जिला शिक्षा अधिकारी आर के वर्मा ने इस बारे में चिप्स (छत्तीसगढ़ इन्फोटेक प्रमोशन सोसायटी) को जानकारी भेजने की बात कही है.

बलौदाबाजार : प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति की सही जानकारी के लिए शासन ने बायोमेट्रिक मशीन के जरिए शिक्षकों की अटेंडेंस दर्ज करवाने का फैसला लिया था. इसके लिए सभी स्कूलों में मशीन भी लगाई गई, लेकिन कसडोल और बिलाईगढ़ विकासखंड के अधिकांश स्कूलों मे इन मशीनों की हालात खस्ता हो चुकी है. सभी स्कूलों की मशीनों में अलग-अलग समस्या सामने आने के बाद फिर से रजिस्टर के सहारे ही शिक्षकों की उपस्थिति दर्ज की जा रही है.

करोड़ों की बायोमेट्रिक मशीन खा रही धूल

कसडोल और बिलाईगढ़ विकासखंड के अधिकांश स्कूल जंगलों से घिरे हुए हैं. जहां बिजली और मोबाइल नेटवर्क की समस्या रहती है. ऐसे में इन स्कूलों में बायोमेट्रिक मशीन का वितरण तो कर दिया गया, लेकिन मशीनों में खामी की वजह इससे शिक्षकों की हाजिरी दर्ज नहीं हो पा रही है. बायोमेट्रिक मशीन में वाई फाई से कनेक्ट करने की सुविधा तो दी गयी है लेकिन जो मशीनें स्कूलों में दी गयी है वो निम्न स्तर की हैं. बार-बार खराबी आने की वजह से शिक्षकों ने अब इस मशीन में उपस्थित दर्ज करना ही बंद कर दिया है.

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शिक्षकों ने इन मशीनों को लेकर आधिकारियों से शिकायत की है, लेकिन अब तक इस ओर कोई कदम नहीं उठाए गए हैं. जिला शिक्षा अधिकारी आर के वर्मा ने इस बारे में चिप्स (छत्तीसगढ़ इन्फोटेक प्रमोशन सोसायटी) को जानकारी भेजने की बात कही है.

Intro:बलौदाबाजार - छत्तीसगढ़ में शिक्षकों के ऊपर नकेल कसने और शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाने के लिए शाशन ने करोड़ों रुपए खर्च कर सूबे की सभी सरकारी स्कूलों में बायोमेट्रिक मशीन भिजवाया था जिसका उद्देश्य था कि शिक्षकों की उपस्थित फिंगर प्रिंट के सहारे ऑनलाइन दर्ज हो सके,बलौदाबाजार जिले में बायोमेट्रिक मशीनों की क्या स्थिति है इसको लेकर रियल्टी चेक किया हमारे संवाददाता ने..Body: अलमारी में बंद धूल खाती ये वो बायोमेट्रिक मशीन है जिसमें शिक्षकों की उपस्थिति उसके स्कूल आने और जाने के समय में फिंगर प्रिंट के माध्यम से ऑनलाइन दर्ज होनी थी और इस मशीन के लिए सरकार ने करोड़ों रुपये भी फूंक दिए, लेकिन बलौदाबाजार जिले में ये बायोमेट्रिक मशीनें आलमारी की शोभा बढ़ाने का काम आ रही है,बलौदाबाजार जिले के अधिकांश स्कूलों में आज बायोमेट्रिक मशीन से शिक्षकों की उपस्थिति दर्ज नहीं हो पा रही है और जहां बायोमेट्रिक मशीन से शिक्षकों की उपस्थिति दर्ज हो रही है वहां शिक्षक भी अपनी मनमामी कर बायोमेट्रिक मशीन से अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा रहे हैं।

बलौदाबाजार जिले का कसडोल और बिलाईगढ़ विकासखण्ड का अधिकांश स्कूल जंगलों से घिरा हुआ है जहां लाइट और मोबाइल नेटवर्क की समस्या रहती है ऐसे में इन स्कूलों में बायोमेट्रिक मशीन का वितरण तो कर दिया गया है लेकिन मशीनों में खामी के चलते इससे शिक्षकों की उपस्थिति दर्ज नहीं हो पा रही है,बायोमेट्रिक मशीन में हालांकि वाई फाई से कनेक्ट करने की सुविधा तो दी गयी है लेकिन जो मशीनें स्कूलों में दी गयी है वो इतनी निम्न स्तर की है जिसमें बार बार खराबी आने के चलते शिक्षक अब इस मशीन में उपस्थित दर्ज कराने से कतराने लगे हैं और इस मशीन के बजाय रजिस्टर में ही अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं।

बलौदाबाजार जिले में बायोमैट्रिक मशीन का वितरण किये साल भर से भी अधिक का समय बीत चुका है लेकिन हैरानी की बात ये है कि कितने स्कूलों में इस मशीन के माध्यम से शिक्षकों की उपस्थित दर्ज हो रही इसका सही सही आंकड़ा जिले के अधिकारियों के पास भी नहीं है अब ऐसे में बड़ा सवाल ये उठता है करदाताओं के करोड़ों रुपयों को योजना के नाम पर फूंक तो दिया जा रहा है लेकिन इसका पालन सही तरीके से नहीं हो पा रहा है,छत्तीसगढ़ में शिक्षा सत्र प्रारंभ हुए 4 महीनों से भी अधिक का समय बीत चुका लेकिन विभाग के अधिकारी अब भी मशीनों में तकनीकी खराबी का राग अलाप रहे हैं और अधकारियों के पास इन मशीनों में कब तक सुधार हो पायेगा और शिक्षक कब इस मशीन से अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे इसका सही जवाब इनके पास नहीं है,अब ऐसे में बड़ा सवाल ये उठता है कि शिक्षा में गुणवत्ता लाने और शिक्षकों पर नकेल कसने के लिए उठाया गया ये कदम कितना सही है? क्या तकनीकी खामी के चलते इन मशीनों का उपयोग भी कभी हो पायेगा? जो मशीनें स्कूलों में वितरित की गई क्या उनकी गुणवत्ता सही है? फिलहाल इन सभी सवालों का जवाब तो आने वाला वक़्त ही बताएगा लेकिन वर्तमान में ये योजना फ्लॉप होती नजर आ रही है और जो मशीनें इसकी गुणवत्ता की जांच भी होनी चाहिए।Conclusion:बाइट 01 :- श्रीमती मोती साहू - सहायक शिक्षिका प्राथमिक शाला कसौंदी

बाइट02 :- भानू राम साहू ब्याख्याता हाइयर सेकंडरी स्कूल कोटियडीह

बाइट 03 :- पालेश्वर वैष्णव - शिक्षक तेंदुमुड़ी

बाईट 04 :- शिक्षक सोनयाडीह स्कूल

बाइट 05 :- आर के वर्मा - जिला शिक्षा अधिकारी बलौदाबाजार ( चेहरे पर दाढ़ी और आंखों पर चश्मा लागये हुए )
Last Updated : Oct 2, 2019, 8:10 PM IST
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