बलौदाबाजार: कलेक्टर सुनील कुमार जैन ने पशुओं के शरीर में हो रहे अजीब से घाव (लम्पी स्किन डिसीज) संबधी सूचना को गंभीरता से लिया है. इस संबंध में उन्होंने पशु पालन विभाग के अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं. लगातार बारिश और जमीन के गीला होने से इस तरह की बीमारी के बढ़ने की संभावना बनी रहती है.
पशु पालन विभाग के उपसंचालक डॉक्टर सी के पांडेय ने बताया कि जिले के कुछ गांवों के गौवंशी पशुओं में लम्पी स्किन बीमारी के लक्ष्ण मिले हैं. उन्होंने ने बताया कि इस बीमारी से पशुओं के शरीर की त्वचा पर गठान बन जाती है. पशुओं को बुखार आता है. साथ ही दुधारू पशुओं के दुग्ध उत्पादन में कमी आ जाती है. कुछ गठानों से मवाद भी आता है. इस बीमारी को लम्पी स्किन डिसीज के नाम से जाना जाता है.
दुग्ध उत्पादन में कमी
डॉक्टर पांडेय ने आगे बताया कि यह एक विषाणु जनित संक्रामक रोग है. इसके साथ ही यह रोग मच्छर काटने, मक्खी आदि से एक पशु से दूसरे पशुओं में फैलता है. बीमारी हो जाने पर पशुओं की चमड़ी में गठान (लिम्प नोड्स में सूजन) पैरों में सूजन, दुग्ध उत्पादन में कमी आदि लक्षण पाए जाते हैं.
5 लाख से अधिक पशुओं का हुआ टीकाकरण
जिले के 128 गांवों में पशु चिकित्सा दल लगातार उपचार और टीकाकरण कार्य कर रहा है. अभी तक 39 हजार 688 पशुओं का उपचार और 5 लाख 12 हजार 484 पशुओं को टीकाकरण किया जा चुका है. डॉ. पांडेय ने बताया कि इस रोग के होने पर पशु सुस्त हो जाते हैं और बुखार के साथ ही दर्द से परेशान हो सकते हैं. इस रोग से पशु दो तीन सप्ताह में ठीक हो जाते हैं. हालांकि दुग्ध उत्पादन कई सप्ताह तक कम रह सकता है.
संक्रमित क्षेत्र में पशु आवागमन पर प्रतिबंध
चमड़ी में गठान फूट जाने पर इन फोड़ों में संक्रमण और कीड़े पड़ने की संभावना हो सकती है. उन्होंने बताया कि यह रोग विषाणु जनित है अतः इसका वर्तमान में निश्चित उपचार उपलब्ध नहीं है. इस रोग की रोकथाम और नियंत्रण के लिए आवश्यक उपाय जैसे मच्छर, मक्खी की रोकथाम के लिए संक्रमित क्षेत्र में पशु आवागमन पर प्रतिबंध और संक्रमित क्षेत्र की साफ-सफाई की जानी चाहिए.
पशुओं को सूखी जगह में रखे
रोग ग्रस्त पशु को स्वस्थ पशुओं से अलग कर देना चाहिए और लक्ष्ण के आधार पर चिकित्सा की जानी चाहिए. उन्होंने बताया कि जिले के सभी पशुपालक-पशुओं को होने वाली इस बीमारी से घबराए नहीं, क्योंकि इस बीमारी से होने वाली मृत्यु दर बहुत कम है. इसके साथ ही डॉ पांडेय ने सभी पशुपालक को से आग्रह किया है कि अभी पशुओं को सुखी जगह में ही रखे. उन्हें भीगने से बचाए, जिससे उन्हें निमोनिया का खतरा नहीं होगा. पशुओं के भीगने से निमोनिया होने का डर बना होता है. साथ ही पशुओं को फफूंद लगा हुआ पैरा न खिलाए. इससे जानवरों में फूड पॉयजनिंग का डर बना रहता है.
लक्षण मिलने पर इनसे करें संपर्क
किसी भी पशु में इस रोग के लक्षण मिलने पर अपनी नजदीकी गांवों में उपस्थित पशु चिकित्सा केंद्र, पशुपालन विभाग के कर्मचारियों और कार्यालय उपसंचालक पशु पालन विभाग बलौदाबाजार-भाटापारा से डॉक्टर तरुण सोनवानी मोबाइल नंबर 76875-75232 और 07727-223540 में संपर्क कर बीमार पशुओं की जानकारी दर्ज कराने के साथ ही पशुओं का उपचार अनिवार्य रूप से कराएं.