बालोद: महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कलेक्टर ने बालोद बंधन नाम से एक योजना की शुरुआत की है. इसके तहत महिलाएं आत्मनिर्भरता की ओर एक कदम आगे बढ़ा कर अपने-अपने समूहों के माध्यम से राखियों का निर्माण कर रही हैं. राखियों का निर्माण धान, चावल और कपड़ों से किया जा रहा है. महिला समूह की ओर से बनाई गई इन राखियों को लोग बहुत पसंद भी कर रहे हैं.
बालोद शहर की सड़कों पर त्योहार के इस सीजन में कुछ महिलाएं छोटे-छोटे स्टॉल लगाकर सुंदर सी राखियां बेच रही हैं. इन राखियों को वो घर में ही बनाती हैं. महिलाएं बताती हैं कि उन्हें बिहान योजना के तहत अधिकारियों की ओर से प्रोत्साहित किया गया और अब वे इसका निर्माण कर विक्रय कर रही हैं.
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ग्राहकों का कहना है कि चावल, धान से बनी राखियां इन दिनों आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं. छोटी-छोटी वस्तुओं से राखियां बनाई गई हैं, जो बेहद सुंदर लग रही हैं. लोगों का कहना है कि हम सबको आगे आकर इन महिलाओं को प्रोत्साहित करना चाहिए और स्वदेशी अपनाने की ओर एक कदम उठाना चाहिए. बालोद जिले में ऐसा पहली बार हुआ है जब महिलाएं खुद राखियां बनाकर बेच रही हैं. कलेक्टर ने निर्मित राखियों का नाम बालोद बंधन रखा है.
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सोमवार को पूरे देश में रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा. रक्षाबंधन से पहले राखी का बाजार सज चुका है, लेकिन राखी के बाजार में कोरोना के कारण ग्राहकों की संख्या भी काफी कम है. हालांकि प्रशासन ने 3 अगस्त को होने वाले रक्षाबंधन त्योहार को देखते हुए 29 और 30 जुलाई को 2 दिनों के लिए राखी बाजार 4-4 घंटे खोलने की अनुमति दी है, जिसके बाद राखी बाजार में थोड़ी-बहुत रौनक देखने को मिली है. राखी बेचने वाले दुकानदारों को इस बार नुकसान और घाटे का सामना करना पड़ रहा है. बाजारों में स्वदेशी राखियों का ही बोलबाला है.