बालोद: सिटी कोतवाली में शनिवार को पुलिस अधीक्षक डॉ. जितेंद्र कुमार यादव ने महिला कमांडो की बैठक ली. कोरोना संक्रमण काल में महिला कमांडो का अपराध रोकने और सामाजिक जागरूकता का काम थम गया था. इसे मिशन पूर्ण शक्ति के तहत फिर से शुरू किया गया है. महिला कमांडो पिछले डेढ़ दशक से इस जिम्मेदारी को निभा रही हैं. पुलिस विभाग ने इनकी मेहनत की तारीफ करते हुए इनके आर्थिक सामाजिक विकास का भरोसा भी दिलाया है. डीएसपी गीता माघवानी ने महिला कमांडो को 'अभिव्यक्ति एप' के बारे में जानकारी दी. महिला कमांडो के मोबाइल में अभिव्यक्ति एप को डाउनलोड भी कराया गया.
चमकते सितारे की तरह महिला हैं कमांडो: बालोद जिला पुलिस अधीक्षक डॉ. जितेंद्र कुमार यादव कहा कि "जिले की महिला कमांडो चमकते सितारे की तरह हैं, जो पिछले 15 साल से सामाजिक दायित्व निभाते हुए काम कर रही हैं." उन्होंने अपने बचपन की घटना बताते हुए कहा कि "मैं भी जशपुर जिले के एक छोटे से गांव से आता हूं. उस समय पढ़ाई में आम लोगों में कम ही दिलचस्पी रहती थी, लेकिन मुझे मेरी मां ने भरपूर सपोर्ट किया, जिसकी बदौलत आज मैं यहां पर हूं. यदि महिलाएं ठान लें तो परिवर्तन जरूर लाया जा सकता है."
गरियांबद: गांवों में अपराध रोकने के लिए महिला कमांडो का गठन
महिलाओं ने ठाना है तो जरूर आएगा बदलाव: जिला पुलिस अधीक्षक ने कहा कि "यदि महिलाओं ने ठान लिया है तो वे जरूर अच्छा काम करेंगी और अपराधों में भी कमी आएगी. अब अपराधी को सजा मिलना बहुत ही जरूरी है, ताकि आने वाली पीढ़ी सुरक्षित रहे." उन्होंने बताया कि "कंट्रोल रूम 24 घंटे काम कर रहा है. इसके अलावा महिला कमांडो थाना प्रभारी से बेहिचक संपर्क कर सकती हैं. पिछले दिनों गुंडरदेही में भी सभा हुई थी, जहां पर संबंधित सभी पुलिस थानों में निर्देश दिया गया था कि महिला कमांडो की शिकायतों को सुनें और मैं व्यक्तिगत तौर पर भी मानिटरिंग कर रहा हूं."
65 हजार महिला कमांडो हैं सक्रिय: गुंडरदेही की पद्मश्री शमशाद बेगम ने कहा कि "नारी शक्ति, मातृशक्ति की बदौलत आज हम सब इस मुकाम पर हैं. दुर्ग जिले में 1990 में साक्षरता समूह से काम करते हुए सफर शुरू किया. महिला कमांडो सामाजिक बुराइयों से लड़ने ने लिए लगातार काम कर रही हैं. बालोद जिले में लगभग 12500 कमांडो और पूरे छत्तीसगढ़ में लगभग 65000 महिला कमांडो निस्वार्थ सेवा कर रही हैं. हमारा उद्देश्य शांति कायम करना है. कानून हाथ में लेना नहीं. पुलिस और जनता के सहयोग से ही महिला कमांडो काम कर पा रही हैं." उन्होंने महिला कमांडो से कहा कि "स्वयं सेविका के रूप में काम करें. लॉकडाउन के दौरान भी महिला कमांडो ने अच्छा काम किया."