बालोद: जीवनदायिनी तांदुला नदी की स्थिति बेहद दयनीय हो गई है. नदी पूरी तरह से गंदगी से पट गई है. बार-बार शिकायत के बाद भी स्थानीय प्रशासन इस तरफ ध्यान नहीं दे रहा है. जिससे नाराज ग्रामीणों ने तांदुला की सफाई का जिम्मा खुद उठा लिया है. ग्रामीणों ने हर रोज नदी साफ करने का फैसला लिया है.
ग्रामीणों ने उठाई जिम्मेदारी
तांदुला नदी बालोद जिले की जीवनदायिनी मानी जाती है. जिले के कई गांव में रहने वालों को इसी नदी का सहारा है. नदी की रेत के माध्यम से लाखों रुपये का राजस्व राज्य को जाता है. तांदुला नदी बालोद जिला प्रशासन सहित पास के जिले के लिए भी आय का बड़ा साधन है. यहां से निकले रेत की नीलामी होती है. इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्र भी छोटी-बड़ी जरूरतों के लिए यहां की रेत का उपयोग करते हैं. बावजूद इसके नदी की साफ-सफाई को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. नदी में जलकुंभी हो गई है. जिसके कारण इसका पानी प्रदूषित हो रहा है. हीरापुर गांव के लोगों ने तादुला की सफाई की जिम्मेदारी ली है.
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सफाई का नहीं दिया जा रहा धायान
ग्रामीणों ने बताया कि पहले वे पहले कभी-कभी थोड़ी नदी की सफाई करते थे, लेकिन अब उन्होंने हर रोज सुबह 5 बजे से नदी साफ करने का फैसला लिया है. उन्होंने बताया कि नगर पालिका से शहर का गंदा पानी यहां पर आता है, लेकिन इसकी सफाई का ध्यान किसी को नहीं है.
64 किलोमीटर लंबी नदी
गांववालों ने बताया कि बारिश में जब पानी का बहाव पढ़ेगा तो एनीकट के माध्यम से इस गंदे पानी को बाहर निकाला जा सकता है. बता दें कि इस नदी की लंबाई लगभग 64 किलोमीटर है. इसपर बांध भी बनाया गया है.