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बांस शिल्प से महिलाओं ने ढूंढा समृद्धि का द्वार, खूबसूरत कलाकृतियों की सप्लाई बेंगलुरु से गोवा तक - BAMBOO CRAFTS

छत्तीसगढ़ में स्व सहायता समूह की महिलाएं बांस शिल्प सीखकर पैसे कमा रहीं हैं.

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बांस शिल्प से कमाई (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 26, 2024, 2:23 PM IST

कोरबा: बांस शिल्प से बनने वाली वस्तुओं से महिलाओं ने समृद्धि का द्वार ढूंढ लिया है. कोरबा जिले के गांव सालिहभाठा में स्फूर्ति संस्था के सहयोग से महिलाओं को पहले ट्रेनिंग दी गई. केंद्र सरकार की एमएसएमई योजना के तहत मशीन मिली, फिर राज्य सरकार के ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत उन्हें लोन देकर महिला समूह का गठन कर स्वावलंबन से जोड़ा गया.

अब यह सेंटर सफलतापूर्वक चल रहा है. यहां आसपास के दर्जन भर गांव की महिलाएं जाकर प्रशिक्षण लेती हैं. जिन महिलाओं को प्रशिक्षण के बाद बांस शिल्प के आइटम बनाने आ जाते हैं, वह यहां आकर कारीगरी करती हैं. समूह को भी इस योजना से जोड़ा गया है. महिला समूह को लोन के साथ स्वरोजगार के लिए भी बढ़ावा दिया जा रहा है. जो महिलायें पहले बेरोजगार हुआ करती थीं, अब उनके पास रोजगार है. महीने में 3000 से 4000 तक आमदनी हो जाती है. इसके साथ ही कुछ महिलाओं ने स्वरोजगार की दिशा में भी कदम बढ़ाया है. इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिली है.

बांस शिल्प से कमाई (ETV Bharat Chhattisgarh)

महिलाओं को पहले दी गई बांस से सामान बनाने की ट्रेनिंग: बांस शिल्प केंद्र सलिहाभाठा के क्लस्टर प्रभारी कृष्ण कुमार ने बताया कि केंद्र सरकार की एमएसएमई योजना के तहत इस केंद्र में मशीन प्रोवाइड की गई है. जिससे बांस की कलाकृतियों का निर्माण किया जाता है. महिलाओं के लिए ट्रेनिंग की व्यवस्था की गई. असम से ट्रेनर बुलाए गए. महिलाओं को बांस की अलग अलग कलाकृतियां फ्लावर पॉट, कुर्सियां, शोकेस में सजाने वाले बांस शिल्प के अलग अलग आइटम बनाने की ट्रेनिंग दी गई.

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बांस की कलाकृतियों को छत्तीसगढ़ के साथ दूसरे राज्यों में भी भेजा जा रहा (ETV Bharat Chhattisgarh)

बांस से बने सामान कई राज्यों में कर रहे सप्लाई: कृष्ण कुमार बताते हैं कि बांस शिल्प केंद्र में सालिहाभाठा और आसपास के गांव की कई महिलाएं काम करती हैं. जिन्हें मासिक आय होती है. यहां जिन सामग्रियों का निर्माण होता है, उसे न सिर्फ छत्तीसगढ़ के अलग अलग जिलों तक भेजा जाता है बल्कि महाराष्ट्र, बेंगलुरु, मध्य प्रदेश से लेकर गोवा तक सप्लाई की जाती है. बांस की कलाकृतियों की अच्छी खासी डिमांड है.

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केंद्र सरकार की एमएसएमई योजना से खरीदी जा रही मशीनें (ETV Bharat Chhattisgarh)

मार्च 2020 से बांस शिल्प केंद्र शुरू हुआ. शुरुआत में 902 कारीगरों का रजिस्ट्रेशन हुआ. जिसमें से साढ़े 4 सौ कारीगरों को ट्रेनिंग दे चुके हैं. 35 से 40 कारीगर हमारे साथ लगातार काम कर रहे हैं. हमारा उद्देश्य है कि बांस शिल्प कला को बढ़ावा देने के साथ ही महिलाओं को आजीविका से जोड़ा जाए. समूह की महिलाओं को महीने में 10 से 12 हजार रुपये की कमाई हो रही है: कृष्ण कुमार कौशिक, क्लस्टर प्रभारी

बांस शिल्प महिलाओं के लिए बना रोजगार का साधन : बांस की कारीगर जीवन कंवर बताती हैं कि वो बांस का गुलदस्ता, लैंप, आभूषण, पैन स्टैंड, टोकरी, लैंप, दीवार घड़ी सब बनाते हैं. पहले आसपास रोजगार का कोई साधन नहीं था. रोजी मजदूरी करते थे, लेकिन जब से बांस शिल्प केंद्र यहां खुला है, तब से उनके लिए रोजगार का साधन मिल गया है. बांस से अलग अलग आइटम बनाने की ट्रेनिंग ली.

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बांस शिल्फ से सजावट की खूबसूरत चीजें बना रही महिलाएं (ETV Bharat Chhattisgarh)

महीने में 3000 से 4000 तक की आय हो जाती है, जो पैसे मिलते हैं. उससे घर चला रहे हैं. बच्चों को पढ़ा रहे हैं. काफी मदद मिल रही है: जीवन कंवर, बांस की कारीगर

समूह से जुड़ी महिलाओं को लाभ : महिला समूह की सदस्य रामेश्वरी कहती हैं कि पहले वह बेरोजगार थी लेकिन बिहान योजना से जुड़कर अब वह बैंबो क्राफ्ट का काम कर रही है. बांस से ट्रे, कप, झूमर, लैंप, फल और फूल की टोकरी बनाती है. इनके बनाएं सामान सरस मेला, सी मार्ट और व्यापार मेला में प्रदर्शन लगती है जिससे उन्हें महीने में 3 से चार हजार रुपये की कमाई हो जाती है. इस कमाई से घर अच्छे से चल जाता है. रामेश्वरी बताती हैं कि साल 2022 में बांस शिल्प की ट्रेनिंग ली. 15 दिनों की ट्रेनिंग देने असम से ट्रेनर आए थे. बीच बीच में अलग अलग सामान की ट्रेनिंग दी जाती है.

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10 से 12000 रुपये महीना कमा रही महिलाएं (ETV Bharat Chhattisgarh)

प्रदेश के अलग अलग जिलों से महिलाएं यहां बांस का काम सीखने आती है. सभी महिलाएं इस काम में अपना समय नहीं दे पातीं. समूह से जिन महिलाओं को जोड़ा गया, बिहान योजना के तहत वह सभी महिलाएं यहां आ रही हैं: रामेश्वरी, बांस की कारीगर

साल 2020 से शुरू हुआ बांस शिल्प केंद्र: कोरोना काल में पलायन खत्म करने शुरू किया गया बांस शिल्प केंद्र आज भी कई गांवों की महिलाओं को रोजगार दे रहा है, जिससे ना सिर्फ महिलाएं पैसे कमा रही है बल्कि छत्तीसगढ़ की बांस कला का देशभर में प्रचार भी हो रहा है.

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कोरबा में बांस शिल्प का काम करती महिलाएं (ETV Bharat Chhattisgarh)
सिरौली का चमत्कारिक हनुमान मंदिर, रियासतकाल से भक्तों की मनोकामना कर रहा पूरी
दुर्ग के मैत्री बाग में व्हाइट टाइगर के लिए अलाव, अन्य जानवरों के लिए भी खास इंतजाम
कांकेर में नक्सलियों की मिट रही दहशत, आतंक पर भारी पड़ा विकास, महला गांव में लौटी रौनक

कोरबा: बांस शिल्प से बनने वाली वस्तुओं से महिलाओं ने समृद्धि का द्वार ढूंढ लिया है. कोरबा जिले के गांव सालिहभाठा में स्फूर्ति संस्था के सहयोग से महिलाओं को पहले ट्रेनिंग दी गई. केंद्र सरकार की एमएसएमई योजना के तहत मशीन मिली, फिर राज्य सरकार के ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत उन्हें लोन देकर महिला समूह का गठन कर स्वावलंबन से जोड़ा गया.

अब यह सेंटर सफलतापूर्वक चल रहा है. यहां आसपास के दर्जन भर गांव की महिलाएं जाकर प्रशिक्षण लेती हैं. जिन महिलाओं को प्रशिक्षण के बाद बांस शिल्प के आइटम बनाने आ जाते हैं, वह यहां आकर कारीगरी करती हैं. समूह को भी इस योजना से जोड़ा गया है. महिला समूह को लोन के साथ स्वरोजगार के लिए भी बढ़ावा दिया जा रहा है. जो महिलायें पहले बेरोजगार हुआ करती थीं, अब उनके पास रोजगार है. महीने में 3000 से 4000 तक आमदनी हो जाती है. इसके साथ ही कुछ महिलाओं ने स्वरोजगार की दिशा में भी कदम बढ़ाया है. इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिली है.

बांस शिल्प से कमाई (ETV Bharat Chhattisgarh)

महिलाओं को पहले दी गई बांस से सामान बनाने की ट्रेनिंग: बांस शिल्प केंद्र सलिहाभाठा के क्लस्टर प्रभारी कृष्ण कुमार ने बताया कि केंद्र सरकार की एमएसएमई योजना के तहत इस केंद्र में मशीन प्रोवाइड की गई है. जिससे बांस की कलाकृतियों का निर्माण किया जाता है. महिलाओं के लिए ट्रेनिंग की व्यवस्था की गई. असम से ट्रेनर बुलाए गए. महिलाओं को बांस की अलग अलग कलाकृतियां फ्लावर पॉट, कुर्सियां, शोकेस में सजाने वाले बांस शिल्प के अलग अलग आइटम बनाने की ट्रेनिंग दी गई.

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बांस की कलाकृतियों को छत्तीसगढ़ के साथ दूसरे राज्यों में भी भेजा जा रहा (ETV Bharat Chhattisgarh)

बांस से बने सामान कई राज्यों में कर रहे सप्लाई: कृष्ण कुमार बताते हैं कि बांस शिल्प केंद्र में सालिहाभाठा और आसपास के गांव की कई महिलाएं काम करती हैं. जिन्हें मासिक आय होती है. यहां जिन सामग्रियों का निर्माण होता है, उसे न सिर्फ छत्तीसगढ़ के अलग अलग जिलों तक भेजा जाता है बल्कि महाराष्ट्र, बेंगलुरु, मध्य प्रदेश से लेकर गोवा तक सप्लाई की जाती है. बांस की कलाकृतियों की अच्छी खासी डिमांड है.

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केंद्र सरकार की एमएसएमई योजना से खरीदी जा रही मशीनें (ETV Bharat Chhattisgarh)

मार्च 2020 से बांस शिल्प केंद्र शुरू हुआ. शुरुआत में 902 कारीगरों का रजिस्ट्रेशन हुआ. जिसमें से साढ़े 4 सौ कारीगरों को ट्रेनिंग दे चुके हैं. 35 से 40 कारीगर हमारे साथ लगातार काम कर रहे हैं. हमारा उद्देश्य है कि बांस शिल्प कला को बढ़ावा देने के साथ ही महिलाओं को आजीविका से जोड़ा जाए. समूह की महिलाओं को महीने में 10 से 12 हजार रुपये की कमाई हो रही है: कृष्ण कुमार कौशिक, क्लस्टर प्रभारी

बांस शिल्प महिलाओं के लिए बना रोजगार का साधन : बांस की कारीगर जीवन कंवर बताती हैं कि वो बांस का गुलदस्ता, लैंप, आभूषण, पैन स्टैंड, टोकरी, लैंप, दीवार घड़ी सब बनाते हैं. पहले आसपास रोजगार का कोई साधन नहीं था. रोजी मजदूरी करते थे, लेकिन जब से बांस शिल्प केंद्र यहां खुला है, तब से उनके लिए रोजगार का साधन मिल गया है. बांस से अलग अलग आइटम बनाने की ट्रेनिंग ली.

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बांस शिल्फ से सजावट की खूबसूरत चीजें बना रही महिलाएं (ETV Bharat Chhattisgarh)

महीने में 3000 से 4000 तक की आय हो जाती है, जो पैसे मिलते हैं. उससे घर चला रहे हैं. बच्चों को पढ़ा रहे हैं. काफी मदद मिल रही है: जीवन कंवर, बांस की कारीगर

समूह से जुड़ी महिलाओं को लाभ : महिला समूह की सदस्य रामेश्वरी कहती हैं कि पहले वह बेरोजगार थी लेकिन बिहान योजना से जुड़कर अब वह बैंबो क्राफ्ट का काम कर रही है. बांस से ट्रे, कप, झूमर, लैंप, फल और फूल की टोकरी बनाती है. इनके बनाएं सामान सरस मेला, सी मार्ट और व्यापार मेला में प्रदर्शन लगती है जिससे उन्हें महीने में 3 से चार हजार रुपये की कमाई हो जाती है. इस कमाई से घर अच्छे से चल जाता है. रामेश्वरी बताती हैं कि साल 2022 में बांस शिल्प की ट्रेनिंग ली. 15 दिनों की ट्रेनिंग देने असम से ट्रेनर आए थे. बीच बीच में अलग अलग सामान की ट्रेनिंग दी जाती है.

BAMBOO CRAFTS
10 से 12000 रुपये महीना कमा रही महिलाएं (ETV Bharat Chhattisgarh)

प्रदेश के अलग अलग जिलों से महिलाएं यहां बांस का काम सीखने आती है. सभी महिलाएं इस काम में अपना समय नहीं दे पातीं. समूह से जिन महिलाओं को जोड़ा गया, बिहान योजना के तहत वह सभी महिलाएं यहां आ रही हैं: रामेश्वरी, बांस की कारीगर

साल 2020 से शुरू हुआ बांस शिल्प केंद्र: कोरोना काल में पलायन खत्म करने शुरू किया गया बांस शिल्प केंद्र आज भी कई गांवों की महिलाओं को रोजगार दे रहा है, जिससे ना सिर्फ महिलाएं पैसे कमा रही है बल्कि छत्तीसगढ़ की बांस कला का देशभर में प्रचार भी हो रहा है.

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कोरबा में बांस शिल्प का काम करती महिलाएं (ETV Bharat Chhattisgarh)
सिरौली का चमत्कारिक हनुमान मंदिर, रियासतकाल से भक्तों की मनोकामना कर रहा पूरी
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