बालोद: जिले में श्रम विभाग के अंतर्गत हितग्राहियों को वितरण के लिए शासन से मिलने वाली सिलाई मशीन की चोरी हो गई है. दरअसल 2018 के जून महीने में विकास यात्रा के समय इन मशीनों की सप्लाई जिले में की गई थी, लेकिन कुछ मशीनों के वितरण के बाद कुछ मशीनें बच गई थी. जानकारी के मुताबिक 40 मशीनों के मुंडी चोरी होने की बात सामने आ रही है. वहीं इस मामले में श्रम विभाग का कहना है कि इसकी शिकायत थाने में कर दी गई है.
इसे श्रम विभाग की लापरवाही कही जाए या फिर सत्ता परिवर्तन का असर, जिसकी वजह से जरूरतमंद लोगों को सिलाई मशीन नहीं मिल पा रही है. मशीनें स्टेडियम में धूल खाते पड़ी हुई थीं. जब लगभग डेढ़ साल के बाद इन मशीनों को देखने के लिए खोला गया तो पता चला कि यहां से मशीनें गायब हो चुकी हैं. इसकी संख्या लगभग 39 है. वहीं श्रम निरीक्षक की निगरानी में इन मशीनों को रखे जाने की बात सामने आ रही है.
स्टेडियम से हटवा कर कलेक्ट्रेट कार्यालय में रखी गई मशीनें
जानकारी के मुताबिक वितरण के लिए जिले में लगभग 300 सिलाई मशीनें आई हुई थीं, जिसमें से कुछ मशीनों को वितरित कर दिया गया था. वहीं कुछ मशीनें बच गई थीं, जिन्हें स्टेडियम में इकट्ठा करके रखा गया था. वहीं बुधवार को जब विभाग की नींद खुली तो मशीनें चोरी हो चुकी थीं, जिसके बाद स्टेडियम से सभी मशीनों को हटवा कर कलेक्ट्रेट में रखा गया है.
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चोरी की जानकारी लगते ही श्रम विभाग ने इसकी जानकारी थाने में दे दी है. वहीं पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है और पता लगा रही है कि, किसकी निगरानी में इन मशीनों को रखा गया था. इस मामले में अधिकारियों के बयान भी अभी आना बाकि है. पुलिस ने बताया कि श्रम विभाग से उन्हें 40 मशीनों के गायब होने की शिकायत मिली है, जिस पर आगे जांच की जा रही है. मामले में अब देखना यह होगा कि गरीबों के लिए आए इस सिलाई मशीन के चोरी के मामले में क्या जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की जाती है या फिर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा. बता दें कि यह मामला भाजपा कार्यकाल का है.
छत्तीसगढ़ में बढ़ा क्राइम का ग्राफ
बता दें कि, छत्तीसगढ़ में कुछ दिनों से चोरी और धोखाधड़ी के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. वहीं क्राइम का रेट भी तेजी से बढ़ रहा है. इसके साथ ही प्रदेश के कई जिलों से रेप, हत्या, आत्महत्या, ठगी, लूट, अवैध शराब की खरीदी-बिक्री के साथ ही कई आपराधिक मामले सामने आए हैं. कोरोना संकट के मद्देनजर किए गए लॉकडाउन के दौरान भी ऐसे कई मामले सुर्खियों में बने रहे. हालांकि लॉकडाउन के पहले और दूसरे चरण तक क्राइम का ग्राफ कम हो गया था.