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बालोदः धूमधाम से मनाया गया ऋषि पंचमी का पर्व, लोगों ने जंगल में की जड़ी-बूटियों की तलाश - जोगी राव मंदिर के प्रसिद्ध मंदिर

ग्रामीण अंचलों में ऋषि पंचमी का पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाया गया. लोग गांव से जंगलों की ओर जाते नजर आए.

ऋषि पंचमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया
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Published : Sep 3, 2019, 10:59 PM IST

बालोदः छत्तीसगढ़ में जहां अलग-अलग परंपरा और संस्कृति से जुड़े हुए पर्व मनाए जाते हैं. वहीं मंगलवार को ग्रामीण अंचलों में ऋषि पंचमी का पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाया गया. लोग गांवों से जंगलों की ओर जाते नजर आए. जहां पर वे पूजा अर्चना कर बहुत ही बारीकियों के साथ जमीन से कंदमूल और जड़ी बूटी ढूढ़ते नजर आए. जिसका उपयोग इंसानों और मवेशियों के इलाज के लिए किया जाता है.

ऋषि पंचमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया

बुजुर्गों के अनुसार यह पर्व ग्रामीण अंचलों के लिए बहुत अहम है. ऋषि पंचमी के मौके पर बच्चों से लेकर महिलाएं और बुजुर्ग भी जड़ी बूटी की तलाश में भ्रमण करते हैं. इस दौरान कई लोगों के हाथ में दुर्लभ पौधे भी देखे गए हैं.

जड़ी-बूटियों की जाती है पूजा
ऋषि पंचमी के अवसर पर लोगों ने जंगल के बीच स्थापित जोगी राव के प्रसिद्ध मंदिर में जाकर पूजा करने के बाद जंगल से इकट्ठा की गई जड़ी-बूटियों को भी पूजा जाता है और फिर इन्हें घर लाया जाता है.

गुरू-शिष्य परंपरा
ऋषि पंचमी पर्व के बारे में जानने आए एक ग्रामीण ने बताया कि इस दिन बैगा अपने शिष्यों को तंत्र-मंत्र सीखाता है. साथ ही प्राचीन समय में लोगों के इलाज के लिए इस दिन लाई गई जड़ी-बुटीयों का विशेष महत्व बताता है. इस कारण ग्रामीण आज भी जंगलों में जा कर परंपरा को बनाए रखे हैं.

नोट: ETV भारत किसी भी तरह के अंधविश्वास और तंत्रमंत्र का समर्थन नहीं करता.

बालोदः छत्तीसगढ़ में जहां अलग-अलग परंपरा और संस्कृति से जुड़े हुए पर्व मनाए जाते हैं. वहीं मंगलवार को ग्रामीण अंचलों में ऋषि पंचमी का पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाया गया. लोग गांवों से जंगलों की ओर जाते नजर आए. जहां पर वे पूजा अर्चना कर बहुत ही बारीकियों के साथ जमीन से कंदमूल और जड़ी बूटी ढूढ़ते नजर आए. जिसका उपयोग इंसानों और मवेशियों के इलाज के लिए किया जाता है.

ऋषि पंचमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया

बुजुर्गों के अनुसार यह पर्व ग्रामीण अंचलों के लिए बहुत अहम है. ऋषि पंचमी के मौके पर बच्चों से लेकर महिलाएं और बुजुर्ग भी जड़ी बूटी की तलाश में भ्रमण करते हैं. इस दौरान कई लोगों के हाथ में दुर्लभ पौधे भी देखे गए हैं.

जड़ी-बूटियों की जाती है पूजा
ऋषि पंचमी के अवसर पर लोगों ने जंगल के बीच स्थापित जोगी राव के प्रसिद्ध मंदिर में जाकर पूजा करने के बाद जंगल से इकट्ठा की गई जड़ी-बूटियों को भी पूजा जाता है और फिर इन्हें घर लाया जाता है.

गुरू-शिष्य परंपरा
ऋषि पंचमी पर्व के बारे में जानने आए एक ग्रामीण ने बताया कि इस दिन बैगा अपने शिष्यों को तंत्र-मंत्र सीखाता है. साथ ही प्राचीन समय में लोगों के इलाज के लिए इस दिन लाई गई जड़ी-बुटीयों का विशेष महत्व बताता है. इस कारण ग्रामीण आज भी जंगलों में जा कर परंपरा को बनाए रखे हैं.

नोट: ETV भारत किसी भी तरह के अंधविश्वास और तंत्रमंत्र का समर्थन नहीं करता.

Intro:बालोद। छत्तीसगढ़ राज्य जो कि त्योहारों के नजरिए से कैसा राज्य है जहां विपिन परंपरा संस्कृति से जुड़े पर्व मनाये जाते हैं इसी तरह एक त्यौहार है ऋषि पंचमी मंगलवार को जिले के ग्रामीण अंचलों में ऋषि पंचमी का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया गया लोग गांव गांव से जंगलों की ओर कूच करते नजर आए जहां से बड़ी बारीकियों के साथ पूजा अर्चना कर जमीन से कंदमूल व जड़ी बूटी तलाशी गई जिसे विपरीत समय में इंसानों के इलाज एवं अन्य चीजों के लिए उपयोग किया जाता है।


Body:वीओ - ऋषि पंचमी के अवसर पर जंगल के बीच स्थापित जोगी राव मंदिर जो कि क्षेत्र में काफी विख्यात है यहां ऋषि पंचमी मनाने वाले लोग पूजा अर्चना करने एकत्रित हुए और जो जड़ी बूटी खोज कर लाए थे उन्हें भगवान की पूजा अर्चना कर अपने अपने घर ले जाया गया। वीओ - जड़ी बूटी तलाशने आए लोगों से जब ऋषि पंचमी के संदर्भ में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि इस दिन हम सब अपने गुरुओं से जो सीखते हैं उसकी पुनरावृत्ति करते हैं ताकि हम जीवन में किसी की मदद कर सकें इसमें तंत्र मंत्र जड़ी-बूटी विद्या आदि शामिल है ग्रामीण अंचलों में कहा जाता है कि जो बैगा या तंत्र मंत्र सीखता है वह ऋषि पंचमी के दिन विशेष पूजा-अर्चना और जंगलों में जड़ी बूटियों की तलाश में भी जाता है।


Conclusion:ऋषि पंचमी के दिन जंगल में बच्चों से लेकर महिलाएं व बुजुर्ग जड़ी बूटी की तलाश में भ्रमण करते नजर आए घने जंगलों में भी लोग विभिन्न पौधों की तलाश में भटकते नजर आए इस दौरान कई लोगों के हाथ में आसानी से ना मिलने वाली कुछ पौधे भी नजर आए बुजुर्गों की मानें तो यह पर्व ग्रामीण अंचलों के लिए बेहद अहम होता है। बाइट - मोहन लाल ठाकुर, ग्रामीण बाइट - गौतम साहू, ग्रामीण
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