बालोदः छत्तीसगढ़ में जहां अलग-अलग परंपरा और संस्कृति से जुड़े हुए पर्व मनाए जाते हैं. वहीं मंगलवार को ग्रामीण अंचलों में ऋषि पंचमी का पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाया गया. लोग गांवों से जंगलों की ओर जाते नजर आए. जहां पर वे पूजा अर्चना कर बहुत ही बारीकियों के साथ जमीन से कंदमूल और जड़ी बूटी ढूढ़ते नजर आए. जिसका उपयोग इंसानों और मवेशियों के इलाज के लिए किया जाता है.
बुजुर्गों के अनुसार यह पर्व ग्रामीण अंचलों के लिए बहुत अहम है. ऋषि पंचमी के मौके पर बच्चों से लेकर महिलाएं और बुजुर्ग भी जड़ी बूटी की तलाश में भ्रमण करते हैं. इस दौरान कई लोगों के हाथ में दुर्लभ पौधे भी देखे गए हैं.
जड़ी-बूटियों की जाती है पूजा
ऋषि पंचमी के अवसर पर लोगों ने जंगल के बीच स्थापित जोगी राव के प्रसिद्ध मंदिर में जाकर पूजा करने के बाद जंगल से इकट्ठा की गई जड़ी-बूटियों को भी पूजा जाता है और फिर इन्हें घर लाया जाता है.
गुरू-शिष्य परंपरा
ऋषि पंचमी पर्व के बारे में जानने आए एक ग्रामीण ने बताया कि इस दिन बैगा अपने शिष्यों को तंत्र-मंत्र सीखाता है. साथ ही प्राचीन समय में लोगों के इलाज के लिए इस दिन लाई गई जड़ी-बुटीयों का विशेष महत्व बताता है. इस कारण ग्रामीण आज भी जंगलों में जा कर परंपरा को बनाए रखे हैं.
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