बालोद: 35 साल से जिस आशियाने में 14 परिवारों ने सुख और दुख के दिन देखे रेलवे ने उसे खाली करने का नोटिस जारी किया है. इन परिवारों के पास पंचायत एवं राजस्व विभाग द्वारा दिया गया पट्टा है, सारे रिकॉर्ड्स भी इनके पास मौजूद हैं. लेकिन अब रेलवे की तरफ से जारी हुए नोटिस ने इन परिवारों की नींद उड़ा दी है. इन लोगों को अब जिला प्रशासन से मदद की उम्मीद है.
पहले राजस्व विभाग द्वारा इन परिवारों को पट्टा दिया गया है, जिसका रिकॉर्ड इन ग्रामीणों के पास मौजूद है और अब रेलवे के नोटिस से ग्रामीण सदमे में है और जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे हैं. लगभग 14 परिवारों को यहां से हटने का नोटिस दिया गया है.
अचानक मिले नोटिस से परेशान लोग
जिन्हें नोटिस जारी हुआ है उनका कहना है कि पहले इस तरह की कोई परेशानी नहीं हुई लेकिन अचानक मिले नोटिस ने उनकी जिंदगी में उथल-पुथल मचा दी है. लोगों का कहना है कि अगर जगह खाली करने का दवाब बनाया जाता है, तो ऐसे में वे कहां जाएंगे.
लगा दी अपनी सारी पूंजी
नोटिस पाने वाले भूषण साहू बताते हैं कि इस जगह वे अपनी सारी पूंजी लगा चुके हैं, ऐसे में अगर वे बेघर हुए, तो कोई ठिकाना नहीं मिलेगा.
एक विभाग ने अनुमति दी, दूसरे ने नोटिस
पीड़ित भूषण साहू ने कहा कि, जब हटाना था तो पहले से राजस्व विभाग द्वारा रहने का आदेश नहीं दिया जाना था. शासन द्वारा जब रहने के लिए कहा गया था, तभी हम किस जगह पर काबिज हुए हैं. उनका कहना है कि इस तरह नोटिस मिलना न्याय नहीं है. भूषण साहू ने कहा कि, 'एक विभाग दस्तावेज देता है और दूसरा खाली करने को कहता है, ऐसे में हम करें भी तो क्या करें.'
देखना यह है कि रेलवे के नोटिस पर जिला प्रशासन कितना हस्तक्षेप करता है. जिन्हें नोटिस मिला है, उन्हें मुआवजा मिलेगा या फिर कोई और विकल्प प्रशासन अपनाता है.