बालोद: छत्तीसगढ़ के पूर्व अध्यक्ष देवलाल दुग्गा अपने एक ऋण पुस्तिका मामले को लेकर तहसीलदार के खिलाफ तहसील कार्यालय में धरने पर बैठे. उनका कहना है कि' यदि मुझ जैसे व्यक्ति का ऐसा हाल है तो गरीब आदिवासियों का क्या हाल होता होगा' ?
देवलाल दुग्गा का यह भी कहना है कि' दल्ली और डौंडी पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में शामिल है. तहसीलदार कलेक्टर ये बात समझे वरना आदिवासी लड़ाई में आ गए तो यहां सब छोड़कर भागना होगा. फिर भूपेश बघेल भी कुछ नहीं कर पाएंगे'. बताया जा रहा है कि दोपहर लगभग 12:00 बजे देवलाल दुग्गा तहसील कार्यालय में धरने पर बैठे थे. उन्हें धरने पर बैठे देख लोग भी उनके समर्थन में आसपास खड़े हो गए.
"पद का नहीं कम से कम उम्र का ख्याल करें"
पूर्व विधायक देवलाल दुग्गा ने बताया कि 'यह कैसी नीति है कि वह अपने ऋण पुस्तिका के लिए 25 दिन से यहां रोज आ रहे हैं, लेकिन तहसीलदार की ओर से ध्यान नहीं दिया जा रहा है. दुग्गा ने कहा कि पद का ना सही कम से कम उनके बुजुर्ग होने का तो ख्याल रखा जाए'. देवलाल दुग्गा ने बताया कि 'तहसीलदार महोदय के बारे में जब सुनने को मिला तो यह बात सामने आई कि उनका तबादला यहां से बाहर कवर्धा हो गया है'.
ऋण पुस्तिका का है मामला
वहीं तहसीलदार प्रतिमा ठाकरे इस मामले को छोटा-मोटा कहकर कुछ बोलने से बच रही थी, लेकिन अंत में वह कुछ बोलने के लिए राजी हुई, जिसके बाद उन्होंने कहा कि 'दुग्गा का एक ऋण पुस्तिका का विषय है, जिसे उन्होंने तैयार कर दिया है. उन्होंने कहा कि किसी को देखना हो तो वे उनके कार्यालय आकर देख सकता है'.
बद से बदत्तर हैं यहां के हालात
पूर्व विधायक देवलाल दुग्गा ने बताया कि 'जब वे आज तहसील कार्यालय में धरने पर बैठे थे तब तहसीलदार का कोई प्रतिनिधि आया और उनको ऋण पुस्तिका लाकर दिया. दुग्गा का कहना है कि यह ऋण पुस्तिका बिना उनके हड़ताल के भी लाकर दिया जा सकता था'. यहां कि स्थिति कितनी दयनीय है ये उनके समझ में अब आया है.