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बघेल सरकार के खिलाफ धरने पर बैठे ST आयोग के पूर्व अध्यक्ष देवलाल दुग्गा

अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष देवलाल दुग्गा ने तहसील कार्यालय में धरना दिया और भूपेश सरकार पर कई तीखे हमले किए.

सरकार पर बरसे देवलाल दुग्गा
सरकार पर बरसे देवलाल दुग्गा
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Published : Jan 3, 2020, 8:17 PM IST

बालोद: छत्तीसगढ़ के पूर्व अध्यक्ष देवलाल दुग्गा अपने एक ऋण पुस्तिका मामले को लेकर तहसीलदार के खिलाफ तहसील कार्यालय में धरने पर बैठे. उनका कहना है कि' यदि मुझ जैसे व्यक्ति का ऐसा हाल है तो गरीब आदिवासियों का क्या हाल होता होगा' ?

सरकार पर बरसे देवलाल दुग्गा

देवलाल दुग्गा का यह भी कहना है कि' दल्ली और डौंडी पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में शामिल है. तहसीलदार कलेक्टर ये बात समझे वरना आदिवासी लड़ाई में आ गए तो यहां सब छोड़कर भागना होगा. फिर भूपेश बघेल भी कुछ नहीं कर पाएंगे'. बताया जा रहा है कि दोपहर लगभग 12:00 बजे देवलाल दुग्गा तहसील कार्यालय में धरने पर बैठे थे. उन्हें धरने पर बैठे देख लोग भी उनके समर्थन में आसपास खड़े हो गए.

"पद का नहीं कम से कम उम्र का ख्याल करें"

पूर्व विधायक देवलाल दुग्गा ने बताया कि 'यह कैसी नीति है कि वह अपने ऋण पुस्तिका के लिए 25 दिन से यहां रोज आ रहे हैं, लेकिन तहसीलदार की ओर से ध्यान नहीं दिया जा रहा है. दुग्गा ने कहा कि पद का ना सही कम से कम उनके बुजुर्ग होने का तो ख्याल रखा जाए'. देवलाल दुग्गा ने बताया कि 'तहसीलदार महोदय के बारे में जब सुनने को मिला तो यह बात सामने आई कि उनका तबादला यहां से बाहर कवर्धा हो गया है'.

ऋण पुस्तिका का है मामला

वहीं तहसीलदार प्रतिमा ठाकरे इस मामले को छोटा-मोटा कहकर कुछ बोलने से बच रही थी, लेकिन अंत में वह कुछ बोलने के लिए राजी हुई, जिसके बाद उन्होंने कहा कि 'दुग्गा का एक ऋण पुस्तिका का विषय है, जिसे उन्होंने तैयार कर दिया है. उन्होंने कहा कि किसी को देखना हो तो वे उनके कार्यालय आकर देख सकता है'.

बद से बदत्तर हैं यहां के हालात

पूर्व विधायक देवलाल दुग्गा ने बताया कि 'जब वे आज तहसील कार्यालय में धरने पर बैठे थे तब तहसीलदार का कोई प्रतिनिधि आया और उनको ऋण पुस्तिका लाकर दिया. दुग्गा का कहना है कि यह ऋण पुस्तिका बिना उनके हड़ताल के भी लाकर दिया जा सकता था'. यहां कि स्थिति कितनी दयनीय है ये उनके समझ में अब आया है.

बालोद: छत्तीसगढ़ के पूर्व अध्यक्ष देवलाल दुग्गा अपने एक ऋण पुस्तिका मामले को लेकर तहसीलदार के खिलाफ तहसील कार्यालय में धरने पर बैठे. उनका कहना है कि' यदि मुझ जैसे व्यक्ति का ऐसा हाल है तो गरीब आदिवासियों का क्या हाल होता होगा' ?

सरकार पर बरसे देवलाल दुग्गा

देवलाल दुग्गा का यह भी कहना है कि' दल्ली और डौंडी पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में शामिल है. तहसीलदार कलेक्टर ये बात समझे वरना आदिवासी लड़ाई में आ गए तो यहां सब छोड़कर भागना होगा. फिर भूपेश बघेल भी कुछ नहीं कर पाएंगे'. बताया जा रहा है कि दोपहर लगभग 12:00 बजे देवलाल दुग्गा तहसील कार्यालय में धरने पर बैठे थे. उन्हें धरने पर बैठे देख लोग भी उनके समर्थन में आसपास खड़े हो गए.

"पद का नहीं कम से कम उम्र का ख्याल करें"

पूर्व विधायक देवलाल दुग्गा ने बताया कि 'यह कैसी नीति है कि वह अपने ऋण पुस्तिका के लिए 25 दिन से यहां रोज आ रहे हैं, लेकिन तहसीलदार की ओर से ध्यान नहीं दिया जा रहा है. दुग्गा ने कहा कि पद का ना सही कम से कम उनके बुजुर्ग होने का तो ख्याल रखा जाए'. देवलाल दुग्गा ने बताया कि 'तहसीलदार महोदय के बारे में जब सुनने को मिला तो यह बात सामने आई कि उनका तबादला यहां से बाहर कवर्धा हो गया है'.

ऋण पुस्तिका का है मामला

वहीं तहसीलदार प्रतिमा ठाकरे इस मामले को छोटा-मोटा कहकर कुछ बोलने से बच रही थी, लेकिन अंत में वह कुछ बोलने के लिए राजी हुई, जिसके बाद उन्होंने कहा कि 'दुग्गा का एक ऋण पुस्तिका का विषय है, जिसे उन्होंने तैयार कर दिया है. उन्होंने कहा कि किसी को देखना हो तो वे उनके कार्यालय आकर देख सकता है'.

बद से बदत्तर हैं यहां के हालात

पूर्व विधायक देवलाल दुग्गा ने बताया कि 'जब वे आज तहसील कार्यालय में धरने पर बैठे थे तब तहसीलदार का कोई प्रतिनिधि आया और उनको ऋण पुस्तिका लाकर दिया. दुग्गा का कहना है कि यह ऋण पुस्तिका बिना उनके हड़ताल के भी लाकर दिया जा सकता था'. यहां कि स्थिति कितनी दयनीय है ये उनके समझ में अब आया है.

Intro:अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष तहसील कार्यालय में बैठे धरने पर प्रशासन पर लगाए जमकर आरोप

बालोद

बालोद जिले की खनिज नगरी उस वक्त स्तब्ध रह गई जब वरिष्ठ आदिवासी नेता उत्तर बस्तर के पूर्व विधायक अनुसूचित जनजाति आयोग छत्तीसगढ़ के पूर्व अध्यक्ष देवलाल दुग्गा अपने एक ऋण पुस्तिका के मामले को लेकर तहसीलदार के खिलाफ तहसील कार्यालय में धरने पर बैठ गए उन्होंने कहा कि अगर मुझ जैसे व्यक्ति का ऐसा हाल है तो यहां गांव गरीब मेरे आदिवासी भाइयों का क्या हाल होता होगा उन्होंने कहा कि दल्ली और डोंडी पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में शामिल है तहसीलदार कलेक्टर ये बात समझे वरना आदिवासी लड़ाई में आ गए तो यहां सब छोड़कर भागना होगा फिर भूपेश बघेल भी कुछ नहीं करेगा।Body:वीओ - दोपहर लगभग 12:00 बजे देवलाल दुग्गा तहसील कार्यालय में धरने पर बैठ गए उन्हें बैठे देख लोग उनके समर्थन में आसपास खड़े रहे पूर्व विधायक ने बताया कि यह कैसी नीति है मैं अपने ऋण पुस्तिका के लिए 25 दिन से रोज आ रहा हूं यहां तो तहसीलदार ध्यान नहीं देते पद का ना सही मेरे बुजुर्ग होने का तो ख्याल रखते साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सरकार यह न सोचें कि हम आदिवासी कमजोर हो गए हैं जिस दिन चाहे उस दिन यहां के तहसीलदार से लेकर कलेक्टर को भगा देंगे और भूपेश बघेल भी कुछ नहीं कर पाएगा।

मंत्री पर लगाया आरोप

अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष देवलाल दुग्गा ने बताया कि इन तहसीलदार महोदय के बारे में जब सुनने मिला तो यह बात सामने आई कि उनका स्थानांतरण यहां से बाहर कवर्धा हो गया है जिसे यहां की विधानसभा सदस्य जो वर्तमान में छत्तीसगढ़ शासन की मंत्री है उन्हें फिर बैठा दिया गया है पता नहीं इनसे क्या प्रेम है।

वीओ - तहसीलदार प्रतिमा ठाकरे इस मामले को छोटा-मोटा कहकर कुछ बोलने से बच रहे थे अंततः वह कुछ बोलने के लिए राजी हुए जहां उन्होंने कहा कि उनका एक ऋण पुस्तिका का विषय है जिसे हमने तैयार कर दिया है उन्होंने कहा कि आप मेरे कार्यालय जाकर देख सकते हैं साथ ही उन्होंने बताया कि आज उनकी पेशी थी और बुलाया गया था।
Conclusion:पूर्व विधायक देवलाल दुग्गा ने बताया कि जब मैं आज यहां धरने पर बैठे तब तहसीलदार के किसी प्रतिनिधि ने अभी मुझे ऋण पुस्तिका लाकर दिया है तो क्या बिना हड़ताल करे ऋण पुस्तिका नहीं मिलेगा जब मैं यहां बैठा हूं तब मेरे को समझ आया कि हां स्थिति कितनी दयनीय है गांव गांव के लोग अपनी समस्याएं लेकर आ रहे हैं।

बाइट - देवलाल दुग्गा, पूर्व विधायक एवं पूर्व अध्यक्ष अनुसूचित जनजाति आयोग

बाइट - प्रतिमा ठाकरे, तहसीलदार दल्ली राजहरा

नोट - अच्छी खबर है कृपया वॉयस ओवर वहीं से पढ़ लेंगे
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