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लॉकडाउन में ठप रहा पॉल्ट्री व्यवसाय, कंपनियों ने भी दिया धोखा - बालोद न्यूज

कोरोना और लॉकडाउन ने पोल्ट्री व्यवसाय को भी प्रभावित किया है. जिससे कुक्कुट पालकों की स्थिति बेहद खराब हो गई हैं.

poultry business stalled in lockdown in balod
लॉकडाउन में ठप रहा पोल्ट्री का व्यवसाय
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Published : Oct 20, 2020, 10:24 AM IST

Updated : Oct 20, 2020, 11:05 AM IST

बालोद: कोरोना और लॉकडाउन में जिले के पॉल्ट्री फार्म के व्यवसाय की स्थिति बेहद दयनीय हो गई है. दरअसल कोरोना काल में लोगों के बीच ये धारण आ गई कि मुर्गियों के माध्यम से कोरोना वायरस कहीं उन तक न पहुंच जाए, इस वजह से कई लोगों ने अंडों और चिकन से दूरी बना ली. जबकि सरकार ने मुर्गियों के लिए विशेष दिशा-निर्देश जारी किए थे कि मुर्गियों से कोरोनावायरस का कोई खतरा नहीं है. बावजूद इसके 10 रुपये, 20 रुपये के नग से भी ग्राहक मुर्गियां खरीदने को तैयार नहीं थे. इस दौरान पॉल्ट्री व्यवसायियों ने शराब दुकानों, बाजार में पानी के मूल्य में मुर्गियों को बेचने की कोशिश की, लेकिन वहां भी उन्हें उनकी लागत वसूल नहीं हुई. परिणाम यह रहा कि पॉल्ट्री व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुआ. इस संकट के दौर में कंपनियों ने भी किसानों का साथ छोड़ दिया.

लॉकडाउन में ठप रहा पोल्ट्री का व्यवसाय

मुफ्त में बांटी गई मुर्गियां

poultry business stalled in lockdown in balod
लॉकडाउन में ठप रहा पोल्ट्री का व्यवसाय

कुक्कुट व्यवसायियों ने बताया कि स्थिति यहां तक आ गई थी कि मुर्गियां बिक नहीं रही थी और कंपनियों ने भी हाथ खड़े कर दिए थे.ऐसे समय में पॉल्ट्री व्यवसायियों ने मुफ्त में मुर्गियां बांटने के साथ ही कई मुर्गियों को मिट्टी में दबा दिया था. जिला पॉल्ट्री फार्म एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेंद्र देशमुख ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान कुक्कुट पालन किसानों की हालत काफी दयनीय हो गई.

पढ़ें: छत्तीसगढ़ में नया कृषि कानून! 27-28 अक्टूबर को विधानसभा का विशेष सत्र

'किसानों को नहीं किया जा रहा भुगतान'

poultry business stalled in lockdown in balod
लॉकडाउन में ठप रहा पोल्ट्री का व्यवसाय

पॉल्ट्री फार्म एसोसिएशन के अध्यक्ष ने बताया कि फार्म में जो कंपनियां काम कर रही है उनके द्वारा किसानों के साथ छलावा किया जा रहा है. कई कंपनियां ऐसी है जो जनवरी के बाद से अब तक किसानों को भुगतान तक नहीं की है. जिसके कारण किसान कर्ज में डूब गए हैं. इस व्यवसाय को लेकर उनका मोहभंग हो रहा है. उन्होंने शालीमार नाम की कंपनी पर साल भर से किसानों को भुगतान नहीं करने का आरोप लगाया. अध्यक्ष ने ETV भारत से बताया कि वे इन सब समस्याओं को लेकर केंद्रीय मंत्री को पत्र लिख रहे हैं. इसके साथ ही जिला स्तर पर भी आंदोलन का रास्ता निकाला जा सकता है.

बालोद: कोरोना और लॉकडाउन में जिले के पॉल्ट्री फार्म के व्यवसाय की स्थिति बेहद दयनीय हो गई है. दरअसल कोरोना काल में लोगों के बीच ये धारण आ गई कि मुर्गियों के माध्यम से कोरोना वायरस कहीं उन तक न पहुंच जाए, इस वजह से कई लोगों ने अंडों और चिकन से दूरी बना ली. जबकि सरकार ने मुर्गियों के लिए विशेष दिशा-निर्देश जारी किए थे कि मुर्गियों से कोरोनावायरस का कोई खतरा नहीं है. बावजूद इसके 10 रुपये, 20 रुपये के नग से भी ग्राहक मुर्गियां खरीदने को तैयार नहीं थे. इस दौरान पॉल्ट्री व्यवसायियों ने शराब दुकानों, बाजार में पानी के मूल्य में मुर्गियों को बेचने की कोशिश की, लेकिन वहां भी उन्हें उनकी लागत वसूल नहीं हुई. परिणाम यह रहा कि पॉल्ट्री व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुआ. इस संकट के दौर में कंपनियों ने भी किसानों का साथ छोड़ दिया.

लॉकडाउन में ठप रहा पोल्ट्री का व्यवसाय

मुफ्त में बांटी गई मुर्गियां

poultry business stalled in lockdown in balod
लॉकडाउन में ठप रहा पोल्ट्री का व्यवसाय

कुक्कुट व्यवसायियों ने बताया कि स्थिति यहां तक आ गई थी कि मुर्गियां बिक नहीं रही थी और कंपनियों ने भी हाथ खड़े कर दिए थे.ऐसे समय में पॉल्ट्री व्यवसायियों ने मुफ्त में मुर्गियां बांटने के साथ ही कई मुर्गियों को मिट्टी में दबा दिया था. जिला पॉल्ट्री फार्म एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेंद्र देशमुख ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान कुक्कुट पालन किसानों की हालत काफी दयनीय हो गई.

पढ़ें: छत्तीसगढ़ में नया कृषि कानून! 27-28 अक्टूबर को विधानसभा का विशेष सत्र

'किसानों को नहीं किया जा रहा भुगतान'

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लॉकडाउन में ठप रहा पोल्ट्री का व्यवसाय

पॉल्ट्री फार्म एसोसिएशन के अध्यक्ष ने बताया कि फार्म में जो कंपनियां काम कर रही है उनके द्वारा किसानों के साथ छलावा किया जा रहा है. कई कंपनियां ऐसी है जो जनवरी के बाद से अब तक किसानों को भुगतान तक नहीं की है. जिसके कारण किसान कर्ज में डूब गए हैं. इस व्यवसाय को लेकर उनका मोहभंग हो रहा है. उन्होंने शालीमार नाम की कंपनी पर साल भर से किसानों को भुगतान नहीं करने का आरोप लगाया. अध्यक्ष ने ETV भारत से बताया कि वे इन सब समस्याओं को लेकर केंद्रीय मंत्री को पत्र लिख रहे हैं. इसके साथ ही जिला स्तर पर भी आंदोलन का रास्ता निकाला जा सकता है.

Last Updated : Oct 20, 2020, 11:05 AM IST
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