बालोद : जिले के खुर्सीपार प्राथमिक स्कूल का पालकों ने बहिष्कार कर दिया है. शाला प्रवेशोत्सव के बाद आज तक छात्रों ने स्कूल का मुंह तक नहीं देखा. कहने के लिए स्कूल में 74 छात्र रजिस्टर्ड हैं. लेकिन स्कूल वीरान पड़ा हुआ है. क्योंकि छात्र इस स्कूल में आना ही नहीं चाहते. अब ऐसा क्यों है हम आपको बताते हैं.
आखिर क्यों छात्रों ने स्कूल से बनाई दूरी : खुर्सीपार प्राथमिक शाला की स्थापना नौनिहालों के भविष्य को गढ़ने के लिए की गई थी ताकि बच्चे पढ़ लिखकर अपने जीवन के मूल्यों को समझें. लेकिन इस स्कूल की बदकिस्मती कहेंगे कि अब इस जगह बच्चे नहीं हैं. तीन शिक्षकों वाले इस स्कूल में ले देकर एक महिला टीचर है. इस महिला टीचर के के जिम्मे 74 बच्चों की जिम्मेदारी है. अब ऐसे में बच्चे हर विषय को कैसे पढ़ेंगे, कोई नहीं जानता.
पालकों ने स्कूल में बच्चों को भेजना किया बंद : इस स्कूल में पहले तीन शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी. कुछ समय बाद एक शिक्षक को किसी दूसरे स्कूल में अटैच कर दिया गया. दूसरे शिक्षक बीमार हैं. लकवा की वजह से स्कूल नहीं आ सकते हैं. ऐसे में जब स्कूल में शिक्षक ही नहीं है तो, पालक भला किसके भरोसे अपने बच्चों को स्कूल भेजें.
'' स्कूल में बच्चों की दर्ज संख्या 74 है. विद्यालय में 3 शिक्षक पदस्थ थे. एक शिक्षक को दूसरी जगह अटैच किया गया है. एक पुरुष शिक्षक हैं, जो पैरालाइज है. इस तरह शिक्षकों की कमी है. जब हमने पूछा कि बच्चे क्यों नहीं आए हैं तो पालकों ने बताया कि स्कूल में जब तक पर्याप्त शिक्षक नहीं भरे जाएंगे तब तक शाला का बहिष्कार किया जाएगा.'' गीता गौर, महिला टीचर
विद्यालय में वर्तमान में दो शिक्षक हैं. एक तो पैरालाइज है और दूसरी एक शिक्षिका जो प्रधान पाठक का सारा कार्य करती है . वह दस्तावेज बनाने में ही व्यस्त रहती है. बच्चों को कोई पढ़ाने वाला नहीं रहता. इसलिए भले ही हम बच्चों को घर में रखेंगे पर विद्यालय नहीं भेजेंगे. शिक्षा का स्तर काफी गिरता जा रहा है. हम लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि पर्याप्त तीन शिक्षकों की कमी को पूरा किया जाए तभी हम विद्यालय में अपने बच्चों को पढ़ने के लिए भेजेंगे.'' रोहित कुमार ठाकुर, सरपंच
स्कूल अब भगवान भरोसे : एक तरफ पालकों ने बच्चों को स्कूल भेजने से मना कर दिया है तो दूसरी तरफ एक अकेली शिक्षिका के भरोसे विद्यालय को छोड़ दिया गया. अब इस गलती का जिम्मेदार कौन है ये कोई नहीं जानता. हां एक बात सभी जानते हैं कि, यदि समय रहते स्कूल में शिक्षकों की व्यवस्था नहीं हुई तो 74 बच्चों का भविष्य जरुर गर्त में चला जाएगा.